जयपुर। महामारी कोरोना वायरस से जूझ रहे लोगों को कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ा रहा है। कोरोना काल के दौरान बहुत सारे लोगों को दो वक्त की रोटी के भी लाले पड़ गए। लॉकडाउन में सभी लोग अपने काम धंधे को छोड़ कर अपने अपने घरों में कैद हो गए है। कोरोना संकट को देखते हुए बिजी उपभोक्ता को सरकार से राहत की उम्मीद थी। लेकिन प्रदेश के नागौर जिले में नींबू पानी बचेन वाले को कोरोना काल में बिजली के बिल ने जोरदार करंट दिया है। डिस्कॉम अधिकारियों की लापरवाही के चलते उपभोक्ताओं काे मीटराें की रीडिंग लिए बिना ही दो से चार गुना अधिक राशि के औसत बिल थमाए जा रहे हैं। इतना ही नहीं अपनी भूल और टाइपिंग एरर का हवाला देकर गरीबों को लाखों और करोड़ों के बिल भेजे गए हैं।

1, 59, 96, 143 रुपए बिजली बिल
मकराना शहर में ठेले पर नींबू पानी बेचने वाले अब्दुल सत्तार को डिस्कॉम ने दो माह का बिल 1 करोड़ 59 लाख 96 हजार 143 रुपए बकाया का बिजली बिल भेज दिया। बिल की इतनी बड़ी राशि देखकर पीड़ित को पहले तो पहले तो यकीन ही नहीं हुआ। जब उसने आस-पड़ोस के लोगों इसके बारे में बताया लगाया कि उसकी बीपी बढ़ गई। पड़ोसियों ने बड़ी मुश्किल से उसे संभाला। अब्दुल सत्तार ने घर के लिए मात्र एक किलोवाट बिजली का कनेक्शन लिया हुआ है। लेकिन इस बार आए दो माह के बिजली बिल में रीडिंग 5 मई 2021 को 18,59,783 यूनिट आई।

डिस्कॉम विभाग ने बताया टाइपिंग एरर
परिवार ने विभाग की बड़ी गलती मानते हुए तुरंत डिस्कॉम के सहायक अभियंता को मामले से अवगत कराया। मामले का पता चलते ही डिस्कॉम कर्मचारियों ने मौके पर पहुंचकर घरेलू मीटर की रीडिंग देखी तो उसमें मात्र 1555 यूनिट दर्शाई हुई मिली जो कि नया मीटर लगने के बाद पिछले कुछ महीनों की रीडिंग है। इससे पहले फरवरी में 220 और अप्रैल में 324 यूनिट का बिल अब्दुल सत्तार को दिया गया था। डिस्कॉम अधिकारियों को जब मामले की जानकारी लगी तो आनन-फानन में अपनी भूल सुधार और टाइपिंग एरर की बात कहते हुए देर शाम बिल को ठीक करते हुए 1500 रुपए बकाया का बिजली बिल बना दिया। मकराना के सहायक अभियंता एसके रावल का कहना है कि कोरोनाकाल में मीटर रीडर को फील्ड में ना भेजकर प्रोविजनल रीडिंग ही ली गई थी, जिससे यह गलती हुई है। अब शहर में मैन्युअल रीडिंग की जा रही है।