केन्द्र सरकार की महत्त्वाकांक्षी ‘आयुष्मान भारत योजना’ स्वास्थ्य क्षेत्र में निरंतर नए कीर्तिमान बना रही है। हाल ही में खुद बिल गेट्स ने भी मोदी सरकार की इस योजना की जमकर तारीफ की है। गरीबों तक स्वास्थ्य सुविधाओं की आसानी से पहुंच के लिए आयुष्मान भारत योजना के तहत देश के 10 करोड़ गरीब और असहाय परिवारों (अनुमानतः 50 करोड़ लाभार्थी) को जोड़ा जाना निश्चित किया गया है। जिसमें मोदी सरकार प्रति परिवार और प्रति साल पांच लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा का लाभ प्रदान कर रही है।

लेकिन राजस्थान ऐसा प्रदेश है जहां आयुष्मान भारत जैसी योजना से पहले ‘भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना’ का संचालन किया जा रहा है। दरअसल पिछली वसुंधरा सरकार ने बड़ी संख्या मेंप्रदेश के सरकारी व निजी चिकित्सालयों को इस योजना से जोड़कर आमजन को कैशलेस उपचार प्रदान करने की सुविधा शुरू की थी। वर्तमान परिपेक्ष्य में बात की जाए तो वसुंधरा सरकार की ‘भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना’ केन्द्र की ‘आयुष्मान भारत’ से ज्यादा कारगर दिख रही है।

 

वसुंधरा सरकार ने ‘भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना’ वर्ष 2014 में की थी शुरू

वसुंधरा सरकार की ‘भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना’ प्रदेश में वर्ष 2014 में लागू की गई थी, जिसमें 30 हजार रु से 3 लाख रु तक का कैशलेस बीमा किया जा रहा है। वहीं वर्ष 2018 में लांच हुई केन्द्र की आयुष्मान भारत योजना में 50 हजार रु से 5 लाख रु का कैशलेस बीमा किया जा रहा है। इससे साफ प्रतीत होता है कि जो योजना मोदी सरकार 2018 में लेकर आई थी उसे वसुंधरा सरकार ने 2014 में ही लागू कर दिखाया था। अगर गहलोत सरकार भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना को निरंतर चालू रखती है तो इसका सबसे ज्यादा फायदा प्रदेश की जनता को मिलेगा। वर्तमान में जनता में भी भामाशाह स्वास्थ्य योजना के प्रति खासा लगाव देखने को मिल रहा है।

अधिकतर लाभार्थियों का भी मानना है कि भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना उनके लिए वरदान साबित हुई है। अगर दोनों योजनाएं ही राजस्थान में सुचारू रूप से जारी रहे तो तकरीबन 8 लाख रु तक के बीमा का लाभ यहां की जनता उठा सकती है। फिलहाल आयुष्मान भारत योजना के दूसरे भाग के रूप में राजस्थान के कुछ अस्पतालों का चयन कर उसे वेलनेस सेंटर के रूप में विकसित किया जा रहा है।