सरकार के किसी भी विभागों में चिकित्सा विभाग सबसे ज्यादा महत्त्वपूर्ण होता है। चुनावों के वक्त तकरीबन सभी पार्टियां प्रदेश के दूरदराज इलाकों तक चिकित्सा सेवाओं की सुलभ पहुंच सुनिश्चित करने का दावा करती है। राजस्थान में ऐसा ही दावा कांग्रेस ने चुनाव से पहले जनता के साथ किया था लेकिन नए चिकित्सा मंत्री के फैसले इन दावों की पोल खोलते हुए नजर आ रहे हैं। वहीं आमजन भी इलाज के लिए अस्पताल पहुंच रहे हैं तो वहां डॉक्टरों की कमी की वजह से घंटों लाइन में खड़े रहना पड़ता है।
राजस्थान के 90 फीसदी क्षेत्र अस्पतालों में डॉक्टरों की भारी किल्लत से जूझ रहे हैं जबकि चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा ने अपने निर्वाचन क्षेत्र केकड़ी के साथ प्रदेश के चंद विधानसभा क्षेत्रों में ही डॉक्टरों की कृपा बरसाई है। एक ही तबादला सूची में 8 विशेषज्ञ डॉक्टर लगाए जाने के बाद राज्य के अन्य सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की उपलब्धता पर सवालिया निशान उठना लाजिमी है। रघु शर्मा ने पदभार संभालते ही केकड़ी को छोड़कर प्रदेशभर के अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी पर सुध लेने की जहमत भी नहीं उठाई, जबकि चिकित्सा मंत्री के तौर पर उनका जिम्मा संपूर्ण प्रदेश की चिकित्सा व्यवस्था को सुदृढ़ करना है।
राज्य की 150 से ज्यादा विधानसभा क्षेत्रों में डॉक्टरों की भारी किल्लत
जानकारी के मुताबिक वर्तमान में प्रदेश की 200 में से करीब 150 से ज्यादा विधानसभा क्षेत्रों में डॉक्टरों की भारी किल्लत है। विशेषकर जैसलमेर, बाड़मेर, बांसवाड़ा, भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़ व प्रतापगढ़ जैसे करीब दर्जनों भर जिले ऐसे है जहां पर डॉक्टरों की कमी विकराल रूप ले चुकी है। आमजन को इलाज के लिए दर-दर की ठोकरें खानी पड़ रही है लेकिन चिकित्सा मंत्री इन सबसे बेपरवाह होकर सिर्फ अपने निर्वाचन क्षेत्र केकड़ी पर ही मेहरबानी कर रहे हैं। सिर्फ जयपुर जिले की बात की जाए तो यहां के सभी विधानसभा क्षेत्रों में तकरीबन सारे पद भरे हुए हैं।