अलवर में युवती के साथ गैंगरेप की घटना में सामने आई पुलिस विभाग की लापरवाही के बाद जिले में कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी आईपीएस पारिस देशमुख को सौंपी गई थी. इसके लिए चुनाव आयोग से सहमति मिलने के बाद पुलिस डिपार्टमेंट की ओर से देशमुख की नियुक्ति के आदेश जारी कर दिया गया था. लेकिन अब देशमुख पारश की नियुक्ति को लेकर सवाल उठने लगे हैं. राज्यसभा सांसद डॉक्टर किरोड़ीलाल मीणा और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक हनुमान बेनीवाल ने आरोप लगाया है कि नागौर में तैनाती के दौरान देशमुख एक पुलिसकर्मी के परिवार की सामूहिक हत्या के मामले में संदिग्ध हैं.

आरोप है कि हत्या के मामले में संदिग्ध होने के बावजूद सरकार ने उन्हें अलवर जिले में तैनात किया है. मामले को लेकर सांसद किरोड़ी लाल आज (11 मई) को कलेक्ट्रेट का घेराव करेंगे. वहीं हुनुमान बेनीवाल ने भी नागौर में एक प्रेस वार्ता में कहा कि आईपीएस पारिस देशमुख पर नागौर जिले में तैनाती के दौरान एक सिपही गेनाराम मेघवाल के परिवार सहित सामूहिक आत्महत्या के लिए जिम्मेदार माना गया था. जांच अधिकारी आईजी बीएल मीणा ने पारिस देशमुख को मामले में संदिग्ध माना था.

हनुमान बेनीवाल का आरोप है कि ऐसे अफसर की अलवर जिले में तैनाती गहलोत सरकार की असंवेदनशीलता दिखाती है. उन्होंने कहा कि सरकार को दलित हितों की कोई परवाह नहीं है.