जयपुर। राजस्थान में राज्यसभा की 4 सीटों के लिए पर्चा दाखिल करने का आज दूसरा दिन है, लेकिन कांग्रेस के लिए उम्मीदवारों का चयन एक बड़ी चुनौती बना हुआ है। राज्यसभा के लिए पार्टी की स्थिति एक अनार सौ बीमार जैसी है। ऐसे में उम्मीदवारों के चयन में कांग्रेस आलाकमान को राजनीतिक समीकरण साधने के साथ ही गहलोत-पायलट गुट की सियासी खींचतान को थामने के लिए मशक्कत करनी पड़ रही है। भाजपा के राज्यसभा सांसद ओम प्रकाश माथुर, केजे अल्फोंस, रामकुमार वर्मा और हर्षवर्धन सिंह डूंगरपुर का कार्यकाल 4 जुलाई को पूरा होने जा रहा है। इससे पहले 10 जून को नए राज्यसभा सदस्यों के लिए चुनाव होने हैं।

सीएम गहलोत के करीब दिनेश के नाम पर विवाद
कांग्रेस में विवाद की बड़ी वजह बनी है मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के करीबी डूंगरपुर के जिलाध्यक्ष दिनेश खोडनिया का नाम कांग्रेस से राज्यसभा के लिए दावेदारों में आना। डूंगरपुर से कांग्रेस विधायक गणेश घोघरा ने दिल्ली में पार्टी के संगठन महासचिव वेणुगोपाल से न सिर्फ खोडनिया की शिकायत की बल्कि गैर आदिवासी को आदिवासी इलाके से राज्यसभा उम्मीदवार नहीं बनाने की मांग भी की है।

कांग्रेस की परेशानी बढ़ी
पार्टी सूत्रों का दावा है कि घोघरा ने एक सीट से किसी आदिवासी को ही राज्यसभा भेजने की मांग की है। खोडनिया आदिवासी इलाके से हैं लेकिन जैन समुदाय से है आदिवासी नहीं। सिर्फ घोघरा ही नहीं राजस्थान में कांग्रेस के दूसरे आदिवासी नेता भी गैर आदिवासी को टिकट देने के खिलाफ एकजुट हो गए हैं। इससे कांग्रेस की परेशानी बढ़ गई है।

कांग्रेस विधायक का ट्वीट डूंगरपुर में कांग्रेस का बिखराव शुरू
प्रतापगढ़ से कांग्रेस विधायक रामलाल मीणा ने ट्वीट कर कहा कि डूंगरपुर में कांग्रेस का बिखराव शुरू हो गया है। कांग्रेस नेतृत्व इस पर ध्यान दे। दूसरी तरफ खोडनिया के समर्थकों का कहना है कि आदिवासियों को पंचायत से लेकर संसद तक आरक्षण मिला हुआ है। इस क्षेत्र से गैर आदिवासी को राज्यसभा भेजकर उनकी भागीदारी तय होनी चाहिए।

घोघरा और खोडनिया के बीच लड़ाई
घोघरा और खोडनिया के बीच जंग की एक वजह है घोघरा के खिलाफ डूंगरपुर पुलिस का केस दर्ज करना है। कुछ दिन पहले ‘प्रशासन गांवों के संग अभियान’ के फॉलोअप कैंप के दौरान पट्टे नहीं देने पर ग्रामीणों ने प्रशासन के अधिकारियों-कर्मचारियों को पंचायत भवन में बंधक बनाकर ताला जड़ दिया था। उस वक्त ग्रामीणों के साथ घोघरा भी तालाबंदी के बाहर धरने पर बैठे थे। इस मामले में घोघरा के खिलाफ केस दर्ज होने पर उसके लिए वे खोडनिया को जिम्मेदार मानते हैं।