news of rajasthan

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भाजपा की राजस्थान सरकार ने गरीबों सहित बच्चियों के लिए कई हितकारी व कल्याणकारी योजनाएं चला रखी हैं। यह सभी योजनाएं न सिर्फ प्रभावी हैं, बल्कि इनकी आर्थिक राशि या सहायता सीधे पात्र के बैंक अकाउंट में जमा होती है जो सुविधाजनक भी है। ऐसी ही एक योजना है मुख्यमंत्री पालनहार योजना। मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे ने अपने पिछले कार्यकाल में इस महत्वकांक्षी योजना की शुरुआत की थी। यह योजना 8 फरवरी, 2005 से लागू हुई थी जिसे प्रारंभ में केवल अनुसूचित जाति के अनाथ बच्‍चों हेतु संचालित की गई थी। बाद में समय-समय पर योजना में बदलाव होते रहे हैं।

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क्या है मुख्यमंत्री पालनहार योजना

राजस्थान सरकार ने मुख्यमंत्री पालनहार योजना शुरू की है। इस योजना के तहत, राज्य सरकार अनाथ बच्चों के निकटतम रिश्तेदारों को उनके पालन-पोषण, शिक्षा, स्वास्थ्य और धन के लिए या अनाथ बच्चों के लिए एक विशेष संस्थान चलाने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती है।

योजना की योग्यता

इस योजना के तहत निम्नलिखित बच्चों को शामिल किया गया है …

  • अनाथ बच्चे
  • न्यायिक प्रक्रिया के माध्यम से मृत्युदंड / आजीवन कारावास वाले माता पिता के बच्चों को
  • निराधार पेंशन पाने वाली विधवा मां के अधिकतम 3 बच्चे
  • मां के अधिकतम तीन पैदा हुए बच्चों को
  • विधवा का पुनर्विवाह
  • एड्स पीड़ितों के बच्चे
  • कुष्ठ रोगियों के बच्चे
  • विकलांग माता-पिता के बच्चे
  • तलाकशुदा / त्याग वाली महिला का बच्चा

इस योजना के तहत उक्त प्रकार के बच्चों के लिए अनुवर्ती, शिक्षा इत्यादि के अनुयायियों को अनुदान प्रदान किया जाता है।

इसके योजना के तहत लाभ उठाने के लिए निम्न शर्तें रखी गई हैं।

  • पालनहार परिवार की वार्षिक आय 1.20 लाख रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए।
  • ऐसे बच्चों को को आंगनवाड़ी केंद्र में 2 साल की उम्र में और 6 साल की उम्र में स्कूल भेजना अनिवार्य है।

मुख्यमंत्री पालनहार योजना के लाभ

  • हर बच्चे के लिए पालनहार परिवार को 5 साल तक के बच्चों के लिए प्रति माह 500 रुपए की दर के साथ प्रदान किया जाता है।
  • स्कूल में भर्ती होने के बाद 18 साल पूरा होने तक प्रति माह 1000 रुपए की दर से अनुदान दिया जाता है।
  • इसके अलावा, कपडे, जूते, स्वेटर और अन्य आवश्यक कार्यों की लागत के लिए प्रति वर्ष 2000 रुपए (विधवा और विवाह की श्रेणी को छोड़कर) का वार्षिक अनुदान भी प्रदान किया जाता है।

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