जयपुर। केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सोमवार को देश का आम बजट पेश कर चुकी हैं। केन्द्रीय बजट से राजस्थान को काफी काफी उम्मीदें थी, लेकिन वे पूरी नहीं हुई। कोरोना और लॉकडाउन के बाद प्रदेश विकट आर्थिक परिस्थितियों से जूझ रहा है। माना जा रहा है कि अशोक गहलोत सरकार अब प्रदेश के विकास के लिए नए सिरे से रोडमैप तैयार कर रहे है। आपको बता दे राज्य सरकार इसी महीने अपना बजट करेंगी। केद्रीय बजट से निराश गहलोत सरकार अपने संभावित बजट के लिए वित्त विभाग के लिए नए सिरे से रण्नीति बना रहे है। माना जा रहा है कि राज्य सरकार अपनी योजनाओं का आकार कम कर सकती है या फिर उनमें कटौती कर सकती है। वित्त विभाग के आला अधिकारी स्वास्थ्य, शहरी विकास और पेयजल की योजनाओं के लिए धन जुटाने के विकल्प तलाश कर रहे हैं। करीब साढ़े तीन लाख करोड़ रुपये के कर्जभार से जूझ रही राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार खजाने में आई कमी के चलते अपने मौजूदा बजट में करीब 14 हजार करोड़ रुपये की कटौती की तैयारी कर रही है।

योजनाओं को यथावत रखना बड़ी चुनौती
जानकारों का मानना है कि प्रदेश कांग्रेस सरकार के सामने अपनी योजनाओं को यथावत रखना बेहद चुनौतीपूर्ण है। पिछले बजट में केन्द्र सरकार ने राजस्थान को सबसे ज्यादा 15 मेडिकल कॉलेजों की लिए स्वीकृति दी थी, लेकिन सहायता राशि बढ़ाने की उसकी मांग पूरी नहीं की है। वित्त विभाग के कुछ अधिकारियों की मानें तो गहलोत सरकार अपने बजट की योजनाओं में कटौती की कैंची चला सकती है। धन के अभाव में सरकार के लिए अपनी योजनाओं को यथावत रखना बेहद चुनौतीपूर्ण काम होगा।

जनता पर पड़ेगा असर
माना जा रहा है कि अशोक गहलोत सरकार अपने बजट में राज्य की योजनाओं पर कटौती की कैंची चला सकती है। आर्थिक मंद से जूझ रही राज्य सरकार अपनी कई योजनाओं को छोटा या फिर रद्द कर सकती है। इसका सीधा असर राज्य के विकास पर पड़ेगा। वहीं बजट में राजस्व वसूली के लिये बढ़ाये जाने वाले प्रयास कहीं न कहीं आमजनता पर भारी पड़ेगे। राज्य बजट से भी प्रदेश की जनता को राहत मिलने की बजाय हो सकता है कि वह आहत हो जाये।

क्रेदीय बजट से प्रदेश की जनता निराश : अशोक गहलोत
अशोक गहलोत ने केंद्रीय बजट की आलोचना करते हुए कहा कि राजस्थान को केंद्रीय बजट से बहुत उम्मीदें थीं लेकिन प्रदेश की जनता को इससे निराशा हुई है। हमें उम्मीद थी कि बजट में पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा और हर घर नल योजना में राजस्थान को विशेष राज्य का दर्जा मिलेगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ। आमजन के लिए इस बजट में बुरी खबरें ही हैं। पेट्रोल-डीजल पर लगे नए सेस लगाकर पेट्रोल-डीजल की कीमत में कोई राहत नहीं दी है। पेट्रोल-डीजल की लगातार बढ़ती कीमतों का असर आखिर में आमजन पर आएगा। बजट का पूरा फोकस सिर्फ चुनावी राज्यों पर रहा। यह केंद्रीय बजट से ज्यादा ’पांच चुनावी राज्य बजट’ प्रतीत हो रहा है। बजट में बुरे दौर से गुजर रही अर्थव्यवस्था के लिए कोई नीति नहीं है।