जयपुर। प्रदेश के किसान एक तरफ जहां कोरोना महामारी की मार सह रहे है, वहीं दूसरी तरफ गहलोत सरकार ने कृषक कल्याण शुल्क लगा दिया है। राजस्थान सरकार कृषि जिंसों (व्‍यापारियों द्वारा कृषि उत्‍पाद बेचे जाने पर) पर अब 2 फीसदी कृषक कल्याण शुल्क वसूलेगी। कृषि विभाग ने इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी है। अधिसूचना के मुताबिक, मंडी क्षेत्र में खरीद और बिक्री की गई कृषि उपज पर यह शुल्क लगाया जाएगा। मंडी समितियों द्वारा वसूले जाने वाले इस शुल्क की दर प्रति 100 रुपये पर 2 रुपये यानि 2 प्रतिशत रहेगी। एमएसपी खरीद पर यह शुल्क नहीं वसूला जाएगा। अब इस फैसले का विरोध भी शुरू हो गया है। राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ ने कृषक कल्याण शुल्क हटाने की मांग कर रहे है। प्रदेश में अभी कृषि जिंसों पर 1.60 प्रतिशत मंडी शुल्क लगता है। अब 2 प्रतिशत कृषक कल्याण शुल्क लगने के बाद यह टैक्स बढ़कर 3.60 प्रतिशत हो जाएगा। फिलहाल किसानों को ना केवल परेशानी हो रही है, बल्कि नुकसान भी झेलना पड़ रहा है। पिछले डेढ़ माह से मंडियां बंद होने से किसानों के लिए उपज बेचना मुश्किल था, हालांकि सरकार ने औपचारिकता के तौर पर मंडियां खुलवाई, लेकिन पूरे व्यापारी नहीं आने से ऑक्सन में किसानों को पूरे भाव नहीं मिल रहे थे। इसका सीधा असर आम आदमी की जेब पर पड़ेगा और महंगाई बढ़ेगी।

कोरोना के बहाने चौतरफा लूट
राज्य सरकार ने इस फैसले पर किसान नेता गुरुचरण सिंह मोड ने विरोध जताया है। किसान नेता ने कहा कि कोरोना के बहाने सरकार ने चौतरफा लूट शुरू कर दी है। कृषि जिंसों पर 2 फीसदी शुल्क लगाने से महंगाई बढ़ेगी जिसका खामियाजा आम आदमी को उठाना पड़ेगा। इसके साथ ही किसानों और व्यापारियों को भी इसका नुकसान होगा। जयपुर दाल मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष बाबूलाल गोयल ने कहा है कि हम सरकार के फैसले का विरोध करते हैं, क्योंकि इससे कीमतें बढ़ेंगी। उन्होंने कहा कि आज एसोसिएशन की मीटिंग कर विरोध का स्वरूप तय किया जाएगा। उधर, कृषि मंत्री लालचंद कटारिया ने कहा कि यह विभाग मुख्यमंत्री के अधीन है, लिहाजा वो इसमें कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं है।

व्यापारी रखेंगे अनिश्चितकाल के लिए हड़ताल
राजस्थान सरकार ने मंडी में क्रय व विक्रय की जाने वाली जिंसों पर 2 प्रतिशत किसान कल्याण शुल्क वसूलने की अधिसूचना जारी की है। इसके विरोध में कृषि मंडी व्यापार मंडल के सभी व्यापारी अनिश्चितकाल के लिए हड़ताल रखेंगे। नागौर कृषि मंडी व्यापार मंडल अध्यक्ष मूलचंद भाटी ने कहा कि इस हड़ताल को तभी समाप्त किया जाएगा, जब राजस्थान सरकार इस शुल्क को खत्म कर देगी। इसके लिए सभी व्यापारियों को सूचित कर दिया है कि कोई भी अपनी दुकान पर किसी भी तरह की कृषि जिंस की छन्नाई, तुलाई एवं नीलामी नहीं कराएगा।

फसल खरीद पर पड़ेगा विपरीत असर
राजस्थान सरकार ने प्रदेश भर के अनाज और दाल कारोबार (खरीद-फरोख्त) पर 2 प्रतिशत मंडी शुल्क लगा दिया है। इसको लेकर राजस्थान भर में आढ़तियों ने हड़ताल शुरू कर दी है। माना जा रहा है कि कोविड-19 की वैश्विक महामारी के चलते हैं राजस्थान सरकार वैसे ही दबाव में है। ऐसी स्थिति का लाभ लेने के लिए अनाज-दाल कारोबारी (आढ़तिये) राज्य सरकार पर दबाव की रणनीति के तहत कारोबार बंद कर कॉम्प्रोमाइज कराने का प्रयास कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि रबी की फसल को बेचने का इस वक्त पीक सीजन है। ऐसे समय में अगर मंडियों में आढ़तिये कारोबार को रोकते हैं, तो इससे किसानों को अपना अनाज बेचने में दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा।

किसान कल्याण पर खर्च होगी राशि
कृषि विपणन बोर्ड के डायरेक्टर ताराचंद मीणा ने किसानों और व्यापारियों द्वारा किए जा रहे विरोध को गलत बताया है। मीणा ने कहा कि वसूली जाने वाली यह राशि किसानों के कल्याण पर खर्च होगी। पिछले साल राज्य सरकार ने एक हजार करोड़ की राशि से कृषक कल्याण कोष का गठन किया था। यह राशि उसमें जमा होगी। किसानों को उनकी उपज का वास्तविक मूल्य दिलाने समेत अन्य किसान हित के कार्यों पर यह राशि खर्च की जाएगी।