कहते हैं ना की जब किसी के पापों का घड़ा भर जाता है तो फिर वह फूट जाता है। यही हुआ था राजस्थान में 2013 के विधानसभा और 2014 के लोकसभा चुनावों में। जब राज्य में जनता पर कांग्रेस के अत्याचार और जुल्म इस कदर बढ़ चुके थे कि राजस्थान की जनता व्याकुल हो उठी थी। क्योंकि एक और तो केंद्र में दस सालों से बैठी सरकार थी। जिसका हर नेता अपने-अपने हिसाब से देश को लूटने में लगा था। देश में घोटालों का एक प्रचलन सा बन गया था। नेताओं में होड़ मचने लगी की कौन कितना बड़ा घोटाला करता है। वहीँ दूसरी और राज्य की सत्ता पर भी कांग्रेस की ही सरकार थी। ऐसे में राज्य के नेता कहा पीछे रहने वाले थे। वो लाख़ करोड़ों नहीं तो हज़ार करोड़ों के घोटाले करने में ही लगे हुए थे। सबको ढ़ोल में पोल दिखाई दे रही थी। परिणामतः देश खोखला होता जा रहा था। राज्य की हालत तो उससे भी ज्यादा बदतर थी। कांग्रेस के नेताओं ने राज्य के धन को ही नहीं राज्य की महिलाओं की इज्ज़त को भी जमकर लूटा। जिनमें सबसे बड़ी घटना थी, भंवरी देवी हत्या काण्ड। कांग्रेस के एक नेता नहीं राज्य की महिला का शारीरिक शोषण करने के बाद हत्या कर दी थी। राजस्थान हर क्षेत्र में दूसरे राज्यों से पिछड़ चूका था। कांग्रेस के पापों का घड़ा पूरा भर चूका था। जरुरत थी तो सिर्फ़ इसको फोड़ने की। लेकिन इस काले राज्य में कौन था। जो जनता को इन अत्याचारों से मुक्ति दिलाता। हर ओर निराशा, लाचारी और कमजोरी महामारी की तरह फ़ैल रही थी। ऐसे में उम्मीद की एक किरण जनता को नज़र आने लगी। उम्मीद कि वो किरण थी, 2013 में होने वाले विधानसभा चुनाव।
राजस्थान में 2013 में विधानसभा चुनाव हुए थे। जिसमे भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस को हराया, और 200 में से 163 सीटों पर कीर्तिमान जीत हासिल की थी। वो सिर्फ़ चुनावी जीत नहीं थी। वो जीत थी जनता की। वो जीत थी सच्चाई की। अधर्म पर धर्म की जीत। बुराई पर अच्छाई की जीत। अन्याय पर न्याय की जीत। पाप का अंत। और इस पाप को अंत किया एक नारी शक्ति ने। जब राजस्थान कि बागडोर सम्भाली थी, यसस्वी वसुंधरा राजे ने। वसुंधरा राजे ने राज्य का मुख्यमंत्री पद ग्रहण किया। तथा कांग्रेस को पटखनी देने के साथ ही राजस्थान में सुराज की स्थापना हुई। फिर 2014 के लोकसभा चुनावों में भी भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस का सूपड़ा साफ़ कर दिया। तब से लेकर आज दिन तक राजस्थान ने हर क्षेत्र में विकास की नयी ऊंचाइयों को छुआ। राज्य का बच्चा, बूढ़ा, जवान, महिला, पुरुष, युवक, युवती हर व्यक्ति वर्ग खुशहाल बना। क्योंकि पिछले पांच सालों में सिर्फ़ और सिर्फ़ विकास हुआ। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण ये है कि यहाँ भ्रष्टाचार का कोई नामोनिशान तक नहीं है। इसी सिलसिले को आने वाले समय में भी लगातार जारी रखने के लिए, वसुंधरा राजे, राज्य में राजस्थान गौरव यात्रा निकाल रही है। अपनी सरकार के द्वारा किये गए विकास कार्यों का लेखा-जोखा जनता के सामने पेश कर रही हैं। और आने वाले समय में राज्य कि व्यवस्था को किस तरह से और अधिक बेहतर बनाया जा सकता है, इसका जायजा भी जनता के साथ सीधा संवाद कर ले रही हैं।
