जयपुर। राजस्थान में कोयले का संकट फिर से खड़ा हो गया है। प्रदेश में एक बार फिर बिजली व्यवस्था बिगड़ने का अनुमान लगाया जा रहा है। इसके चलते ग्रामीण इलाकों में बिजली कटौती शुरू हो गई है और पिछले 24 घंटें के भीतर सैकड़ों गांवों में कई-कई घंटे बिजली गुल हो चुकी है। कोल इंडिया राजस्थान को कोयले की जरूरत के मुताबिक पूरी सप्लाई अब भी नहीं दे पा रहा है। भारत सरकार से हुई वार्ता और वादे के मुताबिक कोल इंडिया को रोजाना 7 रैक कोयला भेजना था, लेकिन 4 रैक कोयला ही राजस्थान को भेजा जा रहा है। इसका सीधा असर बिजली बनाने वाले पावर प्लांट पर पड़ रहा है। उन्हें बंद करना पड़ रहा है।

ग्रामीण इलाकों में छा सकता है अंधेरा
बिजली खपत भी 20 करोड़ यूनिट रोजाना से बढ़कर 24 करोड़ यूनिट हो गई है। ऐसे में आने वाले दिनों में बिजली संकट बढ़ सकता है। कोयले का संकट बढ़ा तो ग्रामीण इलाकों में त्योहार पर बिजली कटौती की तलवार लटकेगी और ग्रामीण परेशान होते रहेंगे। बिजली कम्पनियों के आला अधिकारियों का कहना है कि राजस्थान में कोयला संकट की आहट के चलते 2500 मेगावट के प्लांट बंद करने पड़े हैं। कुछ प्लांट में दो दिन तो कुछ में 4 से 6 दिन का कोयला ही बचा है।

10 यूनिट्स को करना पड़ा बंद
जयपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के मुताबिक कोयले की कमी के कारण सूरतगढ़ थर्मल की 250-250 मेगावट की 5 यूनिट बंद हैं। टेक्निकल कारणों से छबड़ा की 660 मेगावाट की 1 यूनिट, कालीसिंध की 600 मेगावाट की 1 यूनिट और छबड़ा थर्मल की 250 मेगावाट की 3 यूनिट बंद हैं। इस वजह से 3260 मेगावाट बिजली का प्रोडक्शन कम हो पा रहा है। कोल इंडिया की तरफ से कोयले की पर्याप्त आपूर्ति नहीं होने की वजह से सूरतगढ़ थर्मल की 250 मेगावाट की 5 इकाइयां बंद हैं। जबकि छबड़ा थर्मल की 250 मेगावाट की 2 इकाइयों के लिए कोल इंडिया काफी समय से कोयले की आपूर्ति नहीं कर रहा है।

यह बताई जा रही हैं वजह
देश में कोयला संकट को लेकर ऊर्जा मंत्रालय का कहना है कि कोयले का उत्पादन और उसके आयात में आ रही परेशानी ही संकट की सबसे बड़ी वजह है। उधर, मानसून के चलते कोयला उत्पादन में कमी आई है। अधिकारियों का कहना है कि भारी बारिश के कारण खदानों में पानी भर जाने की वजह से कोयले की निकासी नहीं हो पा रही है। देश के जिन बिजलीघरों में कोयले का स्टॉक कम रह गया है वहां उत्पादन घटा दिया गया है।