जयपुर। राजस्थान में जब से गहलोत सरकार सत्ता में आयी है तब से लेकर अब तक पिछली वसुंधरा सरकार के द्वारा चलायी गयी जन कल्याणकारी योजनाओं का नाम बदलकर काम कर रही है। इन योजनाओं को वसुंधरा सरकार द्वारा शुरू किया गया था लेकिन गहलोत सरकार नाम बदलकर इन योजनाओं को शुरू करने का श्रय लेने की कोशिश कर रही है और जनता के बीच इन योजनाओं का प्रचार प्रसार भी इसी तरीके से किया जा रहा है जैसे उन्होने ने ही इन योजनाओं की शुरूआत की हो, लेकिन आज हम आपको बताते है कि गहलोत सरकार ने सत्ता में आने के बाद ऐसी दर्जनों योजनाओं का केवल नाम बदला है जबकि यह सभी योजनाऐं पिछली सरकार में वसुंधरा राजे द्वारा शुरू की गयी थी।

‘अन्नपूर्णा योजना’ का ही नाम बदलकर ‘इंदिरा रसोई योजना’ कर दिया

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने नगरीय क्षेत्रों में ‘इंदिरा रसोई योजना’ शुरू की। लेकिन वास्तविकता यह है कि अशोक गहलोत ने ‘अन्नपूर्णा योजना’ का ही नाम बदलकर ‘इंदिरा रसोई योजना’ कर दिया। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भाजपा के कार्यकाल में शुरू की गई योजनाओं का नाम गाँधी परिवार के नाम पर करने का काम किया है।

‘मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन योजना’ का नाम बदलकर ‘राजीव गाँधी जल स्वावलंबन योजना’ कर दिया

इसी तरह मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ‘मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन योजना’ का नाम बदलकर ‘राजीव गाँधी जल स्वावलंबन योजना’ कर दिया। अशोक गहलोत सरकार ने अपने कार्यकाल में पिछली वसुंधरा राजे सरकार की  दर्जनों योजनाओं के नाम बदले हैं।

भामाशाह स्वास्थ्य योजना का नाम बदलकर चिरंजीवी योजना कर दिया

गहलोत सरकार ने वसुंधरा राजे सरकार की निजी अस्पतालों में इलाज के लिए चलाई जाने वाली भामाशाह कार्ड योजना बंद की और फिर केंद्र सरकार की आयुष्मान भारत योजना को खुद का नाम देते हुए नई योजना शुरू की। इस योजना का नाम आयुष्मान भारत महात्मा गांधी राजस्थान स्वास्थ्य योजना किया गया। इसी तरह विजया राजे सिंधिया स्वयं सहायता समूह योजना का नाम बदलकर प्रियदर्शिनी आदर्श स्वयं सहायता समूह कर दिया गया। इस योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए विभिन्न समूहों का संचालन किया जाता था।

बदले इन योजनाओं के नाम

बता दें कि गहलोत सरकार ने दीनदयाल उपाध्याय वरिष्ठ नागरिक तीर्थ योजना का नाम मुख्यमंत्री वरिष्ठ नागरिक तीर्थ योजना कर दिया गया। गुरु गोलवलकर ग्रामीण जनभागीदारी योजना का नाम महात्मा गांधी ग्रामीण जनभागीदारी योजना कर दिया गया। मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन योजना का नाम भी अब बदलकर राजीव गांधी जल स्वावलंबन योजना कर दिया गया है। ग्रामीण गौरव पथ की जगह सरकार ने विकास पथ के नाम से योजना बनाई। भामाशाह की जगह राजस्थान जन आधार योजना  बना दी। किसान राहत आयोग का नाम बदल कर कृषक कल्याण कोष कर दिया गया है।

इस बारे में भाजपा नेता वसुंधरा राजे ने भी ट्वीट करते हुए लिखा था- “नाम बदल कर ही सही, आख़िर जनता की माँग पर हमारी अन्नपूर्णा रसोई योजना को शुरू करना ही पड़ा। नाम नहीं अपने आप को भी बदलो सरकार। नहीं तो जनता सब कुछ बदल डालेगी।”

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी.नड्डा ने भी जयपुर के दशहरा मैदान में जनसभा को संबोधित किया था। जनसभा को संबोधित करते हुए नड्डा ने कहा था कि योजनाओं का नाम बदलने से सरकारों की नीयत और नीति पता चलती है। जिनमें खुद कुछ करने का दम नहीं होता, वह नाम बदलते हैं । राजनीति में किसी भी नेता की नीति और नियत छोटी-छोटी बातों से पता चलती है। इन्हे भारतीय संस्कृति से निकला हुआ नाम भी पसंद नहीं है। बस एक ही परिवार का नाम पसंद है।

अक्सर कांग्रेस शासित राज्य के मुख्यमंत्री अपने हाईकमान को संतुष्ट करने के लिए इसी शैली में काम करते नजर आते हैं, जिसमें इतिहास के पन्नों में बदलाव कर हिन्दू राजाओं को कमतर बताना, अकबर और टीपू सुलतान का गुणगान करना और राज्य की योजनाओं का नामकरण नेहरू से लेकर राजीव गाँधी और इंदिरा गाँधी तक कर देना शामिल है। लेकिन आज राजस्थान भ्रष्टाचार में नंबर वन है। डीजल और पेट्रोल सबसे महंगा राजस्थान में मिल रहा है। बेरोजगारी, महिलाओं पर अत्याचार, दलितों पर अत्याचार और साइबर क्राइम राजस्थान में राजस्थान नंबर वन है। देश में सबसे ज्यादा महंगी बिजली राजस्थान में मिल रही है।