भरतपुर। भाजपा मीडिया सेल के पूर्व प्रदेश सह संयोजक एवं पूर्व पार्षद शैलेश कोशिक ने राजस्थान सरकार द्वारा लगाए जा रहे महंगाई राहत शिविरों को राजस्थान की जनता के साथ छलावा एवम घोषणा पत्र में किए गए वायदों की वादा खिलाफी बताया है।

घोषणा पत्र में किए वायदों को भूले मुख्यमंत्री:शैलेश कौशिक ने कहा है कि अपने कार्यकाल के साढ़े चार वर्ष कार्यकाल में मुख्यमंत्री गहलोत और कांग्रेस सरकार ने 2018 में चुनाव के समय जारी घोषणा पत्र में जनता से की गई ऐसी कितनी घोषणा है जो आज तक पूरी नही हुई जैसे न तो डीजल- पेट्रोल पर वैट में कमी की ओर न ही बिजली की दरों में कमी की, इन दोनो की रेट राजस्थान में सबसे ज्यादा है जिससे राजस्थान की जनता को कोई राहत नहीं मिल सकी। बल्कि स्वयं मुख्यमंत्री और उनकी सरकार के मंत्री एवं विधायक आपसी खींचतान में लगे रहे और इन साढ़े चार वर्षों में जनता बेहाल और लुटती रही। अब जब जनता का आक्रोश खुल कर सामने आने लगा है।

गर्मी और कोरोना का प्रसार चरम पर, पंजीकरण के नाम पर जबरदस्ती बुलाया जा रहा शिविरों में। मुख्यमंत्री द्वारा चुनाव से 6 माह पूर्व महगाई राहत शिविरों के नाम पर पूरे “सरकारी तामझाम दुरुपयाग किया जा रहा है जबकि इन शिविरों से संबंधित अधिकांश विभागो के कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर है।

मुख्यमंत्री गहलोत ने अपने कार्यकाल के अंतिम बजट में इन योजना की घोषणा तो कर दी और जहा सामान्यत 1 अप्रैल से बजट घोषणा प्रभावी हो जाती हैं, बही अप्रैल माह के 20से अधिक दिन बीत जाने के बाद भी धरातल पर इन योजनाओं की क्रियान्विती के लिए सरकार और प्रशासन कहीं नहीं नजर नहीं आए तो महंगाई राहत शिविर के नाम पर आम जनता को आगामी दो-तीन माह तक रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया में उलझाने के नाम पर इन योजनाओं के लाभ से दूर कर दिया।

जबकि वास्तविकता यह है कि इन दस योजना जिनके लाभ प्राप्त करने के लिए “एक तरफ भयंकर गर्मी जिसमे मौसमी बीमारी का प्रकोप चल रहा है बही दूसरी ओर कोरोना दिन पे दिन पैर पसार रहा है” के बाबजूद केंपो में रजिस्ट्रेशन को अनिवार्य कर जनता को लाइनों में लगाने के लिए मजबूर किया जा रहा है।

जिसकी कतई आवश्यकता नहीं है क्योंकि जिन 10 योजनाओं को इन शिविरों में शामिल किया गया है उनमें से जो लाभार्थी जिस योजना के लिए पात्र है उसकी सूची राज्य सरकार एवं संबंधित विभाग दोनों के पास लंबे समय से उपलब्ध है,और वह लाभ प्राप्त कर रहा है,फिर चाहे वह उज्जवला गैस कनेक्शन के लाभार्थी हो या बीपीएल कार्ड धारी या फिर राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत राशन प्राप्त करने वाले लाभार्थी अथवा 100 यूनिट फ्री बिजली का लाभ लेने वाले परिवार या फिर चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना के अंतर्गत 10 से 25लाख प्राप्त करने के लाभार्थी अथवा शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा के अंतर्गत कार्य करने वाले श्रमिक या 750 रुपया से 1000 की पेंशन प्राप्त करने वाली सामाजिक सुरक्षा लाभार्थी सबके नाम, नंबर, जन आधार नंबर, एवं अन्य सभी आवश्यक दस्तावेज पूर्व में संबंधित विभाग के पास उपलब्ध है और वह लाभ ले रहे है।

उन्हें केवल सरकार की जय हो – जय हो करने के नाम पर जबरदस्ती इस गर्मी में शिविरों में बुलाया जा रहा है, अगर वास्तव में मुख्यमंत्री गहलोत आमजन योजनाओं का लाभ पहुंचाना चाहते हैं तो इस रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को ऑनलाइन भी किया जा सकता है ताकि कोई भी लाभार्थी जिसका पंजीकरण नहीं है ऑनलाइन पंजीकरण कराकर प्राप्त करें और शिविरों के नाम पर समय काटने की बजाय तुरंत योजनाओं का लाभ देना शुरू करे।

संवाददाता- आशीष वर्मा