राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर कार्यवाह होस्बाले ने बुधवार को एकात्म मानवदर्शन अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान की ओर से जयपुर के बिड़ला सभागार में दीनदयाल स्मृति व्याख्यान के तहत ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ : कल, आज और कल’ विषय पर उद्बोधन दिया।

सर कार्यवाह दत्तात्रेय होस्बाले ने कहा- बहुत से लोग जानना चाहते हैं कि संघ क्या है? संघ को जानने के लिए शाखा में आना पड़ता है, लेकिन बहनें कहेंगी कि आप उन्हें शाखा में नहीं आने देते। इसलिए संघ को शाखा जाने वालों को देखकर सीखना होगा, क्योंकि शाखा ही संघ है।

दत्तात्रेय होस्बाले बोले- संघ क्या है? हमारे स्वयंसेवी पत्रकार ने इस बारे में एक लेख लिखा था, जिसमें उन्होंने RSS के बारे में बताते हुए वाक्य लिखा था- संघ को समझने के दिमाग नहीं दिल चाहिए. ऐसे दिल और दिमाग बनाना संघ का काम है।

आप ही समझिये, हम कौन हैं? यह समझें, जीवन क्या है और हम इस जीवन में क्यों हैं? जीवन के लक्ष्य क्या हैं? इसे समझें और सिर्फ समझें नहीं, इसके लिए कुछ करें। केवल हम ही करें यह नहीं है, हमें लोगों को भी ऐसा करने के लिए तैयार करना चाहिए और ऐसा करते समय आनंद प्राप्त करना चाहिए। उस आनंद और सच्चिदानंद का नाम है ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’। भागवत ने कहा था- हम तो संघ को जानते तक नहीं, जानने वाला तो एक ही था, चले गये।

सर कार्यवाह होस्बाले ने कहा- इस विषय को कहना बहुत आसान है और कठिन भी। इस सभागार में बैठे कई लोग संघ के बारे में कुछ न कुछ जानते होंगे, जैसा कि डॉ. महेश चंद्र शर्मा ने कहा था- संघ को जानते है, ऐसा कहने वाले कौन है? सरसंघ नेता मोहन भागवत ने अपने एक भाषण में कहा था कि संघ को जानने वाला कोई नहीं, हम भी नहीं जानते. संघ को जानने वाले एक थे, संघ की स्थापना करके वह चले गये, वह ही जानते थे। हम सभी जीवन भर संघ को जानने की कोशिश कर रहे हैं।

सभागार में बैठे अधिकांश लोगों ने किसी न किसी रूप में संघ के लिए काम किया है। संघ के बारे में हम जानते हैं तो जानने वालों को क्या कहें। जो नहीं जानते, पूरा जानते हैं, उनके लिए बोलना आसान है। थोड़ा जानने वालों को समझाना बड़ा मुश्किल है। इस व्याख्यान के अवसर पर जयपुर के बिरला सभागार में एकात्म मानवदर्शन अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान के अध्यक्ष डॉ. महेश चंद्र शर्मा सहित संघ से जुड़े अनेक कार्यकर्ता एवं प्रचारक उपस्थित थे।