हाल ही संपन्न हुए 5 राज्यों के विधानसभा चुनावों में से 3 राज्यों में कांग्रेस ने अपनी सरकार बनाई है लेकिन गठबंधन से। कांग्रेस ने तीनों राज्यों में से छत्तीसगढ़ को छोड़कर मध्यप्रदेश और राजस्थान में गठबंधन की सरकारें बनाई है। दोनों ही प्रदेशों में बसपा की सुप्रिमो मायावती ने कांग्रेस को समर्थन का सहारा दिया है। अब मायावती कांग्रेस से गठबंधन की बैसाखियां खिंचने की धमकी दे रही है। बता दें कि मायावती की यह धमकी कोरी गिदड़ भप्पी नहीं है। समर्थन वापिस लेने की सुरत में मध्यप्रदेश में तो सरकार गिर भी सकती है।
अगर 2 अप्रैल को भारत बंद के दौरान जातिगत और राजनीतिक द्वेष से फंसाए गए लोगों पर दर्ज मुकदमे वापस नहीं लिए गए तो बसपा को मध्य प्रदेश और राजस्थान की सरकारों से समर्थन वापस लेने पर पुनर्विचार करना पड़ सकता है: मायावती
असल में हुआ कुछ यूं कि पिछले साल 2 अप्रैल, 2018 को एससी-एसटी एक्ट के समर्थन में कुछ दलित संगठनों ने ‘भारत बंद’ का आव्हान किया था। चूंकि यह एक देशव्यापी आव्हान था इसलिए राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश व बिहार सहित करीब 12 राज्यों में इस दौरान हिंसा फैली और 14 से अधिक लोगों की मौत भी हुई। सैंकड़ों घायल हुए। इस पर कार्यवाही करते हुए प्रशासन ने दलित संगठनों ने कार्यकर्ताओं पर केस दर्ज किए थे। अब मायावती इन सभी केसों को वापस लेने पर दबाव डाल रही है। राजस्थान ही नहीं बल्कि मध्यप्रदेश में भी ऐसा करने का दबाव है।
राजस्थान की बात करें तो हाल में संपन्न हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने 199 में से 99 सीटों पर कब्जा जमाया है। 6 सीटों के साथ बसपा ने कांग्रेस को गठबंधन की बैसाखी थमाई है। वहीं मध्यप्रदेश में कांग्रेस को 2 सीटों का साथ मिला है। यहां कांग्रेस ने वर्तमान मुख्यमंत्री कमलनाथ के नेतृत्व में 230 में से 114 सीटों पर जीत हासिल की थी। बहुमत के लिए 116 सीटों की दरकार है। वहीं भाजपा के पास 109 सीटें हैं। कांग्रेस ने 3 निर्दलीय, 2 बसपा और 1 सपा विधायक के समर्थन से सरकार बनाई।
समर्थन वापसी की बात सुनकर राजस्थान के वर्तमान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सहित पूरी कांग्रेस पार्टी भीगी बिल्ली बन गए हैं। कांग्रेस बड़ी मुश्किल से हाथ आई सत्ता को जाने नहीं देना चाहेगी। मायावती की धमकी की गूंज इतनी भयावह है कि मध्यप्रदेश में तो कमलनाथ ने डर के मारे सभी केस वापस लेने की बात पर स्वीकृति की मुहर भी लगा दी है। राजस्थान में भी ऐसा ही होने की पूरी उम्मीद लगाई जा सकती है। बशर्ते कांग्रेस ऐसा नहीं करती है तो मायावती की नाराजगी मोल लेनी पड़ेगी। उत्तरप्रदेश में सपा और बसपा के गठबंधन को देखते हुए कांग्रेस का महागठबंधन खतरे में पड़ सकता है। ऐसे में कांग्रेस गठबंधन की बैसाखियों को अपने हाथों से फिसलने नहीं देगी फिर चाहे कानून व्यवस्था को ही थोड़ा इधर-उधर करना पड़े।
Read more: नए साल में फिर से हूंकार भरेगी भाजपा, लोकसभा चुनावों में हिसाब बराबर