बीते 5 माह में ऐसा लगता है मानो राजस्थान में पुलिस व कानून व्यवस्था का भय अपराधियों में समाप्त हो गया हो। आए दिन बलात्कार की घटनाओं के सामने आने के बाद अब अवैध बजरी खनन और डकैत के मामले राज्य सरकार की कमजोर शासन प्रणाली को बयां करने के लिए काफी है। प्रदेश में जो भी घटनाएं सामने आ रही है उससे साफ है कि बिना किसी ऊपरी पहुंच के ऐसी खुलेआम वारदातें करना संभव नहीं है। पुलिस के आला अधिकारी व सरकार की शह का फायदा उठाकर ही अपराधी बेखौफ होकर घूम रहे हैं और आमजन डर के साये में जीवन जीने को मजबूर है।

सुप्रीम कोर्ट की रोक के बावजूद प्रदेश में अवैध बजरी खनन बेरोकटोक जारी है जिसका खामियाजा आम जनता को अपनी जान देकर भुगतना पड़ रहा है। बजरी माफिया पुलिस की मिलीभगत के साथ बजरी खनन कर रहे हैं और गहलोत सरकार कोई प्रभावी कदम अभी तक नहीं उठा पाई है। हालांकि अब सरकार ने टास्क फोर्स बनाने का निर्णय लिया है। एनजीटी ने भी सरकार को खनन के संबंध में निर्देश जारी कर रखे हैं लेकिन सरकार ही इन निर्देशों की पालना नहीं कर रही है और पुलिस ने बजरी माफियाओं से वसूली करके बजरी खनन पर अपनी आंखे मूंद रखी है।

गौरतलब है कि हाल ही में जयपुर में एक बजरी माफिया ने दिनदहाड़े करधनी इलाके में कॉलोनी समिति के पदाधिकारी को कुचल कर खौफनाक घटना का अंजाम दे डाला और पुलिस मूकदर्शक बनी रही। हालांकि अब जाकर पुलिस ने डम्पर चालक को गिरफ्तार कर लिया है। जयपुर शहर के कई बाहरी रास्ते अवैध बजरी को इधर से उधर ले जाने के काम आ रहे हैं और पुलिस इन माफियाओं से पैसे वसूलने का खेल चलाकर इसे बढ़ावा देने में लगी है। वर्तमान में पुलिस का आमजन के सामने ऐसा चेहरा बन गया है कि चाहे कोई भी घटना हो, पुलिस उसे दर्ज ही नहीं करेगी। पुलिस व सरकार की मिलीभगत से ही बजरी माफियाओं का दुस्साहस लगातार बढ़ता जा रहा है और आम आदमी इनकी भेंट चढ़ रहा है।