बीकानेर। आज जहां अनेक भाषाओं के साहित्य में कहने का भाव खत्म हो रहा है, वहीं राजस्थानी का कहानीकार कहानी लेखन की परंपरा को बचाए खड़ा है। राजस्थानी के प्रख्यात नाटककार और आलोचक डॉ. अर्जुन देव चारण ने वरिष्ठ कवि-कथाकार राजेन्द्र जोशी के राजस्थानी कथा संग्रह ओट और काव्य संग्रह हेली रा हेला के लोक निजर उच्छब के दौरान यह उद्गार व्यक्त किए।

शब्दरंग साहित्य एवं कला संस्थान और मुक्ति संस्था की ओर से नरेंद्र सिंह ऑडिटोरियम में आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि राजस्थानी में कहानी लेखन की समृद्ध परंपरा रही है। राजस्थानी की कहानियों में सामाजिक चेतना के स्वर होते हैं। वहीं यह कहानियां यथार्थ के इर्द गिर्द घूमती हैं।

उन्होंने कहा कि जोशी अपने कहानी संग्रह ओट में कहानी लेखन की इस परंपरा को आगे बढ़ाने में सफल हुए हैं। उन्होंने कहा कि जहां राजस्थानी कविताएं जन मानस के मन के नजदीक होती हैं, वहीं कहानियों का अपना पाठक वर्ग है। उन्होंने कहा कि जोशी ने दोनों विधाओं में अपनी लेखनी चलाई है। राजस्थानी भाषा की मान्यता की लड़ाई में यह प्रयास मील का पत्थर साबित होगा।

वरिष्ठ कवि साहित्यकार मधु आचार्य आशावादी ने कहा कि कविता हमेशा मनुष्य की आत्मा से बात करती है। राजस्थानी के कवियों ने चेतना के स्वर को बुलंद किया है। जोशी की कविताएं छोटी होने के बावजूद संदेशपरक हैं। उन्होंने कहा कि जोशी की रचनाएं काव्य परंपरा की प्रतिनिधि रचनाएं बनकर उभरी हैं।

इस अवसर पर राजेंद्र जोशी ने अपनी दोनों पुस्तकों की रचनाओं के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि उनके द्वारा लिखे गए प्रत्येक शब्द के लिए वह स्वयं जिम्मेदार हैं। प्रत्येक साहित्यकार को इसकी जिम्मेदारी उठानी चाहिए । उन्होंने लेखक के एक्टिविस्ट होने की पैरवी की। साथ ही संवेदना को लेखकिया कर्म की सर्वोच्च आवश्यकता बताया।

इससे पहले डॉ अजय जोशी ने स्वागत उद्बोधन दिया। उन्होंने कहा कि जोशी द्वारा साहित्य की विभिन्न विधाओं में सतत लेखन किया जा रहा है।कवियत्री-आलोचक डॉ. रेणुका व्यास ‘नीलम’ ने हेली रा हेला और युवा साहित्यकार हरि शंकर आचार्य ने ओट पर पत्र वाचन करते हुए दोनों पुस्तकों के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला।

साहित्यकार राजाराम स्वर्णकार ने आभार जताया। कार्यक्रम का संचालन हरीश बी. शर्मा ने किया। इस अवसर पर शब्दरंग साहित्य एवं कला संस्थान एवं सखा संगम संस्था द्वारा राजेन्द्र जोशी का सम्मान किया गया।

पुस्तकें इन्हें की अर्पित

राजेंद्र जोशी ने शिवकुमार पुरोहित, किशन पुरोहित, हनुमान पुरोहित, शक्ति रतन रंगा, रविन्द्र आचार्य को ओट एवं अमरनाथ व्यास खुशाल चंद जोशी, विजय खत्री, शिवकुमार थानवी, हरि किशन जोशी, विजय जोशी, सुनील पुरोहित एवं रवि आचार्य को हेली रा हेला कविता संग्रह अर्पित की। अपने गुरु भंवरलाल भ्रमर को भी दोनों पुस्तकें अर्पित की। कार्यक्रम के दौरान इन सभी को पुस्तकें भेंट भी की गई।

इनके साक्ष्य में हुआ कार्यक्रम

कार्यक्रम में कार्यक्रम में के.एल. बोथरा, भंवरलाल भ्रमर, ओमप्रकाश सारस्वत, कमल रंगा, चंचला पाठक, मनीषा आर्य सोनी, इंदिरा व्यास, डॉ. गौरी शंकर प्रजापत, विजय कोचर, दिनेश चूरा, हीरालाल हर्ष, ओम कुबेरा, रेवती रमण झा, जगदीश रतनू, डॉ. प्रशांत बिस्सा, दयानंद शर्मा, मोहर सिंह मीणा, सरदार अली परिहार, चंद्रशेखर जोशी, नागेश्वर जोशी, डॉ. नासिर जैदी, भैरव रतन बोरा, सरल विशारद, ज्ञानेश्वर सोनी, सोहन लाल जोशी, संजय पुरोहित ,योगेंद्र पुरोहित, रंगा राजस्थानी, इकबाल हुसैन, जाकिर अदीब ,नदीम अहमद नदीम, राजेश चौधरी, रमेश आचार्य ,दिनेश चावड़ा, खूूमराज पंवार ,भगवानदास परिहार, सरोज भाटी ,शशांक जोशी, शायर माहिर आजाद, इरशाद अजीज ,मंजू राकांवत, अभिलाषा पारीक, इसरार हसन कादरी, एन.डी. रंगा, माणकचंद सुथार, देवेंद्र कौशिक, डॉक्टर फारुख चौहान, असद अली असद, पीआर लील, प्रेम रतन व्यास, ऋषि अग्रवाल, ओलंपियन श्यामसुंदर स्वामी, गौरी शंकर आचार्य, डॉक्टर किशन लाल बिश्नोई, गोविंद जोशी, सांगीलाल वर्मा ,असित -अमित गोस्वामी, राजेन्द्र स्वर्णकार, रवि पुरोहित, टी.के. जैन, सीएस सुरेंद्र कुमार हर्ष और अंकिता जैन सहित अनेक लोग मौजूद रहे।