सत्ता पाने के लालच में इंसान किस क़दर अंधा हो जाता है। इसका पता आज चल रह है। सही बात है ये दुनिया गोल ही नहीं छोटी भी है। और छोटी इतनी की हमारे कल के किये हुए करतूत कब हमारे सामने आ जाये हमें पता ही नहीं चलता। फिर हमारे पास मुँह बिलकाने के आलावा, करने के लिए कुछ और नहीं होता। ये सब भी एक लेवल तक तो ठीक है, चल जाता है। मगर जब बात लोगों के एक बड़े समूह की आती है… तो फिर मामला थोड़ा गड़बड़ा जाता है। ऊपर से जब हम ज़िम्मेदार हो तो बात फिर और ज्यादा मायने रखती है। अब आप सोच रहे होंगे कि हम क्या बड़बड़ाये जा रहे हैं कुछ समझ में नहीं आ रह है। तो अब हम आपको डिटेल में समझते हैं।

तो शुरू करें…?

कहानी शुरू होती है, आज से ठीक एक महीने और आठ दिन पहले। राजस्थान में विधानसभा चुनावों का ज़बरदस्त माहौल चल रहा था। एक तरफ सत्तासीन भाजपा पार्टी थी, जो राजस्थान में पिछले पांच साल में अपने किये हुए विकास कार्यों के दम पर इतिहास बदले की पूरी तयारी में थी। तो दूसरी तरफ 2013 के चुनावों में बुरी तरह धूल चाटने के बाद जैसे-तैसे अपने पैरों पर खड़ी होकर अपनी खोई हुयी इज्ज़त वापिस पाने के लिए संघर्ष कर रही कांग्रेस पार्टी। दोनों पार्टियां अपनी तरफ से पूरी ताकत झोंक रही थी। भाजपा के पास दिखाने के लिए योजनाओं और कार्यों की एक लम्बी लिस्ट थी। वहीं दूसरी और लम्बी लिस्ट तो कांग्रेस के पास में भी थी। लेकिन वो सिर्फ़ और सिर्फ़ झूठे तथ्यों और फ़र्ज़ी आंकड़ों की थी। कांग्रेस आये दिन भाजपा सरकार के खिलाफ ज़हर उगल रही थी। तो भाजपा सिर्फ़ और सिर्फ़ अपने वादों और घोषणाओं को पूरा किये जाने के दम पर जनता से वोट की मांग कर रही थी। तभी 20 नवंबर 2018 को राजस्थान के अलवर जिले में एक घटना घटती है। उस घटना में अलवर के चार नौजवान ट्रैन के आगे कूद कर आत्महत्या कर लेते हैं। उसके अगले दिन इस घटना चर्चा सभी समाचार चैनलों और अख़बारों में तो थी ही। उसके अलावा इस घटना की चर्चा कहीं और भी चल रही थी। वो थी कांग्रेस पार्टी। कांग्रेस के लिए तो ये घटना मानो एक अवसर थी। राजस्थान की सत्ता की चाबी। बस फिर क्या था? पहले तो मीडिया ने बिना कुछ सोचे समझे और जांच पड़ताल किये ये खबर चलायी कि उन चारों युवकों ने बेरोजगारी से तंग आकर आत्महत्या कर ली, फिर कांग्रेस के नेताओं इस मामले को इतनी अच्छी तरह से भुनाया कि फिर कांग्रेस ने राजस्थान में सरकार बनाकर ही दम लिया।

क्या था असल मामला?

20 नवंबर को अलवर में चार युवक ट्रैन के आगे कूद कर आत्महत्या का प्रयास करते हैं, जिनमे से तीन युवक इस महान कार्य में सफल हो जाते हैं, जबकि एक युवक गंभीर रूप से घायल हो जाता है। जिसे अस्पताल में भर्ती करा दिया जाता है। लेकिन मीडिया में ये खबर चलायी जाती है कि वे चारों युवक पढ़ने वाले थे,सरकारी नौकरी की तयारी कर रहे थे, एवं नौकरी या रोज़गार नहीं मिल पाने की वजह से हतास थे, जिसके चलते उन्होंने आत्महत्या कर ली। फिर इस खबर को कांग्रेस ने भी पकड़ लिया। पिछले पांच सालों में भाजपा के कांग्रेस को बोलने का कोई मौका नहीं दिया तो कांग्रेस ने इसी पर बोलना शुरू कर दिया। पहले तो सचिन पायलट फिर अशोक गहलोत और फिर राहुल गांधी बाद में कांग्रेस के सभी नेताओं ने इस मामले को हथियार बनाकर भाजपा सरकार पर राजस्थान के युवाओं को रोजगार नहीं देने का आरोप लगाया और अपने अपने हिसाब से टिका-टिप्पणी की। जिसके नमूने निचे पेश हैं।

ये तो माननीय उप-मुख्यमंत्री श्रीमान सचिन पायलट जी ने कहा था।

और ये माननीय मुख्यमंत्री श्रीमान अशोक गहलोत जी ने कहा था।

इस मामले में कांग्रेस के महान नेता सबके प्यारे श्री श्री 1008 श्री राहुल गांधी जी ने भी भाजपा की राज्य और केंद्र सरकारों को घेरा था।

