देश की प्रख्यात गांधीवादी संस्थाओं का दो दिवसीय राष्ट्र स्तरीय सम्मेलन रविवार को अजमेर में सम्पन्न हुआ। सम्मेलन ने देश में एक बार पुनः अमन, चैन आपसी भाईचारा, तरक्की और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सपनों के भारत को खड़ा करने के लिए पूरी ताकत से जुटने के संदेश की नींव रखी। अजमेर सम्मेलन और ऎसे ही अन्य कार्यक्रमों की श्रृंखला से गांधीवादी विचारक बापू के संदेश और दर्शन को पूरे देश में प्रसारित करेंगे।
गांधीवादी संस्थाओं के दो दिवसीय राष्ट्रस्तरीय सम्मेलन के समापन पर मुख्य अतिथि विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सी.पी.जोशी  रहे। कार्यक्रम में विधानसभा अध्यक्ष डॉ. जोशी ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के आदर्शों  और दर्शन को वर्तमान परिस्थितियों में लागू करने की महत्ती आवश्यकता है। इन आदर्शों और मानकों को हासिल करने के लिए ऎसे मजबूत विचारकों और विचारधारा की आवश्यकता है, जो चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों का डटकर मुकाबला कर सकें। इन्हीं विचारकों के समक्ष यह चुनौती भी है कि वे वर्तमान पीढ़ी को मौजूदा परिस्थितियों में गांधी के विचारों की उपयोगिता समझा सकें।
डॉ. जोशी ने कहा कि भारत का लोकतंत्र विश्व का सबसे मजबूत लोकतंत्र है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और आजादी के समय देश का नेतृत्व करने वालों ने जिस लोकतंत्र की नींव रखी, वह लोकतंत्र देश में सभी धर्म, भाषा, समाज, प्रांत और अन्य परिस्थितियों के आधार पर भिन्नता रखने वालों को भी सत्ता व शासन में समान रूप से भागीदार बनाता है। सरकार चाहे कोई भी हो, उसे संविधान के अनुसार ही कार्य करना होगा, इसमें किसी तरह का परिवर्तन नहीं किया जा सकता है।  उन्होंने कहा कि देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू एवं उनके बाद के प्रधानमंत्रियों ने एक सशक्त एवं उन्नत देश की नींव रखी। भारत के परमाणु प्रसार कार्यक्रम, विज्ञान से जुड़े संस्थान, तकनीकी संस्थान और अन्य संस्थानों की नींव देश की आजादी के साथ ही रखी गई। यह देश के सशक्त संविधान और मजबूत संस्थानों की ही देन है कि देश की जीडीपी आज भी विकास की ओर अग्रसर है।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैचारिक आधार पर राजनीति करने की आवश्यकता है। हमें यह मजबूती से बताना होगा कि गांधीवादी विचार और दर्शन ही देश को आगे ले जाने के लिए आवश्यक हैं। यह देश का संविधान ही है जिसने विपरीत विचारधारा के लोगों को भी चुनावी प्रक्रिया के माध्यम से शासन करने का अवसर दिया है। ऎसे ही गांधी की विचारधारा को वर्तमान हालात में लोगों तक पहुंचाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि गांधीजी ने ग्राम स्वराज का मंत्र दिया था। इस दिशा में और काम करना होगा। लोकसभा और विधानसभाओं में और ज्यादा दिनों तक नीतियों पर बहस होनी चाहिए। गांधी दर्शन को पढ़ने के साथ ही उस पर अमल भी करना होगा। हमें अध्ययन और स्वाध्याय के अंतर को समझना होगा। वैचारिक ब्लूप्रिंट लेकर जनता के बीच जाना होगा।
इससे पूर्व गांधी शांति प्रतिष्ठान के अध्यक्ष कुमार प्रशान्त ने कहा कि गांधी दर्शन में प्रत्येक समस्या का समाधान है। महात्मा गांधी को एक व्यक्ति तक ही सीमित रखने की आवश्यकता नहीं है। उनके दर्शन तथा विचारों को जीवन में उतारा जाना चाहिए। ऊपर उठने के लिए संघर्ष की आवश्यकता होती है, किसी भी विचार को मुख्य धारा  में बनाए रखने के लिए लगातार मेहनत और साधना का दामन थामे रखना होगा।
उन्होंने कहा कि तकनीक के कारण व्यक्ति के निजी क्षणों की भी तृतीय पक्ष द्वारा निगरानी रखी जाने लगी है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता के कारण विज्ञान की अनवरत प्रगति हो रही है। विज्ञान की यह प्रगति व्यक्ति के स्वतंत्र अस्तित्व को चुनौती दे रही हैं। उन्होंने कहा कि खादी कातते हो तो खादी  पहनी तथा खादी पहनते हो तो कातो, इस सूत्र को अंगीकार करके गांधी को समझा जा सकता है। गांधीजनों को अपने आपको नियमित अपडेट करना होगा।
इस अवसर पर जिला कलक्टर  अंश दीप, पुलिस अधीक्षक  चूनाराम जाट, समग्र सेवा संघ प्रदेश अध्यक्ष  सवाई  सिंह, राष्ट्रीय युवा संगठक मनोज ठाकारे, गांधी स्मारक निधि राजघाट दिल्ली के अध्यक्ष  रामचन्द्र राही,  संजय सिंह उपस्थित रहे।
महात्मा गांधी जीवन दर्शन समिति के  संयोजक डॉ. श्रीगोपाल बाहेती ने सम्मेलन का परिचय दिया।  नरेश  ठकराल ने आभार  व्यक्त किया। सहसंयोजक शक्ति प्रताप सिंह ने स्वागत किया। गांधीवादी संस्थाओं के दो दिवसीय  सम्मेलन में हुई चर्चाओं से संबंधित अजमेर घोषणा पत्र विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सी.पी.जोशी को सौंपा गया।