जयपुर। राजस्थान विधानसभा चुनावों की तारीख का ऐलान जल्द होने वाला है। चुनावों को लेकर कांग्रेस और बीजेपी पार्टियों ने कमर कस ली है। सभी पार्टियों के नेता अपनी अपनी रणनीति को अंजाम देने में जुट गए है। बीते दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे के लिए जोधपुर आई पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सक्रियता नजर आ रही है। कयास यह भी लगाए जा रहे हैं कि क्या नेतृत्व ने उन्हें पश्चिमी राजस्थान में पार्टी की स्थिति की टोह लेने का जिम्मा दिया है। गुरुवार को पीएम की यात्रा के बाद सभी नेता जोधपुर से निकल गए लेकिन राजे जोधपुर में रुकीं। सभा के बाद बालोतरा गई और देर शाम को वापस लौटी और अजीत भवन में नेताओं के साथ मंत्रणा भी की।

कार्यकर्ताओं से बात कर टटोली नब्ज
पूर्व सीएम ने इस दौरान एक संघ के बड़े पदाधिकारी से मुलाकात की भी बात सामने आ रही है। नेताओं व दावेदारों से वन टू वन मुलाकात में कमल को आगे बढ़ाने की बात भी कही। पूर्व मुख्यमंत्री राजे ने गुरुवार रात से शुक्रवार सुबह दस बजे तक मारवाड़ के नेताओं से मुलाकात कर क्षेत्र की राजनीतिक नब्ज भी टटोली हैं।

जैसलमेर और बाड़मेर पर फोकस
राजे तीन दिनों से बाड़मेर जैसलमेर में सक्रिय रही हैं। बताया जा रहा है कि यह दौरे वह अपनी धार्मिक यात्रा के तहत कर रही है। वहीं, जानकार कह रहे हैं कि राजे अपने समर्थकों को निराश नहीं देखना चाहती है, उनकी उम्मीदें बनाए रखने के लिए उन्होंने मुलाकातें की हैं। इसकी एक वजह यह भी है कि गत चुनाव में उनके बाड़मेर, जैसलमेर व जोधपुर के समर्थकों की करारी हार हुई थी। ऐसे में यहां फोकस किया गया है। इन तीन जिलों में भाजपा के पास सिर्फ तीन सीटें ही है। जबकि 2013 में इन जिलों की 17 विधान सभा सीट पर भाजपा का परचम लहराया था।

अजीत भवन में समर्थक मुलाकात
सीएम रहते हुए राजे ने अपने जोधपुर दौरे पर कभी भी सर्किट हाउस में प्रवास नहीं किया। वह उम्मेद भवन या अजीत भवन में ही रूकती रही हैं। बीते पांच साल में परिपाटी बदली और राजे ने सर्किट हाउस का रुख किया था। जहां पर वह कार्यकर्ताओं से मिलती थी। गुरुवार को मोदी की सभा के बाद वह बाड़मेर गई थी। रात को वापस लौटी और अजीत भवन में रुकीं। जहां पर उनके खास समर्थक ही मिलने पहुंचे। बताया जा रहा है कि इनमें संघ के एक बडे पदाधिकारी भी थे।

दावेदारों से लिया फीडबैक
जानकारों का कहना है कि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के समर्थक भी फिलहाल उत्साहित हैं क्योंकि उम्मीदवारों के चयन को लेकर दिल्ली में हुई चुनाव समिति की बैठक में राजे शामिल हुई थीं। ऐसे में समर्थक एवं दावेदारों को लगता है कि राजे ने जरूर उनका नाम आगे किया होगा। बताया जा रहा है कि उम्मीदवारों की सूची जारी होने से पहले केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक होगी। जिसमें राजे भी शामिल होंगी जहां वो अपने फीड बैक की रिपोर्ट देंगी। समर्थकों को भी यह उम्मीद है कि उनके नामों को आगे बढ़ाया जाएगा।

महारानी का अभेद्य किला बनी झालरापाटन सीट
प्रदेश में झालावाड़ जिले के झालरापाटन विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो सबसे पहले महारानी वसुंधरा राजे का नाम आता है। साल 1989 से झालावाड़ जिले में उनका सूरज उदय हुआ जो आज तक अस्त नहीं हुआ। वह खुद भी झालावाड़ बारां से पांच बार सांसद रह चुकी हैं। उसके बाद 2003 से वसुंधरा झालरापाटन से लगातार विधानसभा का चुनाव लड़ती आ रही हैं। वर्तमान ने वह यहां से विधायक भी हैं।

35 साल में सिर्फ एक बार जीती कांग्रेस
यह कह सकते हैं कि महारानी वसुंधरा राजे के गढ़ को भेदना कांग्रेस ही नहीं किसी भी पार्टी के लिए मुश्किल है। क्योंकि 1989 से महारानी वसुंधरा राजे ने जबसे झालावाड़ जिले की सीमा में कदम रखा, उसके बाद से अभी तक उन्हें कोई हिला नहीं सका। कांग्रेस ने कई बार प्रयास किया लेकिन वह असफल रही। झालावाड़ जिले में भाजपा हमेशा प्रभावशाली रही है। जब से झालावाड़ में पूर्व मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे राजनीति कर रही हैं तभी से जिले की सियासत उनके आसपास घुम रही है।

झालरापाटन का इतिहास
झालरापाटन विधानसभा जिले की हॉट सीट है। इस सीट पर वर्तमान में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे विधायक हैं, जो 2003 से लगातार चार चुनाव से जीतती आ रही है। वसुंधरा राजे ने 2003 के चुनाव में सचिन पायलट की माता रमा पायलट, जो कांग्रेस से प्रत्याशी रहीं, उनको 27 हजार वोटों से हराया था। उसके बाद वसुंधरा राजे ने 2008 में स्थानीय पूर्व विधायक मोहनलाल राठोर को 34 हजार वोटों से हराया था। फिर 2013 में वसुंधरा राजे ने कांग्रेस प्रत्याशी मीनाक्षी चन्द्रावत को 60 हजार वोटों से हराया। उसके बाद 2018 के विधानसभा के चुनाव में दिग्गज कांग्रेस उम्मीदवार मानवेंद्र सिंह को 34 हजार वोटों से हराया था।