जबकि गौरतलब है कि घटना के दूसरे ही दिन उन चारों युवकों के साथ दो और युवक जो उनके दोस्त थे। उन्होंने बताया कि उन लोगों ने बेरोजगारी की बात तो की ही नहीं, और कर भी नहीं सकते थे। क्योंकि वो तो अभी पढ़ ही रहे थे। अब जब किसी ने अपनी पढ़ाई ही पूरी नहीं की हो तो कौन सी सरकार हैं, जो किसी को बिना शैक्षणिक योग्यता पूरी किये नौकरी दे दे। हाँ कांग्रेस की सरकार भविष्य में शायद ऐसा प्रावधान जरूर ले आये, लेकिन अभी तक तो उनके पास भी ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। बाद में जब पुलिस ने जांच पड़ताल की तो शुरुआत में पता चला कि आत्महत्या करने वाले युवकों के परिवार में भी कोई ऐसा आर्थिक संकट नहीं था। मरने वाले 17 वर्षीय ऋतुराज मीणा के पिता हेडकॉन्स्टेबल हैं, 22 वर्षीय अभिषेक मीणा के पिता के पिता डेयरी चलाते हैं, 22 वर्षीय सत्यनारायण मीणा के पिता बड़े ज़मींदार हैं, और उसके बड़े भाई भी केंद्रीय आपदा बल में कॉन्स्टेबल हैं, तथा 24 वर्षीय मनोज मीणा का परिवार भी आर्थिक रूप से काफी समृद्ध है। उन्हीं युवकों के पास आईफ़ोन पाए गए थे। जिसे उनके दोस्तों ने बताया उन्होंने आत्महत्या काफी सोचसमझ कर की। चारों में मिलकर काफी देर तक ट्रैन के ट्रैक पर बैठकर ही बातचीत की।

लेकिन कांग्रेस तो उनकी चिता पर भी अपनी रोटी सेकने के लिए तैयार बैठी थी। बस फिर क्या था? उन्होंने मुद्दे को हवा दे दी, मौके को भुनाया गया, और भाजपा को चारों तरफ से घेर लिया। लेकिन अब जब पूरी जांच रिपोर्ट सामने आयी है। तो आज सच्चाई कुछ और ही निकल कर सामने आयी है।

क्या कहती है जांच रिपोर्ट?

मामले की जांच कर रहे गृह थाना अधिकारि हरी सिंह धायल ने बताया कि मामला बेरोजगारी का तो बिलकुल नहीं था। लेकिन उन्होंने जब मामले की गहरायी से जांच की तो पता चला की मृतक ऋतुराज मीणा का किसी युवती के साथ प्रेम प्रसंग चल रहा था, जिसकी शादी 19 नवंबर को किसी अन्य युवक के साथ कर दी गयी थी। जहां अपनी प्रेम लीला समाप्त हो जाने के चक्कर में ऋतुराज मीणा ने अगले दिन 20 नवंबर को अपनी ईह लीला समाप्त कर ली। वहीं उसके तीन दोस्त भी मजे-मजे में उसके साथ ट्रैन की पटरी पर जाकर बैठ गए। उन्होंने सोचा की ट्रैन नज़दीक आने से तुरंत पहले ठीक समय पर वो ट्रैक से हट जायेंगे, मगर ट्रैन के आते ही वो हड़बड़ा गए और कुछ नहीं कर पाए। जांच में ऐसा कहीं भी पता नहीं चल पाया कि उन्होंने बेरोजगारी से तंग आकर आत्महत्या की। क्योंकि ना तो ऋतुराज और अभिषेक ने अभी तक किसी नौकरी के लिए कोई प्रतियोगी परीक्षा दी थी। और ना ही नौकरी को लेकर उनके ऊपर परिवार का कोई दबाव था। मगर अब इस बात की चर्चा ना तो वे समाचार चैनल और पत्र कर रहे हैं, और ना ही सम्माननीय कांग्रेस के सम्माननीय नेतागण।

नतीजा क्या निकला?

जांच रिपोर्ट आने के बाद ये बात तो स्पष्ट हो गयी की किस तरह कांग्रेस ने भाजपा के खिलाफ झूठी अफवाहें और झूठी खबर फ़ैलायी। लेकिन कांग्रेस ने जिस प्रकार से उस वक़्त भाजपा सरकार को घेरा था, आज उसी कांग्रेस को सबसे पहले तो राजस्थान की जनता से हाथ जोड़कर माफ़ी मांगनी चाहिए। फिर जिस लोगों की मौत पर इन्होंने राजनीति का ये घिनौना नृत्य किया है। उनके परिवार वालों के समक्ष अपनी गलती का प्रायश्चित करना चाहिए। और अगर उसके बाद भी थोड़ी बहुत शर्म बचती है, तो जिस प्रकार से किसानों का कर्ज़ माफ़ किया गया है, उसी प्रकार राजस्थान के बेरोजगारों के लिए तुरंत रोजगार की घोषणा करने के साथ-साथ प्रभावी रूप से बेरोजगारी भत्ता लागू करना चाहिए।

अगर इन सब में से कोई एक भी काम करने में कांग्रेस सरकार असमर्थ हो तो बेशक वे अपना इस्तीफा आज ही राजयपाल को दे सकते हैं। शायद आपके इस कदम से जनता अपने फ़ैसले फ़क्र महसूस करे की उन्होंने ने सच्चे लोगों को चुना है। वरना ये सच्चाई जानने के बाद राजस्थान की जनता अपने फ़ैसले पर ता-उम्र अफ़सोस करेगी की चार बच्चों की मौत पर घड़ियाली आंसू बहाने वालों के झांसे में आकर हमने अपने ही पैर कुल्हाड़ी पर मार दिए।

Author

Mahendra