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आश्विन शुक्ल पक्ष यानि गुरूवार को नवरात्रि का अंतिम दिन राम नवमी है। इस दिन दुर्गा के 9वें स्वरूप के रूप में सिद्धिदात्री की पूजा व उपासना की जाती है। माता सिद्धिदात्री सभी सिद्धियों को पूर्ण करने वाली है। पुराणों में ऐसा कहा गया है कि भगवान शिव ने भी मां सिद्धिदात्री की उपासना कर परम सिद्धि को प्राप्त किया था। कमल आसन पर विराजमान माता सिद्धिदात्री के एक हाथ में कमल का पुष्प, दूसरे हाथ में शंख, तीसरे हाथ में चक्र और चौथे हाथ में गदा शुशोभित है। इस दिन 9 कन्याओं को हलवा, पूरी और चने का भोजन कराने के साथ-साथ उन्हें लाल चुनरी उड़ाना भी शुभ माना जाता है।

आगे जानें कन्याओं को पूजने का सही तरीका और शुभ मुहूर्त
नवमी पर कन्या पूजन के लिए पहला शुभ मुहूर्त प्रात: 6.29 बजे और दूसरा प्रात: 10.46 बजे है।
कन्‍या पूजन के शुभ मुहूर्त
सुबह 6 बजकर 29 मिनट से 7 बजकर 54 मिनट तक
सुबह 10 बजकर 46 मिनट से दोपहर 3 बजकर 3 मिनट तक
ऐसे करें माता की पूजा
अर्चनकर्ता को स्नानादि आदि से शुद्ध होकर धुले कपड़े पहनकर मौन रहकर अर्चन करना चाहिए। अर्चन में बिल्वपत्र, हल्दी, केसर या कुंकुम से रंग चावल, इलायची, लौंग, काजू, पिस्ता, बादाम, गुलाब के फूल की पंखुड़ी, मोगरे का फूल, चारौली, किसमिस, सिक्का आदि का प्रयोग शुभ व देवी को प्रिय है। यदि अर्चन एक से अधिक व्यक्ति एक साथ करें तो नाम का उच्चारण एक व्यक्ति को तथा अन्य व्यक्तियों को नमः का उच्चारण अवश्य करना चाहिए। अर्चन की सामग्री प्रत्येक नाम के पश्चात, प्रत्येक व्यक्ति को अर्पित करना चाहिए। अर्चन के पूर्व पुष्प, धूप, दीपक व नैवेद्य लगाना चाहिए। दीपक इस तरह होना चाहिए कि पूरी अर्चन प्रक्रिया तक प्रज्वलित रहे।