जयपुर। मृत्‍यु भोज पर प्रतिबंध लगाने को लेकर कई समाजों द्वारा लंबे समय से अभियान चलाए जा रहे हैं। इसे कुप्रथा बताकर इस पर रेाक लगाने की मांग की जा रही थी लेकिन मामला अब प्रशासन स्‍तर पर पहुंच चुका है। शुरुआत राजस्‍थान से हो रही है। प्रशासन ने इस प्रथा पर बंदिश लगाने के लिए कमर कस ली है। इसके चलते अब मृृत्युभोज पर पूरी तरह रोक लगाने की जिम्मेदारी पुलिस अधीक्षकों को सौंपी गई है। इसके लिए पुलिस महानिदेशक ने राज्य के सभी एसपी को निर्देश जारी किए हैं। मृृत्युभोज पर प्रतिबंध का कानून तो 1960 का है, लेकिन कई जगह इसका पालन नहीं हो रहा था। इसके अलावा पहली बार पंच-सरपंच और पटवारी की जवाबदेही तय की गई है।

मृत्युभोज की सूचना ना देने पर पंच, सरपंच और पटवारी पर होगी कार्रवाई
पुलिस महानिदेशक ने प्रदेश के सभी SP को निर्देश दिए हैं कि वह राजस्थान मृत्युभोज निवारण अधिनियम 1960 का पालन सुनिश्चित करें। मृृत्युभोज के लिए अब क्षेत्रीय पंच-सरपंच और पटवारी की जिम्मेदारी होंगे। अब राज्य में मृत्युभोज कराने वालों पर एक साल की सजा के साथ ही एक हजार रुपए का जुर्माना भी लागाया जाएगा। अब मृृत्युभोज होने पर अब क्षेत्रीय पंच-सरपंच और पटवारी के खिलाफ कार्रवाई की जा सकेगी। मृत्युभोज पर रोक लिए उन्हें अदालत को सूचना देनी होगी ताकि समय रहते कार्रवाई की जा सके।

मदद करने वालों पर भी होगी कार्रवाई
सरकार ने मृत्युभोज बंद कराने के लिए कोई नया कानून नहीं बनाया है। 1960 में मृत्युभोज निवारण अधिनियम बनाया गया था। पुलिस को इस नियम का पालन करवाने की ही हिदायत दी गई है। इस अधिनियम की धारा तीन में उल्लेख है कि राज्य में कोई भी मृत्युभोज का आयोजन नहीं कर सकता और न ही उसमें शामिल हो सकता है। एक्ट में मृत्युभोज के आयोजनकर्ता की मदद करने वाले पर भी कार्रवाई करने का प्रावधान है। डीआईजी (अपराध शाखा) किशन सहाय ने बताया कि मृत्युभोज के आयोजन को लेकर कानून पहले से बना हुआ है। अब उल्लंघन करने वालों सख्ती की जाएगी।