राजस्थान में इस साल के अंत में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने के लिए सभी राजनीतिक दलों ने अपनी तैयारियों में पूरी जी-जान लगा दी है। इसी बीच कुछ महीनों पहले अकेले के दम पर सरकार बनाने के दावा करने वाली राजस्थान कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी, पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और वर्तमान राजस्थान कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट ने कुछ समय पहले यह बात कई बार दोहराई की राजस्थान में कांग्रेस की पूर्ण बहुमत की सरकार बनने जा रही है। इसके बार हाल ही में सचिन पायलट ने कहा कि कांग्रेस कुछ दलों के साथ राजस्थान में गठबंधन करेगी। ऐसे में सवाल यह है कि एकतरफा जीत का दावा करने वाली कांग्रेस को गठबंधन की क्या जरूरत पड़ी। खैर, इसके बाद अब बसपा ने कांग्रेस के साथ गठबंधन से ‘ना’ कर दिया है। ऐसे में कांग्रेस का सारा का सारा गणित बिगड़ता नज़र आ रहा है।
मायावती ने अकेले लड़ने का लिया फैसला, कांग्रेस के कुछ नेताओं में खुशी का माहौल
बसपा सुप्रीमो मायावती के बयान पर राजस्थान कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट का कहना है कि गठबंधन को लेकर लिया गया फैसला मायावती का निजी है। कांग्रेस तो 10 साल तक सभी दलों को साथ लेकर चली है। गौरतलब है कि पिछले दिनों प्रदेश कांग्रेस के पदाधिकारियों की पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ दिल्ली में अहम बैठक हुई थी। उस बैठक में नेताओं ने राजस्थान में समान विचारधारा वाले दलों से गठबंधन के संकेत दिए थे। इससे प्रदेश में कांग्रेस के बसपा से गठबंधन की चर्चाओं ने जोर पकड़ा था, हालांकि अब उस पर ताला लग गया है। बसपा के इस फैसले के बाद कांग्रेस नई रणनीति बनानी पड़ रही है।
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40 सीटों पर कांग्रेस के समीकरण बिगाड़ेगी बसपा
बता दें, प्रदेश में बसपा के साथ गठबंधन की चर्चाओं से राजस्थान कांग्रेस के कई नेता चिंतित दिख रहे थे। लेकिन हाल ही में गठबंधन के मुद्दे पर बसपा सुप्रीमो मायावती के ताजा बयान से उन कांग्रेसी नेताओं के चेहरे खिल गए हैं। प्रदेश में कांग्रेस का बसपा से गठबंधन होने की स्थिति में कम से कम 10 सीटों पर कांग्रेस नेताओं के टिकट कटना तय माना जा रहा था। ऐसे में प्रदेश के कांग्रेस कई नेता नहीं चाहते थे बसपा से उनकी पार्टी का गठबंधन हो। मायावती की पार्टी के साथ गठबंधन की बात खारिज होने से राजस्थान की करीब 40 सीटों पर बसपा अब कांग्रेस के समीकरण बिगाड़ सकती है। कांग्रेस को राजस्थान में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित 34 सीटों पर वोटों के बंटवारे का नुकसान भारी नुकसान उठाना पड़ेगा।