जयपुर। राजस्थान विधानसभा चुनाव में अब कुछ समय ही बचा है। भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस सहित सभी पार्टियों अपनी अपनी रणनीति में जुटी हुई है। इसी कड़ी में राजस्थान विधानसभा चुनाव को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने आवास पर राजस्थान के सांसदों संग चुनावी रणनीति पर चर्चा की। इस बैठक में सांसदों के अलावा राजस्थान से जुड़े अन्य नेता भी मौजूद रहे। मीटिंग में पूर्व सीएम वसुंधरा राजे भी मौजूद रहीं। बैठक में पीएम मोदी प्रदेश की राजनीति, कांग्रेस सरकार की योजनाओं, सरकार के खिलाफ आगामी प्रदर्शनों सहित अन्य मद्दों लेकर भी चर्चा की।

वसुंधरा राजे सहित कई नेता हुए शामिल
पीएम मोदी के साथ हुई मीटिंग में राजस्थान की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के अलावा कई सांसद और अन्य नेता भी मौजूद रहे। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव, राजस्थान प्रभारी अरूण सिंह, राष्ट्रीय मंत्री अल्का गुर्जर, प्रदेश सह चुनाव प्रभारी कुलदीप विश्नोई सहित राजस्थान से जुड़े अन्य नेता भी बैठक में मौजूद रहे।

पीएम मोदी ने दी नसीहत
सूत्रों के अनुसार बैठक में पीएम मोदी ने सांसदों सहित अन्य नेताओं से राजस्थान में आगामी विधानसभा चुनाव व संगठन को लेकर फीडबैक लिया। वहीं सूत्रों के अनुसार बैठक में पीएम मोदी ने प्रदेश के नेताओं को यह नसीहत भी दी है कि वह अति आत्मविश्वास में ना रहे। बल्कि जमीन से जुड़कर चुनाव की तैयारियों में जुट जाएं। बैठक में पीएम मोदी प्रदेश की राजनीति, कांग्रेस सरकार की योजनाओं, सरकार के खिलाफ आगामी प्रदर्शनों सहित अन्य मद्दों लेकर भी चर्चा की।

बीजेपी विधायकों के साथ भी करेंगे फीडबैक
पीएम मोदी ने बीजेपी के सांसदों से साफ कह दिया है कि गुटबाजी से बचे। पार्टी हित में काम करें। ऐसी चर्चा है कि सांसदों से फीडबैक कार्यक्रम के बाद पीएम मोदी प्रदेश के बीजेपी विधायकों के साथ भी फीडबैक बैठक कर सकते हैं। बीजेपी सूत्रों की माने तो इसे लेकर भी कार्यक्रम तैयार किया जा रहा है। अगस्त के अंतिम सप्ताह में यह फीडबैक कार्यक्रम आयोजित हो सकता हैं।

 राजे जैसी कुशल रणनीतिकार, जुझारू और कद्दावर नेता नहीं
विशेष कर पूर्व सीएम की सभाओं में महिलाएं स्वतः ही खींची चली आती है। प्रदेश भाजपा में वसुंधरा राजे के कद के मुक़ाबले कोई बड़ा नेता नही है, जो वर्तमान परिस्थितियों में अशोक गहलोत की कांग्रेस सरकार का मुक़ाबला कर सकें। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यदि भाजपा में राजे की स्थिति कमजोर रहती है तों पार्टी को काफी नुकसान होगा।

राजे ही बीजेपी की चुनावी वैतरणी को लगा सकती है पार
गहलोत सरकार वर्तमान में अपने महंगाई राहत शिविरों और लोकप्रिय योजनाओं से वोटरों को साध रहें है फिर साढ़े चार वर्षों के बाद भी प्रदेश में गहलोत सरकार के विरोध में कोई सत्ता विरोधी लहर नही दिखाई दे रही है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष युवा है और उनकी छवि भी अच्छी है। इसलिए यदि उन्हें चुनाव संचालन समिति की अध्यक्ष के रूप में वसुंधरा राजे जैसी कुशल रणनीति कार और जुझारू तथा क़द्दावर नेता का साथ मिल जायें तों भाजपा की चुनावी वैतरणी को पार करने की संभावनाओं को बल मिल सकता है।