जयपुर। राजस्थान का सियासी तापमान लगातार करवट बदल रहा है। बीते कुछ दिनों से भाजपा में गुटबाजी की खबरे सामने आई थी। वहीं अब आलाकमान ने इसपर लगाम लगाने की तैयारी कर ली है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने राजस्थान भाजपा के लिए 16 सदस्यीय कोर कमेटी का गठन किया है। इसमें 12 सदस्य और 4 विशेष आमंत्रित सदस्य बनाए गए हैं। बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव और मुख्यालय प्रभारी अरुण सिंह ने कोर ग्रुप के गठन के आदेश और सूची जारी कर दी है। कोर ग्रुप में पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे को शामिल किया गया है।

जातिगत समीकरण का ख्याल रखा
बीजेपी ने कोर कमेटी बनाने के दौरान सूबे के जातिगत समीकरण का भी ख्याल रखा है। आलाकमान ने 3 राजपूत, दो जाट, एक वैश्य, एक ब्राहृमण, एक गुर्जर, एक यादव, एक माली, एक दलित और एक आदिवासी को कमेटी में जगह दी है। वहीं मीणा समुदाय के किसी भी नेता को जगह नहीं दिया गया है। सियासी रूप से कमजोर पूर्वी राजस्थान से किसी मीणा नेता को जगह नहीं दी गई है। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष को भी कोर ग्रुप में नहीं लिया गया है।

बीजेपी कोर ग्रुप के 12 सदस्य
प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया, नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे, राज्यसभा सांसद ओमप्रकाश माथुर, प्रदेश महामंत्री चंद्रशेखर, उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़, केंद्रीय मंत्रियों गजेंद्र सिंह, अर्जुन राम मेघवाल और कैलाश चौधरी के साथ ही प्रदेश उपाध्यक्ष और राज्यसभा सांसद राजेंद्र गहलोत, लोकसभा सांसद सीपी जोशी और कनकमल कटारा शामिल हैं। राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह, राज्यसभा सांसद भूपेंद्र यादव, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भारती बेन शियाल और राष्ट्रीय सचिव अल्कासिंह गुर्जर को विशेष आमंत्रित सदस्य के तौर पर कमेटी में जगह दिया गया है।

1998 के बाद से सूबे में वसुंधरा और गहलोत का ही रहा राज
वसुंधरा राजे प्रदेश में पार्टी की दिग्गज नेताओं में से एक हैं और आज भी उनकी मजबूत पकड़ नजर आती रही है। वैसे भी अगर सूबे के सियासी हालात पर नजर डालें तो भैरोसिंह शेखावत के बाद 1998 से लगातार वसुंधरा राजे और कांग्रेस की ओर से अशोक गहलोत ही बारी-बारी से राज करते आए हैं। लेकिन, कुछ समय पहले देखने को मिला कि कैसे कांग्रेस में विवाद सामने आया। अशोक गहलोत के खिलाफ सचिन पायलट ने बगावती तेवर अख्तियार किया था।