पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का देव दर्शन अभियान जारी है। राजस्थान विधानसभा चुनाव से पहले राजे मालाणी संस्थापक और राठौ़ड़ वंश के आदि पुरूष संत शिरोमणि रावल मल्लीनाथ व राणी रूपादे के दर्शन करने के लिए तिलवाड़ा पहुंची। यहां वसुंधरा राजे ने मंदिरों में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ धोक लगाई। राजे ने मन्नत का नारियल माता की चौखट पर अर्पित किया और देश-प्रदेश में खुशहाली की कामना की।

वसुंधरा राजे ने रूपसरोवर तालाब पर कुरजां के मनोरम दृश्य को देखा। राजे ने इस दौरान कहा कि राणी रूपादे जी और रावल मल्लीनाथ जी के दर्शनों की लम्बे समय से इच्छा थी, जो आज पूरी हुई। यहां के साक्षात् दर्शन मन को मालाणी क्षेत्र के प्रति जोड़ रहा हैं। लुणी नदी के किनारे बने धाम की सुंदरता, सम्पन्नता, आनन्द और उल्लास नई ऊंचाइयो को छूने के लिए भी अब प्रेरित कर रही है।

पूर्व सीएम राजे ने कहा कि मनुष्य जीवन और मौसम हमेशा स्थिर नहीं रहते हैं महान संतों के बताए गए मार्ग पर चलने से हमेशा सर्व कार्य सिद्ध होते है। सुख-दुख जिंदगी में आते रहते हैं, लेकिन मनुष्य को कभी हौसला नहीं खोना चाहिए। उन्होंने कहा कि लोगों का यही प्यार, यही आशीर्वाद और यही साथ ही हमारी सबसे बड़ी दौलत है। इसके बिना हम अधूरे है। मेरी माता राजमाता साहिबा ने भी मुझे यही सिखाया है। राजे ने कहा कि पश्चिमी राजस्थान का इतिहास संजोए हुए मालाणी क्षेत्र अपनी एक अलग ही पहचान रखता है।

यहां रावल मल्लीनाथ जी और राणी रूपादे जी ने जो आदर्श स्थापित किए हैं, वे हम सभी के लिए प्रेरणादायक हैं। ये भूमि वीर योद्धाओं व महान तपस्वी संतों की है। यहां रावल मल्लीनाथजी ने 700 वर्षों पूर्व सन्तों का समागम करवाया। जिसमें श्री राणी रूपादे जी के गुरु श्री उगमसी भाटी, गुरु भाई मेघधारूजी, संत शासक महाराणा कुंभा व उनकी रानी (मेवाड़), बाबा रामदेव जी रामदेवरा, जैसल धाड़वी व उनकी रानी तोरल सहित अन्य समकालीन संतो ने भाग लिया और समरसता, धर्म व सत्य मार्ग की जोत जगाई जो उनके भजनों के माध्यम से राजस्थान व गुजरात में बसे उनके अनन्य भक्तों में मन में प्रज्वलित है।