कोटा 13 मार्च। माननीय राज्यपाल एवं कुलाधिपति श्री कलराज मिश्र ने कहा कि कृषि विश्वविद्यालय किसानों के लिए हितकर योजनाओं को अधिकाधिक लोगों तक पहुंचाने के साथ आधुनिक ज्ञान-विज्ञान के प्रसार केन्द्र के रूप में भी अपनी प्रभावी भूमिका निभाएं। उन्होंने दीक्षार्थियों को आव्हान किया कि कृषि से जुड़ी बहुआयामी षिक्षा का अधिकाधिक उपयोग मानवता के कल्याण के लिए करते हुए किसानों को फसल विविधिकरण एवं जैविक खेती की ओर प्रेरित करें।

राज्यपाल सोमवार को यूआईटी ऑडिटोरियम में आयोजित कृषि विश्वविद्यालय के षष्ठम दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता करते हुए उपस्थित जनसमुह को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि दीक्षान्त षिक्षा का नए रूप में आरम्भ है। विद्यार्थी विष्वविद्यालय में अर्जित ज्ञान को जीवन व्यवहार में उपयोग में लेकर जमीन व पानी की कमी, जलवायु परिवर्तन एवं कृषि लागत में बढ़ोतरी जैसी कृषि चुनौतियांे को दूर करने में काम लें। उन्होंने कहा कि भारत विश्व में जैविक खेती के क्षेत्र में आगे है, एक सर्वे के अनुसार 2021-22 तक जैविक खेती के तहत 44.3 लाख और 59.1 लाख हेक्टेयर रकबा लाया गया है। उन्होंने कहा कि जैविक और प्राकृतिक खेती रसायन और कीटनाशक मुक्त खाद्यान्न और फसलें उपलब्ध कराकर जमीन के स्वास्थ्य को बेहतर बनाकर पर्यावरणीय प्रदूषण भी कम करते है।

राज्यपाल ने कहा कि कृषि क्षेत्र की बहुत सारी चुनौतियों के बावजूद यह महत्वपूर्ण है कि देष में कृषि क्षेत्र का पिछले कुछ समय के दौरान तेजी से विकास हुआ है। कृषि उत्पादों के सकल निर्यातक के रूप में देष की नई पहचान बनी है। उन्होंने कहा कि देष का वर्ष 2021-22 का कृषि निर्यात 50.2 बिलियन अमरीकी डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा है, कृषि क्षेत्र की हमारी बहुत बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि कृषि विश्वविद्यालय विद्यार्थियों को गुणवत्ता युक्त शिक्षा प्रदान कर  कृषि प्रबंधन में दक्ष एवं योग्य युवा तैयार करें। जिससे विद्यार्थी भविष्य में कृषि से जुड़े उद्यम तैयार कर लोगों को रोजगार देने का कार्य कर सकें। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय कृषि से जुड़े क्षेत्र में सतत अनुसंधान विकास कर रोजगारोन्मुखी दक्षता बढ़ाने के लिए भी कार्य करे जिससे युवाओं का कृषि की ओर रूझान बढ़ सके।

राज्यपाल श्री मिश्र ने कहा कि पोषण की समस्याओं से निजात पाने के लिए भारतीय पहल पर आज पूरी दुनिया मोटे अनाज की तरफ वापस लौट रही है। ये फसलें वर्तमान कृषि चुनौतियों जैसे कम उपजाऊ जमीन, कम पानी, पोषण सुरक्षा एवं जलवायु परिर्वतन को सहने में भी कारगर साबित हुई हैं। उन्होंने कहा कि कृषि विश्वविद्यालय इस ओर विशेष रूचि लेकर कार्य कर ऐसे प्रयास करे कि मोटे अनाज से जुड़े उत्पादन के प्रसंस्करण और विपणन के लिए भी नवीनतम दिशा देश को मिल सके। उन्होंने विश्वविद्यालय द्वारा किये जा रहे नवाचारों की सराहना करते हुए अधिकाधिक लोगों तह पहुचाने का आव्हान किया।

छात्राओं का वर्चस्व सुखद पहलू

राज्यपाल ने कृषि शिक्षा में छात्राओं की बढ़ती संख्या पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि दीक्षान्त समारोह में 527 उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों मंे से कुल 23 स्वर्ण पदक प्रदान किये गये हैं, जिनमंे से 13 स्वर्ण पदक छात्राओं ने प्राप्त किये हैं, यह बहुत सुखद पहलू है। छात्राओं को यदि अवसर मिलते हैं तो वे उन्नति के शिखर छू सकती हैं। उन्होंने कहा कि छात्राओं को आगे बढ़ने के अधिक से अधिक अवसर कैसे मिले, इस पर सभी को मिलकर प्रयास करने की जरूरत है।

दलहन की नई किस्मों का लोकार्पण

राज्यपाल श्री मिश्र ने विश्वविद्यालय द्वारा क्रियाशील अनुसंधान परियोजनाओं के अंतर्गत चना व उड़द फसलों की 2 नई उन्नत किस्मों का लोकार्पण किया। समारोह में उन्होंने विश्वविद्यालय की नवनिर्मित ट्राईकोडर्मा प्रयोगशाला का लोकार्पण एवं शिक्षा प्रसार के लिए दो पुस्तिकाओं का लोकार्पण किया।

दीक्षांत समारोह के अतिथि भारतीय अनुसंधान कृषि परिषद नई दिल्ली के महा निदेशक एवं पूर्व कुलपति महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय उदयपुर डॉ. एसएल मेहता ने कृषि के क्षेत्र में किए जा रहे नवाचारों का लाभ अंतिम छोर पर बैठे किसान तक पहुंचाने का आव्हान किया। उन्होंने कृषि विविधिकरण, खाद्य प्रसंस्करण के प्रति जागरूकता लाकर किसानों को प्रेरित करते हुए कृषि की महत्ता को पुर्नस्थापित करने की बात कही। उन्होंने मोटे अनाज की महत्ता एवं जैविक खेती की आवश्यकता के बारे में भी विचार रखे।

कुलपति डॉ. अभय कुमार व्यास ने विश्वविद्यालय का प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए बताया कि अनुसंधान के माध्यम से विश्वविद्यालय में काबुली चने की तीन, उड़द की पांच किस्में विकसित की है। पौध संरक्षण एवं उद्यानिकी के लिए 30 नई तकनीकियों का विकास कर अनुसंधान की सिफारिश की है। उन्होंने विश्वविद्यालय के नवाचारों एवं विद्यार्थियों की उपलब्धियों व भविष्य की योजनाओं के के बारे में जानकारी दी। समारोह में 527 विद्यार्थियों को उपाधि प्रदान की गई, 20 विद्यार्थियों को 23 स्वर्ण पदक प्रदान किए गए। कुलसचिव एनके जैन ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर जिला कलक्टर ओपी बुनकर, पुलिस अधीक्षक शहर शरद चौधरी, कुलपति वर्धमान विश्वविद्यालय डॉ. कैलाश सोडानी, राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय प्रो. एसके सिंह, कृषि विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता सहित गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे