जयपुर। प्रदेश पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह आम तौर पर पार्टी लाइन से परे जाकर बेबाक बयानों के लिए चर्चा में रहते आए हैं। विश्वेंद्र सिंह एक बार फिर अपने ट्वीट को लेकर सुर्खियों में छाए हुए हैं। विश्वेंद्र सिंह अपने विभाग व्याप्त भ्रष्टाचार से परेशान है। वे चाहते हैं कि राजस्थान पर्यटन विकास निगम अर्थात आरटीडीसी में व्याप्त भ्रष्टाचार की जांच एक स्वतंत्र संस्था द्वारा कराई जानी चाहिए। विश्वेंद्र सिंह के 1 मई से लेकर 5 मई तक के बीच किए गए ट्वीट और उस पर विरोधी दलों के नेताओं की प्रतिक्रिया और फिर उन पर फिर विश्वेंद्र सिंह के जवाब का तरीका सियासी हलकों में चर्चा का विषय बना हुआ है। विश्वेंद्र सिंह ने 1 मई को ट्वीट करके खुद के विभाग से जुड़े राजस्थान पर्यटन विकास निगम (आरटीडीसी) के भ्रष्टाचार की स्वतंत्र एजेंसी से जांच की मांग की थी। उन्‍होंने इस बाबत मुख्‍यमंत्री को लिखी अपनी एक चिट्ठी भी ट्वीट की थी।

विश्वेंद्र सिंह ने की सतीश पूनिया की तारीफ
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने इस अंदाज की तारीफ की तो बदले में विश्वेंद्र सिंह ने भी पूनिया की तारीफ की। आरटीडीसी को लेकर विश्वेंद्र सिंह के शुरु से ही तल्ख तेवर रहे हैं। कुछ माह पहले विश्वेंद्र सिंह ने आरटीडीसी में टेंडर्स को लेकर गड़बड़ियों का मामला सार्वजनिक रूप से उठाया था। इसके बाद, टेंडर रद्द करने पड़े थे। आपको बता दें कि आरटीडीसी एक स्वतंत्र निगम है। यह निगम पर्यटन मंत्री के अधीन तो नहीं आता है, लेकिन इससे जुड़े सवालों के जवाब के लिए पर्यटन मंत्री ही उत्तरदायी है। इसी बात को लेकर उनकी तलखी सामने आती रहती है।

सीएम गहलोत को लिखा पत्र
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को लिखे पत्र में विश्वेंद्र सिंह ने अपने विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार पर पीड़ा जताते हुए कहा कि वित्तीय अनियमितता व भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति स्थापित करने के लिए विस्तृत जांच होनी चाहिए। प्रदेश में भ्रष्टाचार की जांच करने वाले राज्य पुलिस में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो पर विश्वेंद्र सिंह को विश्वास नहीं है। इस कारण वे चाहते हैं कि डिलॉयट इंडिया, के.पी.जे.एम,पी.डब्लयू.सी एवं अर्नेस्ट एंड यंग आदि में से किसी एक संस्था से आरटीडीसी में व्याप्त भ्रष्टाचार की जांच कराई जानी चाहिए।

45 करोड़ के ठेका ​देने पर जताई थी नाराजगी
उल्लेखनीय है कि इससे पहले भी विश्वेंद्र सिंह ने पर्यटन विभाग में 45 करोड़ के लाइट एंड साउंड का ठेका एक कंपनी को दिए जाने को लेकर नाराजगी जताई थी। पर्यटन विभाग के तत्कालीन निदेशक पद पर तैनात आईएएस अधिकारी के.बी.पंड्या के साथ उनका लंबा विवाद चला था। इस मामले में विश्वेंद्र सिंह की नाराजगी इस बात को लेकर थी कि अधिकारियों ने उनकी स्वीकृति के बिना लाइट एंड साउंड के पांच कार्यों के लिए एकल निविदा जारी कर दी थी।