जयपुर। राजस्थान विधानसभा चुनाव 25 नवंबर को संपन्न हो गया है। 199 सीटों पर हुई वोटिंग की गिनती अगले महीने यानी 3 दिसंबर को होगी। इस दिन तय हो जाएगा कि प्रदेश में किसकी सरकार अगले 5 साल के लिए राज करेगी। भारतीय जनता पार्टी ने इस बार बिना सीएम का चेहरा घोषित किया चुनाव लड़ा है। पीएम मोदी सहित सभी पार्टी के नेताओं ने कहा था कि पार्टी निशान के ऊपर चुनाव लड़ा जा रहा है। हालांकि प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के समर्थक और प्रदेश की जनता उनको सीएम फेस के रूप में देखना चाहती थी, जिसको लेकर कई बार आवाज भी उठी। लेकिन आलाकमान ने यह बोलकर बात को टाल दिया कि इस बार कमल का फूल ही पार्टी का चेहरा होगा।

वसुंधरा राजे तीसरी बार बनेगी सीएम
अगर बीजेपी सत्ता में आती है तो वसुंधरा राजे ही मुख्यमंत्री के पद पर तीसरी बार विराजेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उनका रास्ता नहीं रोक पाएंगे। क्योंकि बीजेपी की राष्ट्रीय नेतृत्व वसुंधरा राजे की जगह किसी और को बिठाना जाएगा तो पार्टी में विरोध होने की पूरी संभावना है। परिणाम आने से पहले आरएसएस ने रणनीति बदलती है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि 199 में से 65 भाजपा प्रत्याशी पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के कट्टर समर्थक हैं। ऐसे में आालकमान भी इतनी बड़ी संख्या के विधायकों की अनदेखी नहीं कर सकता। अगर ऐसा होता है तो पार्टी में घमासान तय है।

राजे के मुकाबले कोई दमदार चेहरा नहीं
सूत्रों के अनुसार पार्टी में संभावित विद्रोह को रोकने के लिए आरएसएस ने ऐनवक्त पर रणनीति बदली है। आरएसएस को राजस्थान में वसुंधरा राजे के मुकाबले कोई दमदार चेहरा नहीं मिला है। घुमा फिराकर बता वसुंधरा राजे पर आकर ही समाप्त हो गई है। मतलब साफ है मुख्यमंत्री के तौर पर आरएसएस की पहली पसंद के वसुंधरा राजे ही उभरी है।

अश्विनी वैष्णव औऱ दीया कुमारी पर दांव फैल
सूत्रों के अनुसार आरएसएस की मंशा पहले रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव औऱ दीया कुमारी पर दांव खेलने की थी। रेलमंत्री को पार्टी ने बतौर ब्राह्मण चेहरे के तौर पर प्रोजेक्ट भी किया था। लेकिन वसुंधरा राजे की तुलना में मजबूत साबित नहीं हो पाए है। पार्टी का एक धड़ा दीया कुमारी का विरोध कर रहा है। वसुंधरा राजे समर्थकों के दीया कुमारी मंजूर नहीं है।

वसुंधरा राजे का सीएम बनना लगभग तय
सियासी जानकारों का कहना है कि वसुंधरा राजे को सीएम फेस घोषित नहीं करने की पीछे रणनीति आरएसएस की ही थी। लेकिन पिछले 6 महीने के दौरान वसुंधरा राजे ने जबर्दस्त वापसी की है। सियासी जानकारों का कहना है कि बीजेपी में सत्ता में आती है तो वसुंधरा राजे का सीएम बनना लगभग तय माना जा रहा है।

सांसद से लेकर पूर्व मंत्री तक कर चुके हैं पैरवी
राजस्थान में अलवर सांसद और तिजारा से बीजेपी प्रत्याशी महंत बालकनाथ और पूर्व मंत्री और बहरोड में भाजपा प्रत्याशी डॉ जसवंत यादव भी वसुंधरा राजे की पैरवी कर चुके हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इस बार भी प्रदेश में राज बदलेगा, रिवाज नहीं बदलेगा। यानी हर पांच साल बाद सत्ता परिवर्तन का जो ट्रेंड है। वह बरकरार रहने की संभावना है। राजस्थान में 1993 से हर पांच साल बाद सत्ता बदलती रही है।