भारतीय जनता पार्टी किसान मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष सांगोद के पूर्व विधायक हीरालाल नागर ने कहा कि राजस्थान में कांग्रेस सरकार नेे महंगाई राहत शिविर का आयोजन शुरू किया गया है। ये महंगाई राहत शिविर नहीं है, ये कांग्रेस के प्रचार का एक तरीका है।

इन कैंपों में राजस्थान की जनता के टैक्स के रूप में दी गई राशि का दुरुपयोग करने का काम किया जा रहा है। साथ ही जनता को परेशान करने का काम किया जा रहा है। 40 डिग्री टेंपरेचर में आम जनता को कहा जा रहा है कि आप आइए और हमारी योजनाओं ने रजिस्ट्रेशन करवाइए, जबकि सरकार की योजनाओं का रजिस्ट्रेशन तो पहले ही हो चुका है और इन योजनाओं पर ही रजिस्ट्रेशन हुआ है, तभी तो जनता को योजनाओं का लाभ देने का काम किया जा रहा है। एक आम आदमी अपनी मजदूर 500 रुपये की मजदूरी छोड़ कर लाइन में खड़ा है। पसीने में तरबतर हो रहा हैं। और कांग्रेस के नेता फोटोशूट करा रहे है।

नागर ने कहां कि राजस्थान के मुख्यमंत्री जनता को महंगाई शिविर के नाम पर बेवजह परेशान कर रहे है। मुख्यमंत्री जी नागरिको में लाचारी का भाव पैदा करके खुद भगवान बनने की कोशिश कर रहे है। जनता इन्हे एक दिन सबक जरूर सिखायेगी।

कैंप लगाकर ढिंढोरा पीटने की क्या आवश्यकता है?

नागर ने कहा कि जब बिजली के बिलों की सब्सिडी की स्कीम 2018 से भाजपा की तत्कालीन सरकार में लागू की गई थी। उसी समय से बिलों में सब्सिडी योजना दी जा रही थी, तो अब सरकार उसके अंदर भी कह रही है कि आइए और दोबारा रजिस्ट्रेशन करवाने का काम कीजिए। इसके अलावा उज्ज्वला योजना के अंदर भी हम सब्सिडी देने का काम करेंगे, तो उज्ज्वला योजना के कनेक्शनों की सूची और उपभोक्ताओं के खाता संख्या आपके पास है। सरकार सीधा उनके अकाउंट के अंदर पैसा भेजने का काम करे।

साथ ही सामाजिक सुरक्षा पेंशन में भी बढ़ोतरी की गई। 500 रुपये से 750 रुपये जब लाभार्थियों के अकाउंट में जाना शुरू हो गए थे, अब सरकार 1000 रुपये देने की मानसिकता बना रही है, तो सीधा लाभार्थियों के अकाउंट में पैसा भेजने का भी काम करे। इसका ढिंढोरा कैंप लगाकर पीटने की क्या आवश्यकता है। सिर्फ सरकार द्वारा जनता को परेशान किया जा रहा है।

नागर ने ये भी कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी ने किसानों के खाते में 6000 रू, उज्जवला गैस सिलेंडर कनेक्शन पर 200 रू और खाद्य सुरक्षा के गेहूं निशुल्क करने के लिए तो कैंप नहीं लगाए फिर गहलोत सरकार क्यों नागरिकों को बेबस बना रही है। इतना ही नहीं, गहलोत को जनता की इतनी ही चिंता थी तो क्यों नहीं दो साल पहले ये योजनाएं लाए।