Shankar Lal and his wife Ramkanya
Shankar Lal and his wife Ramkanya

सामाजिक सरोकारों के निर्वहन और जरूरतमंदों को सम्बल प्रदान करने की दिशा में प्रदेश की वसुन्धरा सरकार देशभर में अपनी अग्रणी पहचान कायम कर चुकी है। सरकार अपनी विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों के जरिये दिव्यांगों के कल्याण से जुड़े लक्ष्यों को साकार करती जा रही है। यही वजह है कि आज प्रदेशभर में सरकार के संरक्षण और सहयोग की बदौलत विशेष योग्यजन आत्मनिर्भर जिन्दगी का सुकून पाने लगे हैं। इसी का एक जीता जागता उदाहरण देखने को मिला प्रदेष के भीलवाड़ा जिले में जहां एक दंपति को सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग की ओर जारी की गई पेंशन की बदौलत वह परिवार एक ओर जहां चैन से गुजर बसर कर रहा है, वहीं दूसरी ओर समाज में मान-सम्मान भी बढ़ा है।

Shankar Lal and his wife Ramkanya
Shankar Lal and his wife Ramkanya

यह कहानी है भीलवाड़ा जिले के माण्डलगढ़ तहसील के नीमकाखेडा निवासी शंकरलाल गुर्जर (40) और उनकी धर्मपत्नी रामकन्या (35) की। यह दंपति दिव्यांग है और इन दोनों के अलावा परिवार में दो पुत्रियों माया (9), देवकी (7) के साथ एक पुत्र शिवराज भी शामिल है जिसकी आयु 5 वर्ष है। एक छोटी सी चाय की थड़ी के सहारे जीवनयापन करने वाले शंकरलाल के लिए परिवार का भरण-पोषण तथा बच्चों की पढाई एक बड़ी विकट समस्या से कम नहीं थी। लेकिन सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग ने इन्हें सरकार की योजना का सहारा देकर पूरे परिवार का जीवन संवार दिया है। विभाग की ओर से शंकरलाल और रामकन्या को दोनों को विकलांग पेंशन के तौर पर 750-750 रूपए की राशि स्वीकृत की गई। साथ ही तीनों संतानों को पालनहार योजना के तहत एक-एक हजार रुपए भी स्वीकृत होकर मिलने लगे हैं।

Shankar Lal's kids
Shankar Lal’s kids

इन सभी को मिलाकर इस परिवार को हर माह साढ़े चार हजार रूपए की राशि बतौर सहायता मिली है जिससे इस परिवार की जिन्दगी आसान हुई है, बल्कि समाज में उनका मान-सम्मान भी बढ़ा है। सरकारी की सहायता व योजनाओं की बदौलत गरीबी से संघर्ष कर रहे इन लोगों की जिन्दगी में बदलाव आने लगा है और सभी खुशी-खुशी बसर कर रहे हैं।

दिव्यांगजनों के लिए सरकारी की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उठाने वाला शंकरलाल अकेला इंसान नहीं है। सच तो यह है कि शंकरलाल जैसे कई और भी परिवार हैं जो अब तक दिव्यांग पेंशन और पालनहार योजना का लाभ उठा अपनी जिंदगी संवार चुके हैं और आत्मनिर्भर बन चुके हैं। यह सब कुछ संभव हो पाया है सरकार की योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन की वजह से, जिसने विशेष योग्यजनों की तकदीर बदलने में सार्थक कार्य किया है।

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