जयपुर। राजस्थान में गहलोत सरकार नये रूप में सामने आ गई है। करीब डेढ़ साल की लंबी जद्दोजहद के बाद गहलोत कैबिनेट का विस्तार हो गया है। 15 विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ले ली है। इन 15 में से 12 नये मंत्री बनाये गये हैं जबकि तीन पुराने राज्यमंत्रियों को प्रमोट कर उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। वहीं राजस्थान में मंत्रिमंडल गठन के बाद कांग्रेसी विधायकों में असंतोष के स्वर फूटने लगे हैं।

निर्दलीय विधायकों ने गहलोत सरकार को बनाया था
अशोक गहलोत सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार में 13 निर्दलीय विधायकों में से एक को भी जगह नहीं मिली है। बीते साल सियासी संकट के समय निर्दलीय विधायकों ने गहलोत सरकार को बचाने में अहम भूमिका निभाई थी। उसके बाद ही हाल ही में सीएम अशोक गहलोत ने एक कार्यक्रम में कहा था कि वे निर्दलीयों विधायकों के सहयोग को कभी नहीं भूल सकते। लेकिन अब मंत्रिमंडल में निर्दलीय विधायकों को जगह नहीं मिलने से उनमें मायूसी छायी हुई है। वहीं कुछ विधायकों ने नाराजगी भी जाहिर की है।

मंत्री नहीं बनाने पर भड़के 6 बार के MLA दयाराम
उदयपुर से खेरवाड़ा के विधायक दयाराम परमार को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली। उनका दर्द सामने आया है। उन्होंने रविवार को मंत्रिमंडल गठन के बाद सीएम अशोक गहलोत को लेटर लिखकर पूछा है कि मंत्री बनने के लिए क्या योग्यता जरूरी होती है, यह बताया जाए? परमार ने पूछा कि ऐसा लगता है कि मंत्री बनने के लिए कोई विशेष योग्यता की जरूरत होती है। कृपया हमें बताने की कृपा करें कि वह विशेष काबिलियत क्या है? ताकि उसे हासिल करके भविष्य में मंत्री बनने की कोशिश की जा सके। दयाराम परमार 6 बार के विधायक रहे हैं। अशोक गहलोत की 1998 और 2008 सरकार में परमार राज्यमंत्री रहे थे। मगर इस बार उन्हें मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली।

जौहरीलाल मीणा ने भी किया था विरोध
अलवर ग्रामीण सीट से कैबिनेट मंत्री बनाए गए टीकाराम जूली के विरोध में कांग्रेस के ही अलवर के रामगढ़-लक्ष्मणगढ़ से वरिष्ठ विधायक जौहरीलाल मीणा खुलकर सामने आए थे। जौहरीलाल मीणा ने टीकाराम जूली पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाए जाने पर अलवर के लिए काला दिवस बताया था। जौहरीलाल ने कहना था कि हमें पार्टी और लीडर से कोई नाराजगी नहीं है। मंत्री से नाराजगी है।