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बाड़मेर जिले के पचपदरा में रिफाइनरी के लिए मंगलवार को एचपीसीएल के साथ एमओयू होने जा रहा है। यह रिफाइनरी देश की पहली इको फ्रेंडली रिफाइनरी होगी। पचपदरा रिफाइनरी बीएस-6 मानकों पर बनेगी और इसमें बनने वाला डीजल, पेट्रोल बीएस-6 मानकों पर होगा, जो बहुत कम प्रदूषण फैलाता हैं। अभी देश में ज्यादातर रिफाइनरी बीएस-3 या बीएस-4 मानकों पर ही चल रही हैं। राजस्थान सरकार, केन्द्र सरकार व एचपीसीएल के बीच एमओयू मंगलवार को दोपहर तीन बजे होटल हिल्टन में होगा। इस दौरान केन्द्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान सहित पांच विभागों के मंत्री व एचपीसीएल के चेयरमैन मौजूद रहेंगे।

                                                              देश की पहली इको फ्रेंडली रिफाइनरी होगी

बीएस—6 मानक पर तैयार होने वाली ​इस रिफाइनरी के लिए पिछले माह ही राजस्थान विधानसभा में मुख्यमंत्री ने नए प्रस्तावों के साथ एचपीसीएल के साथ एमओयू साइन करने की घोषणा की थी। जिसके बाद पचपदरा में प्रस्तावित रिफाइनरी के मूर्त रूप लेने की संभावनाओं को बल मिला था। गौरतलब है इस रिफाइनरी के लिए एचपीसीएल बोर्ड ने मार्च 2013 में मंजूरी दी थी। रिफाइनरी को लेकर राजस्थान में राजनीतिक माहौल गरम रहा है।

                                                      कुछ इस तरह से खास होगी हमारी पचपदरा की रिफाइनरी
पचपदरा में बनने वाली रिफाइनरी करीब 42 हजार करोड़ की लागत से तैयार होगी। सरकार के अनुसार नए एमओयू के साइन होने के बाद राज्य सरकार पर लागत का भार करीब 20 हजार 583 करोड़ रुपए आएगा। यह रिफाइनरी करीब 90 लाख टन क्षमता की होगी। इस रिफाइनरी में 30 साल तक उत्पादन होगा। रिफाइनरी से निकलने वाले पेटकॉक से 250 मेगावॉट बिजली बनेगी । जिसमें केयर्न एनर्जी से उत्पादित तेल रिफाइन किया जाएगा। साथ ही बाहर से आयतित तेल को भी इसमें रिफाइन किया जाएगा।

                                                              ऐसी रही है राजस्थान में रिफाइनरी की राह
साल 2005 में रिफाइनरी का ऐलान हुआ। शुरुआत में लागत 12 हजार करोड़ लगाई गई। पर समय के साथ इसकी अनुमानित लागत 42 हजार करोड़ हो गई। एक उच्च स्तरीय टीम ने रिफाइनरी को लीलाणा में लगाने के लिए चयन किया। टीम के इस फैसले का स्थानीय काश्तकारों ने विरोध किया।
जिसके बाद यह फैसला फिर से बदल दिया गया। साल 2013 में विधानसभा चुनावों से ठीक पहले तय हुआ कि राजस्थान में प्रस्तावित रिफाइनरी बाड़मेर के पचपदरा में ही लगेगी। वहां उपलब्ध 28000 बीघा में से दो गांवों की 11000 बीघा जमीन ली जाएगी। इसमें एक कोने में आ रही 5 काश्तकारों की 100 बीघा जमीन को भी छोडऩे का फैसला किया गया। वर्ष 2013 में विधानसभा चुनाव के ठीक पहले गहलोत सरकार ने कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी से रिफाइनरी का शिलान्यास करवाया। 2013 में सरकार बदली, मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के नेतृत्व में भाजपा ने सरकार बनाई, रिफाइनरी प्रोजेक्ट पर विशेष कमेटी से जांच करवाई। प्रदेश के लिए घाटे का सौदा साबित होने पर रिफाइनरी पर फिर से काम करने के लिए टीम बनाई, नई शर्तों और कम बजट से फिर बहाल हुआ रिफाइनरी प्रोजेक्ट।

                                                                    2021 तक उत्पादन शुरू होने की उम्मीद

एमओयू के बाद अगर काम जल्द शुरू होता है तो चार साल में रिफाइनरी बनकर तैयार हो जाएगी। रिफाइनरी के साथ पेट्रोकेमिकल हब भी बनेगा। अब सबकी निगाहें एमओयू के बाद काम शुरू होने पर टिकी हैं। सब कुछ ठीक ठाक रहा तो 2021 के अंत तक रिफाइनरी उत्पादन शुरू कर सकती है।