जयपुर। निजी स्कूलों को कोरोना काल में फीस वसूली के मामले में राजस्थान हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने निजी स्कूल संचालकों को बड़ी राहत देते हुए कहा है कि वे अपनी टोटल फीस का 70 प्रतिशत पेरेंट्स से तीन किस्तों में चार्ज कर सकते हैं। वहीं अगर कोई पेरेंट्स यह फीस नहीं दे सकता है तो स्टूडेंट्स को दी जा रही ऑनलाइन क्लासेज रोकी जा सकती हैं। लेकिन उसका नाम स्कूल से नहीं काटा जाएगा। यह आदेश सोमवार को जस्टिस एसपी शर्मा की अदालत ने कैथोलिक एजुकेशन सोसायटी, प्रोग्रेसिव एजुकेशन सोसायटी और अन्य याचिका पर दिया। इन तीन याचिकाओं के जरिए करीब 200 स्कूलों ने राज्य सरकार के फीस स्थगन के आदेश को चुनौती दी थी।

फीस का 70 प्रतिशत कराना है जमा
कोर्ट ने कहा कि ये तीन किस्तें मार्च 2020 से 30 सितंबर 2020, 30 नवंबर 2020 और 31 जनवरी 2021 को ली जाएं। वहीं, अदालत ने स्पष्ट किया कि यह फीस नहीं देने पर स्टूडेंट्स काे केवल ऑनलाइन क्लासेज में शामिल होने की मंजूरी नहीं दी जाए लेकिन उस स्टूडेंट का नाम स्कूल से नहीं काटा जाए। अदालत ने कहा कि बाकी 30 फीसदी फीस का मुद्दा याचिका के अंतिम निस्तारण के स्तर पर तय किया जाएगा। जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा ने यह आदेश सोसायटी ऑफ कैथोलिक एजुकेशन इंस्टीट्यूशंस इन राजस्थान व प्रोग्रेसिव स्कूल एसोसिएशन व अन्य की याचिकाओं पर दिया।

अभिभावकों के सामने यह कन्फ्यूजन पैदा हो गया है
दूसरी ओर राज्य सरकार की पैरवी करने वाले अतिरिक्त महाधिवक्ता राजेश महर्षि का कहना है कि ऐसा नहीं है। कोर्ट का ऑर्डर कहता है कि निजी स्कूल संचालक केवल ट्यूशन फीस का 70 प्रतिशत चार्ज के सकते हैं, जो कि बहुत बड़ी राशि नहीं होती है। पूरी फीस का 70 प्रतिशत वसूलने की बात कहीं भी ऑर्डर में नहीं है। ऐसे अब अभिभावकों के सामने यह कन्फ्यूजन पैदा हो गया है की आखिर उन्हें स्कूल में कितनी फीस जमा करानी है।

हमारा आय का एकमात्र स्रोत फीस है, वेतन जैसे खर्चे कैसे देंगे : निजी स्कूल
प्रार्थी स्कूल संचालकों की ओर से अधिवक्ता दिनेश यादव व अलंकृता शर्मा ने राज्य सरकार के 9 अप्रैल 2020 व 7 जुलाई 2020 के आदेशों को चुनौती देते हुए कहा कि स्कूल संचालक स्कूल फीस कानून के तहत अभिभावकों से फीस लेते हैं। निजी स्कूलों के पास आय का एकमात्र जरिया स्कूल फीस ही होती है। फीस से ही टीचर और स्टाफ आदि के वेतन के साथ ही स्कूल विकास के लिए लोन व अन्य किश्तों का भुगतान होता है, फीस न ली तो कैसे भरेंगे?। स्कूल संचालकों को बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई का खर्च भी वहन करना पड़ रहा है। इसलिए राज्य सरकार के स्कूल फीस स्थगित करने वाले आदेश को रद्द किया जाए और याचिका लंबित रहने के दौरान ट्यूशन फीस वसूलने की छूट दी जाए।