कोटा/बूंदी, 19 मार्च। पिछले दिनों हुई बारिश तथा ओलावृष्टि से फसलों को हुए नुकसान से टूट चुके किसानों को लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला रविवार को ढांढस बंधाने पहुंचे। स्पीकर बिरला ने बूंदी जिले की तालेड़ा पंचायत समिति के बरूंधन तथा अल्कोदिया गांव के कई खेतों में जाकर फसल खराबे का जायजा लिया। बाद में बिरला ने अधिकारियों से कहा कि फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है। इस नाजुक समय में हमें संवेदनशीलता से किसानों का साथ देना है। क्षेत्र में तुरंत गिरदावरी करें ताकि किसानों को जल्द मुआवजे का पैसा मिल सके।

स्पीकर बिरला जब अल्कोदिया गांव पहुंचे तो वहां बुजुर्ग किसान गोपाल अपने 10 बीघा के खेत में आड़ी पड़ चुकी फसलों को देेख दुखी हो रहा था। बिरला उसके पास पहुंचे तो गोपाल ने भावुक होकर कहा कि पूरी फसल खराब हो गई, अब आगे क्या होगा यह भगवान पर ही निर्भर है। बिरला ने उसके कंधे पर हाथ रखा और आश्वस्त किया कि इस कठिन घड़ी में हम आपके साथ हैं। ऐसे कई किसान थे जिनकी कहानी बिल्कुल गोपाल जैसी थी। बिरला ने सबका दर्द सुना और उन्हें ढांढस बंधाया।

बाद में बिरला ने बताया कि बरसात तथा ओलावृष्टि से गेहूं, चना, साब्जियों सहित सभी प्रकार की फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है। हमें इस समय किसानों का साथ देना है। किसानों को कम से कम इतना मुआवजा तो मिलना ही चाहिए कि उनकी मेहनत तथा खाद, बीज, कीटनाशक आदि का पैसा तो मिल ही जाए। इससे किसान कर्जे में नहीं डूबेगा।

उन्होंने कहा कि किसानों को जल्द मुआवजा दिलाने के लिए राज्य सरकार से कहा है। इस संबंध में अधिकारियों से भी कहा है कि तहसीलदार और पटवारी को लगाकर जल्द से जल्द गिरदावरी पूरी की जाए। इस दौरान यह ध्यान रखें कि नुकसान सही दर्ज किया जाए। कम नुकसान दिखाकर किसानों का और नुकसान नहीं करें। यदि ऐसा कोई करता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।

आपदा राहत से सात दिन में मिले पैसा

स्पीकर बिरला ने फसलों को हुए नुकसान के बारे में जिला कलक्टर डा. रविन्द्र गोस्वामी को कहा कि जिन किसानों का फसल बीमा नहीं है, उन्हें आपदा राहत कोष से सात दिन के अंदर भुगतान किया जाए। इसके लिए सर्वे रिपोर्ट को जल्द से जल्द पोर्टल पर अपलोड़ कर मुआवजा सीधे किसानों के खाते में डाल दिया जाए। यदि इसमें कोई कठिनाई आती है तो हमें बताएं, इस बारे में राज्य सरकार से बात करेंगे।

फसल बीमा-आपदा राहत के नियमों में हो संशोधन

स्पीकर बिरला ने कहा कि फसल बीमा और आपदा राहत कोष के तहत मुआवजा देने के नियमों में अब भी काफी पेचीदगियां है। राज्य और केंद्र सरकार से कहेंगे कि पहले किसानों और फिर आपस में चर्चा कर नियमों में संशोधन किया जाए, ताकि किसानों को अधिकतम राहत मिल सके।

पशु के चारे का भी संकट

किसानों ने स्पीकर बिरला को बताया कि फसलों के आड़ी पड़ने से पशुओं के लिए चार का संकट भी उत्पन्न हो गया है। बाली से गेहूं निकलाने के बाद जो बचता था, वह पशु चारे के रूप में उपयोग में लेते थे। फसल खराब हो जाने के कारण अब वह भी नहीं मिल पाएगा।