नई दिल्ली। केंद्र सरकार और राज्य सरकारें पिछले कई साल से बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ की मुहिम चला रखी है। राजस्थान में भी कांग्रेस सरकार ने लड़कियों को पढ़ाने के लिए योजना पर काफी पैसे खर्च किए हैं। लेकिन इसका कोई सफल परिणाम नहीं मिल रहा है। राजस्थान देशभर में पुरुषों के मु​काबले महिलाओं की साक्षरता दर में अंतर के मामले में सबसे फिसड्डी है। एक रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश में साक्षरता का लैंगिक अंतर 23.2 प्रतिशत है। इन आंकड़ों से यह साफ है कि राजस्थान शिक्षा के मामले में सर्वाधिक लैंगिक असमानता वाला राज्य है।

प्रदेश में सबसे खराब महिला साक्षरता दर
साल 2001 और 2011 की जनगणना के आंकड़े बताते हैं कि राजस्थान में साक्षरता की दर 60.40 प्रतिशत से बढ़कर 66.11 प्रतिशत पहुंच गई है। राजस्थान के जालोर और सिरोही में महिला साक्षरता दर महज क्रमश: 38.47 और 39.73 प्रतिशत है। यहां राज्य के अन्य हिस्सों की तुलना में हालात सबसे खराब हैं। सबसे खराब महिला साक्षरता दर वाला टोंक का कोटरा ब्लॉक है। वहां इसका आंकड़ा मात्र 16.49 फीसदी है।

पुरुषों के मुकाबले महिला 22.48 फीसदी पीछे
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) की जनवरी में प्रकाशित रिपोर्ट इसकी हकीकत सामने आई है। इसमें सर्वेक्षण वर्ष 2017 और 2018 के दौरान पुरुषों की साक्षरता दर 80.08 फीसदी बताई गई है। जबकि महिलाओं में यह आंकड़ा महज 57.6 फीसदी दर्ज किया गया है। अगर दोनों की तुलना की जाएग तो पुरुषों के मुकाबले महिला 22.48 फीसदी पीछे है।

शिक्षा में लड़कियों के साथ भेदभाव
राजस्थान विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र विभाग की प्रमुख रश्मि जैन के अनुसार यह साफ है कि जब शिक्षा की बात आती है तो प्राइमरी स्तर से ही लड़कियों के साथ भेदभाव किया जाता है। ऐसा तब है जब सरकारें स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में महिलाओं के नामांकन का अनुपात सुधारने के लिए जी-तोड़ प्रयास कर रही हैं।