राजस्थान विधानसभा चुनाव में भले ही कांग्रेस को सत्ता की कमान मिल गई हो लेकिन पार्टी के भीतरखाने कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है। टिकट बंटवारा, मुख्यमंत्री पद तथा मंत्रियों को विभाग के बंटवारे जैसे कई मुद्दे है, जिसमें सभी निर्णय कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ले रहे हैं। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर कांग्रेस पार्टी शक्तियों के केंद्रीकरण का आरोप लगाती रही है। वहीं मौजूदा परिस्थितियों में यह आरोप अब राहुल गांधी पर उठाए जा रहे हैं। राहुल गांधी पार्टी पर पकड़ मजबूत करते हुए जीते हुए राज्यों में अपना निर्णय लागू करवा रहे हैं। इससे साबित होता है कि राहुल भी अब मोदी की राह पर चल रहे हैं।
आजादी के बाद संभवतः ऐसा पहली बार देखने को मिल रहा है जब राजस्थान में कांग्रेस को बहुमत आने के छोटे-छोटे मुद्दे के लिए आलाकमान की स्वीकृति लेनी पड़ रही है। हरेक फैसले को लेकर गहलोत व पायलट के बीच बन रहा गतिरोध पार्टी के साथ ही जनता के लिए सिरदर्द बनता जा रहा है। सूत्रों की मानें तो आगामी 5 साल में गहलोत व पायलट के बीच की लड़ाई का परिणाम जनप्रतिनिधियों के साथ ही आमजन को भुगतना पड़ सकता है। उल्लेखनीय है कि राज्य में 30 मंत्री बनाए जा सकते हैं, जिसमें से अभी भी 7 सीटें खाली हैं। माना जा रहा है कि इन 7 सीटों पर असंतुष्ट दिग्गज नेताओं को लगाया जाएगा।
कांंग्रेस में चल रही खींचतान से राज्य का विकास कार्य भी लगभग ठप पड़ गया है। 11 दिसंबर को चुनाव नतीजों के बाद से प्रदेश में कई कार्य अधूरे पड़े हैं। जीत के बाद कांग्रेस के कई विरोधाभास 15 दिन में ही सामने आ चुके हैं। आने वाले 5 साल में तो पता नहीं क्या-क्या देखने को मिलेगा। ये तो तय है कि आने वाले समय में राजस्थान कांग्रेस में जो भी फैसले होंगे वो उसके सर्वेसर्वा राहुल ही होंगे।