जयपुर। प्रदेश के राजस्थान में कोटा जिले में एक सरकारी अस्पताल में तीन और नवजात शिशुओं की मौत हो गई। इसके साथ ही यहां पर पिछले दो दिनों में होने वाली इस तरह की मौतों की संख्या बढ़ कर 12 हो गई। जेके लोन अस्पताल में बृहस्पतिवार को नौ नवजात शिशुओं की मौत हो गई थी। ये सभी एक से चार दिन के बताए जा रहे है। अस्पताल के अधीक्षक सुरेश चंद दुलारा ने बताया कि शुक्रवार को तीन और नवजात शिशुओं की मौत हो गई जिनमें से दो, एक दिन के थे और एक अन्य एक महीने का था।

परिजन बोले- हम गिड़गिड़ाते रहे स्टाफ सोता रहा
कड़ाके की ठंड आने से पहले ही कोटा अस्पताल में कोताही के आलम ने परिवारों की खुशियों को उजाड़ने का जैसे इंतजाम कर दिया। अब जब इतनी मौतें हो गई, कलेक्टर से लेकर चिकित्सा मंत्री तक रिपोर्ट मांग रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर ठंड होने के पहले ही जरूरी इंतजाम क्यों नहीं किए जाते। परिजनों का आरोप है कि बच्चों की हालत बिगड़ने पर हम मदद के लिए गिड़गिड़ाते रहे। लेकिन नाइट ड्यूटी स्टाफ सोता रहा। बार-बार बुलाने पर भी डॉक्टर नहीं आए और उल्टा हमें डांटकर भगा दिया गया।

आखिर सर्दी शुरू होने से पहले क्यों नहीं करते इंतजाम
यहां नेबुलाइजर भी 56 की संख्या में आए थे, लेकिन 20 खराब हैं। इंफ्यूजन पंप का हाल भी जुदा नहीं है। 89 में से 25 अनुपयोगी हैं।सात बच्चे अस्पताल में ही जन्मे थे, दो रेफर हुए थे मृत नवजातों में 7 बच्चों का जन्म अस्पताल में हुआ। 2 बच्चे बूंदी से रेफर होकर आए थे। सभी बच्चे 1 से 7 दिन के थे।

वसुंधरा राजे ने जताया दु:ख
प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने नवजात बच्चों की मौत पर शोक प्रकट किया है। उन्होंने अपने ट्विटर अकाउंट पर लिखा, जेके लोन अस्पताल #Kota में प्रशासन की लापरवाही के चलते पिछले वर्ष भी केवल एक माह में ही सैंकड़ों बच्चों की मौत हुई थी। लेकिन सरकार ने अपनी किरकिरी से बचने के लिए उस समय भी दोषियों को बचाने का काम किया था। वर्तमान स्वास्थ्य संकट के दौर में प्रशासन को पहले ही अलर्ट हो जाना चाहिए। मेरा राज्य सरकार से आग्रह है कि माओं की उजड़ती कोख को हल्के में ना लेकर मामले की त्वरित जांच कराएं तथा उचित कार्रवाई करें। ईश्वर पीड़ित परिजनों को यह दुःख सहन करने की शक्ति प्रदान करें।

ओम बिरला ने बुलाई जिला प्रशासन और चिकित्सा अधिकारियों की बैठक
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कोटा में अपने कार्यालय में जिला प्रशासन और चिकित्सा अधिकारियों की बैठक बुलाई। इसमें उन्होंने नवजात बच्चों की मौत के कारण के बारे में पूछा और अधिकारियों को अस्पताल की स्थिति में सुधार करने का निर्देश दिया। नवजात बच्चों की मौत पर बिरला ने शोक प्रकट किया और अस्पताल में उचित निगरानी किए जाने पर जोर दिया। बैठक के बाद उन्होंने कहा कि मैंने अस्पताल प्रशासन से बात की है और मामले पर रिपोर्ट मांगी है। जो भी बात सामने आएगी, उन पर मैं राज्य सरकार से चर्चा करूंगा।

मानवाधिकार आयोग करेगी जांच, 15 दिन में देगी रिपोर्ट
मामले में अब राज्य मानवाधिकार आयोग ने भी स्वप्रेरणा से प्रसंज्ञान लेते हुए घटना की जांच करवाने का निर्णय लिया है। मीडिया में आई खबरों के आधार पर घटना की गंभीरता को देखते हुए आयोग ने मामले में प्रसंज्ञान लिया है। आयोग के सचिव बीएल मीणा और रजिस्ट्रार ओमी पुरोहित मामले की जांच करेंगे। आयोग अध्यक्ष जस्टिस महेश चन्द्र शर्मा ने 15 दिन में मामले की जांच कर रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए हैं। जांच इस बिन्दु पर की जाएगी की आखिर नवजातों की मौत प्राकृतिक कारणों से हुई या फिर किसी लापरवाही के चलते मौतें हुई। इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति नहीं हो इसे लेकर भी रिपोर्ट में सुझाव दिए जाएंगे। आयोग में यह मामला अब 24 दिसंबर को पेश होगा।