राजस्थान विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने जीत दर्ज कर ली। इसी के साथ अब मुख्यमंत्री पद के लिए पेशोपेश चल रही हैं। अभी मुख्यमंत्री के नाम पर मोहर लगना बाकी है। इसी बीच भाजपा ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, सरोज पांडे और विनोद तावडे को राजस्थान के लिए पर्यवेक्षक नियुक्त किया है। ये पर्यवेक्षक राजस्थान में विधायकों से रायशुमारी कर सकते हैं। माना जा रहा है कि 10 दिसंबर को विधायक दल की बैठक हो सकती है।

इधर, गुरुवार रात पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्‌डा और गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। नड्‌डा और वसुंधरा के बीच सवा घंटे तक बातचीत हुई।

अब बात की जाये राजस्थान में बीजेपी के बारे तो भैरोसिंह सिंह शेखावत जी ने राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी की जड़ों को सींचकर एक पौधे से बरगद बनाने का काम किया था। उनके परिश्रम से पार्टी ने ना सिर्फ राजस्थान में भाजपा की सरकार बनाई, बल्कि अटल जी को प्रधानमंत्री पद तक पहुंचाया था। लेकिन भेरोंसिंह जी के बाद राजस्थान में भाजपा को संभालने और संवारने का काम राजस्थान में वसुंधरा राजे ने किया था।

वसुंधरा के नेतृत्व में ही 2003 में भाजपा ने 125 तो वहीं 2013 में 163 सीटों के साथ बहुमत हासिल किया था। लेकिन राजस्थान का एक रिवाज रहा है कि कोई भी सरकार रिपीट नहीं होती, जिसका दंश उन पर भी लगा।

परंतु आज स्थिति अलग है। कुछ लोग बड़े ही शातिराना तरीके से वसुंधरा राजे को बदनाम करने, हर घटना का दोषी बताकर उनके खिलाफ माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं। वे लोग अपने राजनैतिक फायदे के लिए संघ के पदाधिकारियों से वसुंधरा राजे के अनबन की बात कर रहे हैं, विधायकों से मेल मिलाप को शक्ति प्रदर्शन बता रहे हैं। जबकि हकीकत यह है कि वसुंधरा राजे ने सदैव संघ का सम्मान रखा है। संघ कार्यालयों की सेवा की है तथा स्वयंसेवकों के सबसे ज्यादा काम राजे ने ही किए है। रही बात विधायकों से मुलाकात की तो विजयी प्रत्याशी और कार्यकर्ता उन्हें सिर्फ जीत की बधाई देने पहुंच रहे हैं।

लेकिन अफसोस ! कुछ लोग जिन्होंने पांच साल वसुंधरा राजे के खिलाफ खुफिया टास्क किया। उन्हें किनारे लगाने की नीयत से काम किए। वे अब राजे के खिलाफ कई मनगढ़ंत कहानियां बनाकर भाजपा कार्यकर्ताओं एवं जनता में विपरीत माहौल बनाने का प्रयास कर रहे हैं। लेकिन ये पब्लिक है जो सब अच्छे से जानती है। अच्छा क्या है, बुरा क्या है ? सबकुछ पहचानती है। जो पार्टी की मर्यादा में रही, इतने षड्यंत्रों के बाद भी कभी किसी के खिलाफ कोई सार्वजनिक टिप्पणी नहीं की, प्रधानमंत्री के मंत्र को लेकर आगे बढ़ी, उस वसुंधरा राजे को पब्लिक ने भर भरकर वोट दिए। जबकि जिन्होंने खुफिया टास्क किए, उन्हें 10-10 हजार वोटों से हराकर जनता ने उनकी औकात दिखा दी है।

ये सही समय है, उन लोगों के लिए जो षड्यंत्र में शामिल रहे। पार्टी आलाकमान को भी इस षडयंत्र को समझना चाहिए। क्योंकि जनता ने मोदी और वसुंधरा राजे के नाम पर भाजपा को वोट दिए हैं। राजस्थानियों की मोदी के बाद दूसरी पसंद वसुंधरा राजे ही है। यदि उन्हें अब भी नजरंदाज किया जाता है तो ये पार्टी कार्यकर्ताओं एवं जनता के साथ धोखा होगा।