राजस्थान में बीजेपी ने भारी बहुमत से जीत दर्ज की। पार्टी ने यह चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर लड़ा। इस बार पार्टी ने किसी भी नेता को सीएम चेहरे के तौर पर पेश नहीं किया। अब सवाल ये है कि सत्ता में आने के बाद राजस्थान का मुख्यमंत्री कौन बनेगा, पार्टी सूत्रों के मुताबिक, राजस्थान में वसुंधरा राजे का नाम तय माना जा रहा है। राजस्थान में वसुंधरा का कद बड़ा है। राजनीतिक अनुभव की बात करें तो वसुंधरा दो बार राजस्थान की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं। और वह अटल जी की सरकार में देश की पहली सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्री रही हैं। वसुंधरा राजे पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी हैं।

70 साल की वसुंधरा राजे के पास राजनीति का लंबा अनुभव है। साल 1984 में वसुंधरा राजे ने भारतीय जनता पार्टी के युवा मोर्चा से सक्रिय राजनीति में अपने करियर की शुरुआत की। वह 1985 में पहली बार विधान सभा सदस्य के रूप में चुनी गईं और उसके बाद उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन में कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। 1989 में वसुंधरा राजे पहली बार झालावाड़ सीट से लोकसभा पहुंचीं और 2003 तक अटल जी के नेतृत्व वाली सरकार में कई मंत्रालयों का कार्यभार संभाला।

साल 2003 में वसुंधरा राजे की राजस्थान की राजनीति में वापसी हुई और पिछले 20 सालों से महारानी राज्य की राजनीति में सक्रिय हैं। कर्नाटक चुनाव में येदियुरप्पा के किनारे किए जाने का खामियाजा पार्टी को बड़ी हार के रूप में उठाना पड़ा। ऐसे में बीजेपी लोकसभा चुनाव से ठीक पहले राजस्थान में बड़े जनाधार वाली वसुंधरा जैसी नेता को नाराज करने का जोखिम नहीं लेना चाहेगी।

राजस्थान में बीजेपी में अगर कोई नेता है तो वो हैं वसुंधरा राजे। वसुंधरा राजे बीजेपी की सबसे लोकप्रिय नेता भी रही हैं। वसुंधरा राजे की छवि एक जमीनी नेता की है। कार्यकर्ताओं के बीच वसुंधरा काफी लोकप्रिय हैं। राजनीति में लंबे समय से सक्रिय रहीं वसुंधरा की संगठन पर मजबूत पकड़ मानी जाती है। 2018 के चुनाव में बीजेपी के उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन का श्रेय दो बार की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की संगठनात्मक ताकत और कार्यकर्ताओं पर उनकी मजबूत पकड़ को दिया जाता है। यही वजह है कि राजस्थान बीजेपी में 2003 से संगठनात्मक नियुक्तियों में उनकी पसंद को ध्यान में रखा जाता है। चुनावी साल में जब पार्टी नेता कई परिवर्तन यात्राएं कर रहे थे और भीड़ नहीं जुट पा रही थी, तब से वसुंधरा की उनसे दूरी की चर्चा तेज हो गई थी।

वसुंधरा राजे की एक बड़ी खासियत यह है कि उन्होंने सत्ता में रहते हुए महिलाओं के उत्थान के लिए कई योजनाएं शुरू कीं। एक बात जो उनके पक्ष में जाती है वो ये कि एक तो उनका महिला नेता होना और दूसरे उनकी योजनाएं, इन दोनों ने मिलकर जाति और धर्म की भावनाओं से ऊपर उठकर आधी आबादी का एक अलग वोट बैंक खड़ा कर दिया। महिला वोट बैंक में मजबूत पकड़ होने के बावजूद विभिन्न जातियों के बीच भी उनकी मजबूत पकड़ मानी जाती है। वसुंधरा राजपूत, जाट, गुर्जर और आदिवासी जातियों के बीच बेहद लोकप्रिय हैं।

वसुंधरा राजे राजस्थान की राजनीति से उसी तरह वाकिफ हैं जैसे एक शिक्षक अपने शिष्य से वाकिफ होता है। राजस्थान विधानसभा की 60 सीटों पर वसुंधरा राजे का सीधा प्रभाव है और वे 199 सीटों पर समीकरण बिगाड़ना भी जानती हैं।