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राहुल गांधी-कांग्रेस अध्यक्ष
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राहुल गांधी-कांग्रेस अध्यक्ष

हमारी पृथ्वी पर 84 लाख प्राणी मौजूद हैं। जीव-जन्तु, पशु-पक्षी, कीट-पतंगे, कीड़े-मकोड़े, ना जाने कितने ही और। धरती पर एक प्राणी ऐसा भी है जो पूरी दुनिया पर राज करता है, वो प्राणी है इंसान। क्योंकि इंसान को दुनिया बनाने वाले ने वो चीज़ दी है जो किसी और प्राणी को नहीं दी। “दिमाग़”। दिमाग ही वह जरिया है, जो इंसान को सर्व शक्तिमान प्राणी बनाता है। क्योंकि इंसान सोच सकता है, समझ सकता है। सही गलत का फैसला कर सकता है। अच्छे बुरे की पहचान कर सकता है। इसलिए इंसान को इस दुनिया की सबसे अच्छी कृति माना जाता है। लेकिन अगर यही इंसान अपने सोचने समझने की शक्ति को खो देता है तो फिर वो जानवर बन जाता है। फिर उसको चलने के लिए किसी ऐसे व्यक्ति की जरुरत होती है जिसे जानवरों को हांकना आता हो। जैसे कोई चरवाहा जानवरों को चराता है। तो हर बार उसे अपने जानवरों और भेड़-बकरियों को सही दिशा में चलने के लिए डंडा दिखाना पड़ता है।

ठीक ऐसे ही हालात वर्तमान में कांग्रेस पार्टी के हो रखे हैं। दरअसल पिछले पांच सालों से पहले लोकसभा चुनाव फिर देश के अलग-अलग राज्यों में विधानसभा चुनाव हारने के बाद से कांग्रेस के समस्त कार्यकर्ता अपने सोचने समझने की क्षमता खो चुके हैं। इसलिए कभी दूसरों से लड़ते हैं तो कभी आपस में ही लड़ बैठते हैं। जिसका ताजा उदहारण थोड़े दिनों पहले राजस्थान में देखने को मिला जब कांग्रेस का “मेरा बूथ, मेरा गौरव” का ड्रामा चल रहा था। तब कांग्रेस के दो नेता सचिन पायलट और अशोक गहलोत जो अपने आप को ज्यादा समझदार मानते हैं वो पद की दावेदारी दिखाने के लिए आपस में ही लड़ पड़े। और लड़े भी तो क्या लड़े जानवरों की तरह। इसके एक दूसरे के कार्यकर्ताओं में तो लेनदेन भी हो गया था। मंगल बातों और घूंसों लातों का। ये बात कांग्रेस पार्टी में आये दिन देखने क मिलती है। राजस्थान ही नहीं पुरे हिंदुस्तान में कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता आपस में लड़ते रहते हैं। क्योंकि अच्छे और अनुभवी नेता तो कांग्रेस में अब बचे नहीं। जितने भी है सब के सब नौसिखिया हैं। ऐसे में प्रभुत्वता कि लड़ाई होना लाजमी है।

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अब चूँकि कांग्रेस के कार्यकर्ता आपस में लड़ते हैं तो इसके पीछे कोई वजह भी तो होगी। कांग्रेस के नेताओं की लड़ाई के पीछे की वजह है इनकी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी। जिनसे पार्टी की कमान सम्हाली नहीं जा रही। इसने पास ना संस्कार हैं ना संस्कृति कि समझ। इनके पास कोई आचार-विचार भी नहीं है। पार्टी के पास कोई रणनीति भी नहीं है। ऐसे में कांग्रेस के नेता अपनी मनमर्ज़ियाँ करते नज़र आते हैं। कोई भी नेता कहीं भी जाकर कुछ भी उल-जुलूल बयान दे देता है। कांग्रेस के नेता आये दिन राज्य में हुड़दंग मचाते रहते हैं। फिर इनको डंडे से हांकने के लिए राहुल गांधी को बुलाया जाता है। इस बात की पुष्टि खुद राहुल गांधी ने की। डूंगरपुर के सागवाड़ा जिले में हज़ारों लोगों के सामने कांग्रेस के राष्ट्रिय अध्यक्ष ने ये बात कही कि सचिन पायलट और अशोक गहलोत में लड़ाई चल रही है। वो तो सिर्फ़ जनता को दिखाने और उल्लू बनाने के लिए लोगों के सामने दोस्त बनने का नाटक करते हैं।

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खैर इस बात के लिए हम राहुल गांधी को पूर्ण रूप से जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते। क्योंकि वो तो खुद ही राजनीति के नए खिलाडी हैं। जिनके पास अभी इतना अनुभव नहीं कि वो कांग्रेस पार्टी कि कमान संभाल सके। ऐसे में सरकार बनाना और चलाना तो दूर की बात है। और कांग्रेस के कुछ नेता तो इस तरह से बैठे रहते हैं जैसे जैसे सत्यनारायण की कथा सुनने आये हो, जिनको सिर्फ प्रसादी से मतलब है। किसी भी सभा में जायेंगे चरवाहे जिधर को हांकेंगे उधर को चले जायेंगे। क्योंकि ना तो कांग्रेस के किसी भी नेता को और ना ही उनके सेनापतियों को देश की स्थिति के बारे में सही जानकारी है। गरीबों और किसानों की बात करने वाले राहुल गांधी की कांग्रेस पार्टी ने ही सोनिया गांधी के दामाद को गरीब किसान बताकर करोड़ों रुपये की ज़मीन उसके नाम करा दी थी। जिसका केस अभी भी चल रहा है। संस्कार नाम की तो कोई चीज कांग्रेस के नेताओं में है ही नहीं। कभी अपनी हरकतों से तो कभी अपने भाषाणों से देश के संविधान का अपमान करते रहते हैं। अनेकों करों से मुक्त करके देश को दी गयी “एक देश, एक कर” (जीएसटी) व्यवस्था को अपशब्दों में अपमानित कर राहुल गाँधी ने हिंदुस्तान कि विकसित और व्यवस्थित अर्थव्यवस्था का तिरस्कार किया है।

राहुल गांधी, अशोक गहलोत और सचिन पायलट मिलकर राजस्थान और हिंदुस्तान को लूटना चाहते हैं। राहुल गांधी खुद संसद में आँख मार कर लोगों को इशारा करते हैं। नोटेबंदी पर आँख उठाने वाले राहुल गांधी खुद 5000 हज़ार करोड़ रुपये के घोटाले के आरोप में फसे हुए हैं। ये जमानत लेकर उधारी की जिंदगी जी रहे कांग्रेस के लोग किसानों कि भलाई और गरीबों के उद्धार कि बात करते हैं। जब दस साल केन्द्र में और पांच साल राज्य कि सत्ता में रहे तब क्या इनकी बुद्धि घांस चरने गयी थी। तब तो इन्होंने किसानों का क़र्ज़ माफ़ नहीं किया। पिछले पांच सालन से भी ये कहीं सोये हुए थे। लेकिन अब चुनाव नजदीक आते ही इन्हें सब याद आने लगे हैं। किसान, गरीब, बेरोजगार, आम लोग जनता। अब ये चाहते हैं कि कैसे भी करके ये चुनाव जीत जाएँ बस। लेकिन जिस तरह जानवर के खूंखार हो जाने पर लोग उसे जंगल में छोड़ आते हैं, उसी तरह इन कांग्रेस वालों को भी अबकी बार जनता जड़ से उखड फेंकने के कोई कसार नहीं छोड़ने वाली है।

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