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Read.. why are pilot saheb so arrogant?

अशोक गहलोत ने प्रदेश के मुखिया के तौर पर सीएम पद की शपथ लेकर कमान संभाल ली है। तो वहीं दूसरी तरफ पायलट भी ‘को—पायलट’ बनकर अंतत: सरकार में शामिल हो गए हैं। लेकिन सचिन पायलट और गहलोत में चुनाव परिणाम के साथ ही रस्साकशी शुरू हो गई थी, जो अभी तक भी खत्म नहीं हो पाई है और शायद खत्म न भी हो। कारण स्पष्ट है। पायलट का सत्ता के शीर्ष सिंहासन ‘सीएम’ पद पर नहीं बैठ पाना है।

रस्सी जल गई लेकिन बल नहीं निकला… ये कहावत सचिन पायलट पर बिल्कुल मुफीद बैठती है। क्योंकि आलाकमान ने ऐसा कोई मौका नहीं छोड़ा जब पायलट पर गहलोत को तरजीह दी हो। सचिन पायलट ने टिकट वितरण में और फिर बड़े चेहरों का चुनाव नहीं लड़ने की बात कहीं थी लेकिन, राहुल गांधी सहित तमाम वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं ने गहलोत की बात मानकर सबको चुनाव लड़ने की बात कहीं थी जिसे आलाकमान ने वरियता देकर स्पष्ट कर दिया था कि राजस्थान में गहलोत ही सर्वोपरि है। वहीं, गहलोत से सियासी मात खाने वाले सचिन पायलट की नाराजगी अभी दूर नहीं हो पाई है। वे हर कदम पर ये संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि वे ही सर्वोपरी हैं, जबकि सच तो यह है कि गहलोत के हाथों ये उनकी सबसे बड़ी राजनैतिक हार हुई है जिसे वो मानने को तैयार नहीं है।

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Image: सचिन पायलट.

चुनावी जीत से शपथ ग्रहण समारोह तक कई ऐसे पल सामने आए हैं जब ‘रस्सी जल गई, लेकिन बल नहीं जा रहा…’ वाली कहावत चरितार्थ होती रही है। चुनाव जीत के बाद से ही सियासी घटनाक्रमों का दौर बना हुआ है। शपथ ग्रहण समारोह के दौरान सभी नेता एक-एक करके राहुल गांधी से मुलाकात कर रहे थे। तभी पायलट का राहुल गांंधी से आंख चुराना इस बात का साफ संकेत था कि वे अभी भी सीएम पद नहीं मिलने से नाराज है। दरअसल, समारोह के दौरान मंच पर पायलट औरों से मिलते हुए राहुल से नजरें चुराते हुए पीठ दिखाकर वहां से जाने लगे। तभी राहुल ने सचिन का हाथ पकड़ा, सचिन पलटे और कुछ कहते हुए वहां से चले गए। कहीं पायलट की नाराजगी खुलकर सामने आ रही है तो कहीं वे खुद बयानों के जरिए अपने को सर्वोपरि बताने की कोशिश कर रहे हैं।

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इतना ही नहीं, पायलट कल सचिवालय में उनके लिए बनाए गए आफिस को भी देखने पहुंचे लेकिन, उनको वो ऑफिस पसंद नहीं आया। जिसके बाद राजनीतिक गलियारों में भी दिनभर इसकी चर्चा रही। खैर, आलाकमान ने बीच का रास्ता निकालकर पायलट को भले ही डिप्टी सीएम बना दिया है लेकिन, उनकी नाराजगी बदस्तूर जारी है। जिसका अगला नमूना हमें मंत्रिमंडल के गठन के दौरान फिर देखने को मिलेगा।

Content: Prakash