जयपुर। राजस्थान की राजधानी जयपुर शहर के शिप्रापथ इलाके में शनिवार दोपहर रीको इंडस्ट्रीयल एरिया में स्थित आईसीआईसीआई बैंक के बाहर कार सवार अज्ञात बदमाशों ने फायरिंग कर साढ़े 31 लाख रुपए लूट लिए। फायरिंग में सिक्यूरिटी गार्ड कमल सिंह गुर्जर के गोली लगी, जबकि दूसरे कर्मचारी भीम सिंह पर बदमाशों ने गाड़ी चढ़ा दी। इससे दोनों घायलों को एक निजी अस्पताल में भर्ती करवाया गया। प्रदेश में अपराध के आंकड़े कानून व्यवस्था की भयावह तस्वीर पेश कर रहे हैं। राजस्थान में अपराधियों के हौसले किस कदर बुलंद हैं। ये आंकडे उसकी गवाही दे रहे हैं। हत्या, डकैती, लूट, दुष्कर्म, छेड़छाड़ जैसे जघन्य अपराधों में वर्ष 2019 में वर्ष 2018 की तुलना में बढ़ोतरी हुई है।

वसुंधरा राजे के राज में सुरक्षित थी जनता

कांग्रेस से पहले जब प्रदेश में बीजेपी की सरकार थी तब प्रदेश में अपराध ना के बराबर ​​थे। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने पूरे प्रदेश में कानून राज स्थापित कर रखा था। उस समय बच्चियां और महिलाएं खुद को सुरक्षित महसूस करती थी। प्रदेश की जनता भी अपराधियों से दूर थी। बीजेपी के राज में अपराधियों में मन भय और आमजन में विश्वास था। पूर्व सीएम वसुंधरा राजे प्रदेश में अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करती थी। वह दोषियों को बचाने के बजाय उनको सबक सिखाती थी। बीजेपी राज के दौरान मजदूरों और किसानों की परेशानियों का जल्द निवारण ​किया जाता था। पूर्व मुख्यमंत्री राजे के समय प्रदेश अपराधियों की लिस्ट में सबसे पीछे रहा। लेकिन अब कांग्रेस के राज में कई गुना अपराध बढ़ गया है। मौजूदा हालात को देखकर ऐसा लगा रहा है कि सरकार गहरी नींद में है और अपराधिक बेखोफ नजर आ रहे है।

अपराध में शीर्ष पर राजस्थान
जब से कांग्रेस की सरकार बनी है तब से प्रदेश में अपराध लगातार बढ़ते ही जा रहे है। अशोक गहलोत सरकार अपराधियों पर अंकुश लगाने में नाकाम रही है। पिछले करीब 2 साल से अपराध के मामले में राजस्थान शीर्ष पर आ गया है। साल 2019 में प्रदेश में 2 लाख 25 हजार 306 केस दर्ज हुए हैं जो 2018 की तुलना में 31 फीसदी ज्यादा हैं। खासकर महिलाओं और बच्चियों के खिलाफ होने वाले अपराधों में लगातार बढ़ोतरी हुई है। अपराध के इन आकंड़ों में भी सरकार अपनी पीठ थपथपा रही है। सीएम अशोक गहलोत जो खुद राजस्थान के गृह मंत्री भी हैं।

15 माह में दो लाख से ज्यादा अपराध
राजस्थान में अपराधों के बढ़ते आंकड़े देश और प्रदेश के लिए चिंता की स्थिति है। यह मानसिक विकृति होने के साथ साथ कानून व्यवस्था को चुनौती जरूर है। प्रधानमंत्री ने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का आह्वान किया था, मगर आज बेटी का सम्मान दांव पर है। राजस्थान में बीते 15 माह में दो लाख से ज्यादा अपराध हुए हैं। इनमें रेप, हत्या व डकैती की जैसी संगीन वारदातें ज्यादा हैं। अलवर थानागाजी गैंगरेप की घटना पूरे राजस्थान को देशभर में शर्मसार किया।

24 घंटे में 5 हत्या, 20 अपहरण और 16 बलात्कार
अप्रेल और मई के महीने में पूरे लॉकडाउन होने के कारण अपराध में कुछ गिरावट दर्ज की गई। चोरी, लूट, मारपीट और अन्य अपराधों में पचास फीसदी से भी ज्यादा कमी आई। लेकिन जैसे ही अनलॉक वन शुरू हुआ मानों अपराध का भी ताला खुल गया हो। अनलॉक वन के 45 दिनों के भीतर ही प्रदेश के पुलिस थानों में 25307 मुकदमें दर्ज हो चुके हैं। इनमें हत्या के 245, हत्या के प्रयास के 328, डकैती के 19, लूट के 140, अपहरण के 911, बलात्कार के 791, बलवा के 68, नकबजनी के 674, चोरी के 3216 और अन्य अपराध 18911 दर्ज हुए हैं। हर चौबीस घंटे का औसत निकाला जाए तो हर दिन प्रदेश में पांच से ज्यादा हत्याएं हो रही हैं। बीस से ज्यादा अपहरण और बलात्कार के 16 मामले हर चौबीस घंटे में सामने आ रहे हैं।

हर महीने होती थी क्राइम मीटिंग, अब महीनों से नहीं हुई
पुलिस अफसरों की मानें तो समय—समय पर होने वाली क्राइम बैठकों के कम होने के कारण भी अपराध बढ़े हैं। दरअसल भाजपा के कार्यकाल में लगभग हर महीने पुलिस मुख्यालय में क्राइम रिव्यू बैठक करते थे। इनमें प्रदेश के आला पुलिस अधिकारी एक महीने के काम काज के साथ मौजूद रहते थे। इन बैठकों से पहले जिला स्तर पर पुलिस अधीक्षक अपने थानाधिकारियों से रिव्यू लेते और इसकी रिपोर्ट पुलिस मुख्यालय तक पहुंचती थी। लेकिन इस बार सीएम के बार खुद ही गृह विभाग है। व्यवस्तता ज्यादा होने के कारण हर महीने होने वाली बैठकें कई महीनों से नहीं हो सकी है। हालांकि पुलिस मुख्यालय प्रदेश में होने वाले अपराधों पर लगातार नजर बनाए हुए है।