जोधपुर के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में इलाज के लिए लाए गए युवक की मौत के बाद अब परिजन और समाज के लोग धरने पर बैठ गए हैं। परिजनों ने इलाज में लापरवाही का आरोप लगाते हुए चालक और टक्कर मारने वाले निजी अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए शव उठाने से इनकार कर दिया।

घटना की सूचना मिलने पर पुलिस भी मौके पर पहुंची और समझाइश की। पुलिस के आश्वासन के बाद परिजन धरना हटाने को राजी हुए। मृतक के परिवार के धर्माराम प्रजापत ने बताया कि उसका भतीजा जीताराम मजदूरी कर रात को बाइक से घर लौट रहा था। 23 जून को रात को सोजत रोड फिटकासनी के पास एक बोलेरो कैम्पर चालक ने लापरवाही से गाड़ी चलाते हुए उसे टक्कर मार दी।

इससे जीतराम के सिर व शरीर के अंदरूनी हिस्सों में चोट आई। उसका पैर फ्रैक्चर हो गया। घटना के बाद उन्हें इलाज के लिए एमडीएम ट्रॉमा सेंटर लाया गया। यहां इलाज के दौरान 24 जून को उन्हें बोन एंड ज्वाइंट हॉस्पिटल ले जाया गया। उन्हें 3 दिन तक अस्पताल में भर्ती रखा गया। यहां ऑपरेशन के बाद 27 जून को छुट्टी दे दी गई। इसके बाद 27 जून से 12 जुलाई तक वह घर पर ही रहा। 12 जुलाई को सुबह 11:00 बजे उसके पैर में तेज दर्द और तबीयत बिगड़ने पर उन्हें बोन एंड ज्वाइंट हॉस्पिटल ले जाया गया, जहां उनका चेकअप किया गया और ड्रेसिंग की गई. आरोप है कि यहां से घर लाते समय उसकी तबीयत बिगड़ गई। इस पर परिजन उसे गंभीर हालत में आनन-फानन में एम्स लेकर आए। यहां उपचार के दौरान जीतराम की मौत हो गई।

उन्होंने आरोप लगाया कि निजी अस्पताल की ओर से इलाज में गंभीर लापरवाही बरती गई, जिससे उसकी तबीयत बिगड़ी और उनकी मौत हो गई। इसलिए प्रशासन को जांच कर अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। जीतराम के परिवार को उनकी मां, बेटी कविता और दो बेटों के भरण-पोषण के लिए सरकार की ओर से मुआवजा दिया जाना चाहिए।