राजस्थान में बिजली संकट जारी है और लगातार बिजली कटौती से लोग परेशान हैं।रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य में मौजूदा बिजली संकट का मुख्य कारण कोयले की कमी और बिजली घर इकाइयों के रखरखाव की कमी है, जिसके कारण 7 बिजली घर पहले ही बंद हो चुके हैं। इनमें कोटा, सूरतगढ़, छबड़ा और कालीसिंध सहित अन्य बिजली घर इकाइयां शामिल हैं। इसके अलावा मौजूदा बिजली संकट के लिए कोयले की खरीद भी एक बड़ा मुद्दा है।

गौरतलब है कि राज्य में बिजली की मांग और आपूर्ति के बीच समन्वय की कमी के कारण बिजली संकट गंभीर हो गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य में पीक आवर्स में बिजली की कुल मांग लगभग 16500 मेगावाट है, लेकिन उपलब्धता केवल 13000 से 14000 मेगावाट ही है, जिसके कारण बार-बार बिजली कटौती की जा रही है, जिससे आम आदमी परेशान है।

राजस्थान में आने वाले दिनों में लोगों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। दरअसल, राज्य में बिजली संकट गहराता जा रहा है। राज्य में बिजली की मांग करीब 17 हजार मेगावाट तक पहुंच गयी है। बिजली की कमी और बढ़ती मांग के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में अघोषित कटौती की जा रही है। राजस्थान में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं। इससे पहले राज्य में बिजली संकट बढ़ गया है।

राजस्थान की गहलोत सरकार ने राज्य के सभी जिलों में दिन के समय कृषि बिजली उपलब्ध कराने का निर्णय लिया था, लेकिन अब निर्णय लिया गया है कि कृषि विद्युत भार में अचानक वृद्धि के कारण रात्रि में कृषि विद्युत उपलब्ध करायी जायेगी। राजस्थान में बिजली संकट इस हद तक बढ़ गया है कि सरकार ने किसानों को सिंचाई के लिए रात में ही बिजली देने का फैसला किया है।