जयपुर। अशोक गहलोत सरकार ने पिछले दिनों कृषि जिंसों पर लगाए गए 2 फीसदी कृषण कल्याण शुल्क को कम कर दिया है।
कारोबारी लगातार इस शुल्क का विरोध कर रहे थे। आखिरकर को इनके आगे झुकते गहलोत सरकार ने शुल्क कम करने के निर्देश अधिकारियों को दे दिए है। सीएम गहलोत ने कृषि जिंसाें पर कृषक कल्याण शुल्क 2 रु. प्रति सैकड़ा से घटाकर 50 पैसे प्रति सैकड़ा कर दिया है। सीएम ने कहा कि ज्वार, बाजरा, मक्का, जीरा, ईसबगोल सहित जिन कृषि जिंसों पर मंडी शुल्क पचास पैसा प्रति सैकड़ा है। अब उन पर कृषक कल्याण शुल्क की वर्तमान दर दो रु. प्रति सैकड़ा की जगह 50 पैसा प्रति सैकड़ा ली जाए। तिलहन-दलहन, गेहूं सहित जिन कृषि जिंसों पर मंडी शुल्क की दर एक रुपया तथा 1.60 रु. प्रति सैकड़ा है। अब उन पर भी वर्तमान में प्रभारित दो रु. प्रति सैकड़ा के स्थान पर एक रु. प्रति सैकड़ा शुल्क प्रभारित किया जाए। ऊन को शुल्क से मुक्त रखा जाएगा।

कारोबारियों एवं कृषि प्रसंस्करण उद्योगों को मिलेगी राहत
गहलोत ने गुरुवार को सीएम निवास पर खाद्य पदार्थ के कारोबार से जुड़े व्यापारिक संगठनों के प्रतिनिधियों से चर्चा के बाद यह निर्णय किया। उन्होंने कहा कि इस शुल्क के कारण उद्योगों व व्यापारियों को हो रही तकलीफ का अहसास सरकार को है। अब खाद्य पदार्थ से जुड़े कारोबारियों एवं कृषि प्रसंस्करण उद्योगों को राहत मिलेगी। सीमावर्ती जिलों में पड़ोसी राज्यों के मुकाबले दरों का अंतर कम होगा और प्रतिस्पर्धात्मक रूप से व्यापार करने में आसानी होगी। किसानों को भी उपज उचित दरों पर बेचने के अधिक अवसर मिल सकेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना के इस दौर में प्रदेश के व्यापारी वर्ग ने हमारे ‘कोई भूखा न सोए‘ के संकल्प को साकार करने में पूरी मदद की है।

कारोबारी कर रहे थे विरोध
राज्य सरकार द्वारा लगाए गए 2 प्रतिशत कृषक कल्याण शुल्क का बड़े स्तर पर विरोध देखने को मिल रहा था। राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ के आह्वान पर पिछले दिनों प्रदेश की सभी मंडियों में हड़ताल रही थी जबकि कुछ मंडियां अब भी इस शुल्क के विरोध में बंद है। राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ अध्यक्ष बाबूलाल गुप्ता के मुताबिक सीएम ने पिछले दिनों ही इस मसले पर सकारात्मक रुख दिखाया था। उसके बाद मण्डियों में हड़ताल वापस ले ली गई थी। अब संघ के साथ दोबारा बातचीत के बाद सीएम ने इस सम्बन्ध में अधिकारियों को शुल्क कम करने के निर्देश दे दिए हैं।

बन रहा था राजनीतिक मुद्दा
कृषक कल्याण शुल्क का विरोध प्रदेश में राजनीतिक मुद्दा भी बन रहा था। बीजेपी-रालोपा समेत विभिन्न राजनीतिक दलों ने इसे लेकर विरोध जताया था और शुल्क हटाने की मांग की थी। वहीं पिछले दिनों पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने भी ट्वीट कर राज्य सरकार से शुल्क वापस लेने की मांग की थी। विभिन्न राजनीतिक और कारोबारी संगठन भी इसे लेकर विरोध जता रहे थे।