कोटा, 24 मार्च। भारतीय किसान संघ ने केंद्र और राज्य सरकार पर हमला बोलते हुए आगामी दिनों में बड़ा आंदोलन करने के संकेत दिए हैं।भारतीय किसान संघ के प्रांत महामंत्री अंबालाल शर्मा, उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह, प्रदेश मंत्री जगदीश कलमंडा, प्रांत प्रवक्ता आशीष मेहता, युवा प्रमुख राधेश्याम गुर्जर और संभाग अध्यक्ष विक्रम सिंह सिरोहिया ने शुक्रवार को पत्रकार वार्ता में कहा कि शासन ने किसानों के हितों पर कुठाराघात किया है। अब किसानों के सामने आंदोलन के अलावा कोई विकल्प शेष नहीं बचा है। सरकार के खिलाफ आंदोलन की पूरी रणनीति तैयार है, जल्दी ही कूच करेंगे।

प्रांत महामंत्री अंबालाल शर्मा ने कहा कि गेहूं का उत्पादन अधिक होने और दूसरे देशों में मांग के बावजूद सरकारी नीति के कारण गेहूं का पूरा मूल्य किसान को नहीं मिल पा रहा। भारतीय किसान संघ की मांग है कि वाणिज्य मंत्रालय किसानों के बारे में कोई भी निर्णय लेने से पहले किसान और कृषि मंत्रालय से सामंजस्य बिठाए।

उन्होंने कहा कि सरकार एमएसपी घोषित करती है, लेकिन उसका 25% ही खरीदती है। राजस्थान सरकार ने लहसुन खरीदी का सर्कुलर तो जारी किया, लेकिन एक गांठ भी नहीं खरीदी, हाड़ौती में सदानीरा नदियां बहती हैं, लेकिन छोटी- छोटी परियोजनाओं के अभाव में किसान के खेत तक पानी नहीं पहुंच पा रहा। राजस्थान सरकार की किसान विरोधी नीति के कारण किसान आत्महत्या करने पर मजबूर है। अभी हाल ही में बूंदी में किसान ने आत्महत्या की है।

सरकार का बीमा कंपनियों पर कोई दबाव नहीं है। सरकारी गिरदावरी में 30% से अधिक खराबा नहीं दिखाने के लिए अधिकारियों पर दबाव है। जिसके खेत का धनिया असमय बारिश में बह गया। उसका भी खराबा 30% दिखाया जा रहा है। यह किसान के साथ मजाक है। आपदा राहत राशि भी किसी को 2 रुपए तो किसी को 200 रुपए मिल रहा है। यह किसानों के साथ हास्यास्पद स्थिति है। उन्होंने कहा कि 5 प्रकार से बिजली पैदा होने के बावजूद राजस्थान में किसानों को ना तो निर्बाध बिजली मिल पा रही है और नहीं उसका मूल्य ही कम किया गया है। चुनाव में सभी पार्टियों को किसानों का मांग पत्र दिया जाएगा।

जगदीश कलमंडा ने कहा कि आपदा राहत कोष से मिलने वाली राशि बीमा राशि को काटकर दी जा रही है। जो किसान के साथ अन्याय है। पूर्वी नहर परियोजना को फुटबॉल बना दिया गया है। फसल खराब होने पर गिरदावरी के नाम पर माहौल तो बहुत बनाया जाता है, लेकिन खराबा वर्ष 2019, 2021 और 2022 का अभी भी बकाया है।

आशीष मेहता ने कहा कि सरकार ने सरसों की खरीद का 15 लाख मीट्रिक टन का लक्ष्य रखा है। जबकि सकल उत्पादन 120 लाख टन है। यह ऊंट के मुंह में जीरा है। रघुनाथ सिंह नाथावत ने कहा कि 2019 में खराबा होने पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे हेलीकॉप्टर से दौरा करने आए थे।लेकिन अभी तक फसल खराबे का ₹1 भी किसानों को नहीं मिला है। राधेश्याम गुर्जर और विक्रम सिंह सिरोहिया ने कहा कि यदि अगले कुछ दिनों में किसानों की समस्याओं का हल नहीं निकला तो अगले महीने राजस्थान भर का किसान जयपुर कूच करेगा।