जयपुर। राजस्थान विधानसभा उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी को एक बार फिर करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा है। बीजेपी प्रदेश की कमान सतीश पूनिया ने जब से संभाली है तब से पार्टी को लगातार नुकसान ही उठाना पड़ रहा है। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया किसी भी मामले में खरे नहीं उतर सके। सतीश पूनिया अपने घमंड में चूर है वह कार्यकर्ता के मन की बात को समझ नहीं सके। इसीलिए पूनिया लगातार विफल साबित हो रहे है। इससे पहले भी प्रदेश में कई चुनाव हुए हैं उनमें सतीश पूनिया और उनकी रणनीति के कारण बीजेपी का हार का मुंह ही देखना पड़ा है।

सतीश पूनिया रह मोर्चे में विफल
पहले मंडावा और खींचसर चुनाव में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद निकाय चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा इतना ही नहीं ग्राम पंचायत चुनाव में भी बीजेपी को काफी नुकसान हुआ। अशोक गहलोत की सरकार के सामने सतीश पूनिया विपक्ष नेता के रूप में खरे नहीं उतरे। राजस्थान के इतिहास में ऐसा पहली बार है जब प्रदेश बीजेपी विपक्ष पार्टी होने के बाद इनता बड़ा नुकसान झेलना पड़ रहा है। सतीश पूनिया अपनी घमंडी मानसिकता से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। कार्यकर्ता के मन में क्या चल रहा है वो यह जान नहीं पा रहे है। पद के घमंड में चूर सतीश पूनिया के कारण बीजेपी हर मोर्चे में विफल साबित हो रही है।

बीजेपी की सबसे बड़ी हार
इस उपचुनाव की बात करे तो पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे पूरी तरह सीन से गायब रहीं। उनकी गैर मौजूदगी में हुए उपचुनावों पार्टी को काफी नुकसान हुआ है। सहाड़ा में वसुंधरा राजे की जगह ज्योतिरादित्य सिंधिया की सभा कराई गई, लेकिन उसका भी फायदा नहीं मिला। सहाड़ा में भाजपा की सबसे बड़ी हार हुई है। यहां 2018 के चुनाव में भाजपा केवल 7280 वोटों से हारी थी। इस बार हार का मार्जिन बढ़कर 42 हजार का हो गया। भाजपा का वोट प्रतिशत भी सहाड़ा में 5 फीसदी घट गया। इस प्रकार रिश्ते में राजनीति कर भी बीजेपी को कुछ नहीं मिला और भतीजे से बुआ की भरपाई नहीं हो पाई।

राजघराने का संबंध भी नहीं आया काम
भाजपा ने सहाड़ा गंगाुपर क्षेत्र से ग्वालियर रियासत का पुराना संबंध भुनाने के लिए वसुंधरा राजे की जगह ज्योतिरादित्य को बुलाया। गंगापुर में सभा करवाई, लेकिन कोई फायदा नहीं मिला। गंगापुर क्षेत्र का सिंधिया घराने से तीन दशक पुराना रिश्ता रहा है। ग्वालियर राजघराने की बहू गंगादेवी उदयपुर राजघराने की बेटी थीं। भाजपा सिंधिया परिवार से गंगापुर के इस पुराने जुड़ाव को देखते हुए उम्मीद कर रही थी कि सिंधिया की सभा से फायदा होगा। पर इस पर पानी फिर गया।

हर गतिविधि से दूर
वसुंधरा राजे इस बार उपचुनाव में प्रचार से लेकर हर गतिविधि में पूरी तरह दूर रहीं। सुजानगढ़ से भाजपा उम्मीदवार रहे खेमाराम मेघवाल राजे की पहली सरकार में मंत्री रह चुके हैं। सहाड़ा से भाजपा उम्मीदवार डॉ. रतनलाल जाट को राजे ने बीज निगम का अध्यक्ष बनाया था। दीप्ति माहेश्वरी के प्रति भी राजे का सॉफ्ट कॉनर्र है, क्योंकि किरण माहेश्वरी उनकी कैबिनेट में मंत्री रहीं। उपचुनावों की घोषणा से पहले विधायक प्रताप सिंह सिंघवी, पूर्व विधायक भवानी सिंह राजावत सहित कई नेताओं ने कहा था कि वसुंधरा राजे को साइडलाइन करके चुनाव लड़ा गया तो पार्टी हारेगी। परिणाम आने के बाद यह बिल्कुल सच साबित हुआ।