जयपुर। राजस्थान विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है। 25 नवंबर को वोटिंग के बाद 3 दिसंबर को चुनाव के परिणाम घोषित कर दिए जाएंगे। प्रदेश में बीजेपी गुजरात लैब से निकाला ‘नो रिपीट फॉर्मूला’ लागू नहीं कर सकी। पार्टी ने दो लिस्ट जारी कर दी है। 200 में 174 उम्मीदवार घोषित कर दिए है। इसके अलग-अलग मायने निकाले जा रहे हैं। बीजेपी के बड़े नेता इसके फायदे बता रहे थे। लेकिन सियासी जानकारों का कहना है कि वसुंधरा राजे की बगावत से डरी बीजेपी आलाकमान ने पीछे हटना ही उचित समझा है। राजस्थान में बीजेपी ने नो रिपीट के फाॅर्मूले से परहेज किया है। 200 में से 174 उम्मीदावर पार्टी ने घोषित कर दिए है। इसके अधिकांश पुराने चेहरों पर ही दांव लगाया है।

वसुंधरा राजे की बगावत से डरी बीजेपी आलाकमान
बीजेपी ने वसुंधरा राजे समर्थकों को भी बंपर टिकट दिए है। ‘नो रिपीट फॉर्मूले’ यानि पुराने चेहरे को जगह नए चेहरो को चुनाव लड़ाने का दांव। सियासी जानकारों का कहना है कि वसुंधरा राजे के डर से बीजेपी ने ऐनवक्त पर अपनी रणनीति में बदलाव किया है। यही वजह है कि लिस्ट जारी होने से पहले खुद बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने जिताऊ और नए चेहरों को टिकट देने के संकेत दिए थे।

वसुंधरा राजे समर्थकों को भी बंपर टिकट
बीजेपी ने दूसरी सूची में 83 उम्मीदवारों की घोषणा कर चौंका दिया है। इस सूची में पुराने चेहरे हैं। अधिकांश वसुंधरा राजे समर्थक है। उल्लेखनीय है कि बीजेपी में लिस्ट जारी होने से पहले अटकलों का बाजार गर्म था कि बीजेपी राजस्थान में भी गुजरात की तर्ज पर नो रिपीट वाला फाॅर्मूला लागू करेगी।

पुराने चेहरों पर दी दांव
सियासी जानकारों का कहना है कि बीजेपी ने नए चेहरों पर दांव लगाने से परहेज किया है। अधिकांश पुराने चेहरों पर ही दांव खेलकर वसुंधरा राजे कैंप को तवज्जो दी है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि बीजेपी चुनाव से पहले वसुंधरा राजे के नाराज नहीं करना चाहती है। दूसरी वजह यह है कि राजस्थान बीजेपी में वसुंधरा राजे से बड़ा कोई चेहरा नहीं है। ऐसे में पार्टी के शीर्ष नेता चाहते हुए भी गुजरात फाॅर्मूले को लागू नहीं कर सके है।

मौजूदा 53 विधायकों का हुआ विरोध
आपको बता में लिस्ट जारी होने से पहले बीएल संतोष, जेपी नड्डा और अमित शाह ने पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ मैराथन बैठकें की थी। फीडबैक लिया। मौजूदा 53 विधायकों का विरोध हुआ। ये वे विधायक है जो लगातार अपनी सीट पर हैट्रिक लगा चुके हैं। फीडबैक में यह भी सामने आय़ा कि स्थानीय स्तर पर लोगों में नाराजगी है। इसके बावजूद पार्टी ने टिकट नहीं काटे है।

गुजरात में बदल थी पूरी टीम
बीजेपी ने गुजरात चुनाव जीतने के लिए मुख्यमंत्री समेत पूरी कैबिनेट को ही बदल दिया था। जिसके तहत बीजेपी को गुजरात में बंपर जीत मिली थी। इसके बाद कयास लगाए जा रहे थे कि बीजेपी राजस्थान में यही प्रयोग कर सकती है। जेपी नड्डा और अमित शाह ने ऐसे संकेत भी दिए थे।

नए चेहरों से परहेज
बीजेपी की दो लिस्ट जारी होने के बाद साफ हो गया है कि पार्टी नए चेहरों को टिकट देकर किसी तरह का जोखिम नहीं लेना चाहती है। चर्चा है कि पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने अपने समर्थक विधायकों की लिस्ट सौंप थी। अधिकांश नेताओं के टिकट मिल गया है। हालांकि, कुछ कट्टर समर्थकों के टिकट भी कटे हैं। लेकिन इनकी संख्या बहुत कम है।

CM फेस के रूप में पिछड़ी दीया कुमारी
चर्चा है कि चुनाव के बाद राजस्थान का सीएम कौन बनेगा। अगर बीजेपी चुनाव जीतती है तो माना जा रहा है कि दीया कुमारी को पार्टी वसुंधरा राजे के रिप्लेसमेंट के तौर पर पेश कर सकती है। लेकिन एक लेटेस्ट सर्वे ने दीया कुमारी की चिंता बढ़ा दी है। सीएम पद के तौर पर जनता की पसंद में वह बाकी नेताओं से काफी पिछड़ती हुई नजर आ रही हैं।

सर्वे ने बताया जनता की पहली पसंद कौन है
इंडिया टीवी सीएनएक्स के लेटेस्ट ओपिनियन पोल में सीएम पद के लिए 32.5 प्रतिशत वोटरों ने अशोक गहलोत को पसंद किया। पूर्व सीएम वसुंधरा राजे को 26.98 प्रतिशत लोगों ने सीएम पद के लिए वोट किया। सचिन पायलट को 12.35 प्रतिशत, गजेंद्र सिंह शेखावत को 10.07 प्रतिशत, राज्यवर्धन सिंह राठौर को 7.81 प्रतिशत, जबकि दीया कुमारी को महज 3 प्रतिशत लोगों ने पसंद किया।

दीया कुमारी ने वसुंधरा को बताया ‘गुरु’
एक टीवी चैनल को दिए गए इंटरव्यू में दीया कुमारी ने तमाम अटकलों पर विराम लगाते हुए वसुंधरा राजे को अपना ‘गुरु’ तक बताया। उन्होंने कहा कि मैं वसुंधरा जी का बहुत सम्मान करती हूं जो राजनीति में मेरी गुरु भी रही हैं। हम सभी बीजेपी के सिपाही हैं और पार्टी जो भी जिम्मेदारी देगी उसे पूरा करने के लिए हमेशा तैयार हैं। फिलहाल मेरा फोकस विद्याधरनगर सीट पर है।