FaceApp भी जिसको बूढ़ा ना बना पाए उसका नाम है राहुल गांधी
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राजस्थान की 25 सीटों के लिए 29 अप्रैल व 6 मई को होने वाले लोकसभा चुनाव की रणभेरी में कांग्रेस व भाजपा ने पूरी ताकत झोंक रखी है। भाजपा की पहली लिस्ट के बाद आखिरकार कांग्रेस ने गुरुवार देर रात प्रदेश की 19 लोकसभा सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। वहीं शेष 6 सीटों पर अभी भी कांग्रेस का मंथन जारी है। कांग्रेस की ओर से जारी सूची पर गौर करे तो पार्टी ने 10 पूर्व सांसदों व 6 नए चेहरों पर भरोसा जताया है। वहीं 5 ऐसे प्रत्याशी उतारे गए हैं जो हाल ही में विधानसभा चुनाव की हार झेल चुके हैं।

हाल ही सम्पन्न हुए विधानसभा चुनावों में हारे हुए प्रत्याशियों को लोकसभा की टिकट देने के बाद राजनीतिक गलियारों में तरह-तरह की चर्चाएं होने लगी है। सामान्यतः कोई भी दल विधानसभा चुनाव में हारे हुए व कमजोर प्रत्याशियों को लोकसभा टिकट देने से परहेज करती है। लेकिन कांग्रेस की ओर से हारे हुए नेताओं को टिकट देना लोकसभा चुनाव में पार्टी पर भारी पड़ सकता है। क्योंकि राजनीतिक जानकारों का कहना है कि जो नेता विधानसभा में ही बेहतरीन प्रदर्शन नहीं कर पाए वो कई विस क्षेत्रों को शामिल किए हुए जिले से चुनाव किस आधार पर जीत सकते हैं।

कांग्रेस ने लंबी खींचतान के बाद प्रमुखतः जोधपुर से सीएम अशोक गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत, बाड़मेर से मानवेंद्र सिंह, जयपुर से ज्योति खण्डेलवाल व अलवर से पूर्व केन्द्रीय मंत्री जितेन्द्र सिंह को टिकट दिया है। गौरतलब है कि भाजपा की सूची जारी होने के लंबे समय बाद भी कांग्रेस की टिकट वितरण में सहमति न बन पाना कहीं न कहीं पार्टी नेताओं के बीच मनमुटाव का संकेत देता है। कांग्रेस की सूची जारी होने के बाद हर किसी के मन में यही सवाल है कि क्या वाकई लोकसभा चुनाव फतह करने के लिए कांग्रेस मजबूत प्रत्याशियों की कमी से जूझ रही है?