लेकिन ये क्या ? कांग्रेस के, पिछले चुनावों में जनता की मेहरबानियों से बचे हुए कुछ नेता और कुछ नए प्यादे मिलकर फिर से राज्य में पाप का घड़ा रखना चाहते हैं। जिसके लिए कांग्रेस राजस्थान में पाप फ़ैलाने की संकल्प रैली भी निकाल रही है। कुछ मौसमी बीमारियां ऐसी होती हैं जो एक बार ख़त्म नहीं होती। मौका मिलने पर ये फिर से पनप जाती हैं। इसी तरह अब प्रदेश में चुनावों का मौसम आ गया है। इसलिए ये कांग्रेस जैसी बीमारियां फिर से पैदा होने की कोशिश कर रही हैं। जिसके लिए कांग्रेस ने संकल्प रैली के लिए भी ऐसी जगहों को चुना है जहाँ ये आसानी के घुस सकती है। कांग्रेस की संकल्प रैली प्रदेश में कुल पांच स्थानों पर पनपने की कोशिश कर रही है। वो जगह हैं, चित्तौडग़ढ़, चूरू, बाड़मेर, करौली और नागौर। ये वही जगहें है, जहाँ कांग्रेस ने अपने राज में खूब तांडव किया था। और सोचते हैं कि अब भी वहां की जनता उन्हें फिर से सिर उठाने का मौका दे देगी। लेकिन बाबू ये पब्लिक है और ये सब जानती है। अब आपकी दाल यहाँ नहीं गलने वाली।
कांग्रेस ने अपनी संकल्प रैली के लिए सिर्फ उन्हीं जगहों को चुना है। जहाँ वो किसी ना किसी प्रकार से अराजकता, अशांति और हिंसा फ़ैलाने में कामयाब रही। या कोई ऐसी अवांछनीय घटना हुई हो जिसे खोखला मुद्दा बनाकर ये वहां की आम जनता को बहका सके। आईये बात करते हैं उन जगहों की जहाँ कांग्रेस अपनी संकल्प रैली निकल रही है।
चित्तौडग़ढ़ : कांग्रेस ने संकल्प रैली की शुरुआत चित्तौड़गढ़ से की क्योंकी बीते दिसम्बर में वहां पर काफी हंगामा रहा था। हंगामा तो एक फिल्म को लेकर हुआ था। लेकिन उसमे राजनीतिक उठापटक भी काफी हुयी थी। ऐसे में कांग्रेस ने सोचा की क्यों न जलती आग में अपनी रोटी सेक ली जाये तो पहुंच गए। संकल्प रैली लेकर पाप का घड़ा रखने।
चूरू : पिछले साल जून में हुयी पुलिस मुठभेड़ में एक गैंगस्टर के बारे जाने के बाद वहां पर काफी बवाल मचा था। कांग्रेस ने भी इस घटना पर अपने मानसिक विचार व्यक्त किये थे। शायद इसीलिए कांग्रेस ने चूरू में संकल्प रैली आयोजित की। क्योंकि कांग्रेस को तो राजनीति करने के लिए मुद्दा चाहिए, फिर चाहे वो कोई भी हो।
बाड़मेर : जब कांग्रेस को कुछ नहीं मिलता तो विकास कार्यों पर ही राजनीति करने लगती है। जबकि खुद कोई विकास कार्य नहीं करवाती है। कांग्रेस ने बाड़मेर में रफाइनरी कि घोषणा की थी। कांग्रेस ने जान बूझकर आगामी चुनावों में मुद्दा बनाने के लिए बाड़मेर रिफाइनरी कि घोषणा की 22 सितम्बर 2013 को और 27 सितम्बर 2013 को प्रदेश में आचार सहिंता लागू हो गयी थी। चुनावों के बाद सरकार बदल गयी। नयी सरकार को काम शुरू करने में वक़्त लगा। ऐसे में कांग्रेस उसी बात को मुद्दा बनाते हुए वहां संकल्प रैली करने जा रही है। जबकि खुद कांग्रेस अपनी सरकार में एकमात्र नवनिर्मि पुल का उद्घाटन तक नहीं कर पायी थी।
करौली : बाड़मेर के बाद कांग्रेस ने करौली में संकल्प रैली निकालने की घोषणा की है। यहाँ भी कांग्रेस ने धर्म की राजनीति करने के लिए ही इस जगह को चुना। क्योंकि करौली जिले में अप्रैल माह में हुए दलित आंदोलन में काफी हंगामा हुआ था। इसलिए कांग्रेस वहां इस घटना को मुख्य हथियार के रूप में देख रही है।
नागौर : नागौर जिले के अधिकतर विधानसभा क्षेत्रों पर कांग्रेस का लम्बे समय से राज रहा है। लेकिन वो सिर्फ कुछ चंद नेताओं कि वजह से। ऐसे में कांग्रेस सोच रही है कि वो फिर से यहाँ अपने पैर जमा सकती है।
ये वो पांच जगह हैं, जहाँ से कांग्रेस आने वाले विधानसभा चुनावों में फिर से राजस्थान की राजनीति में घुसने की कोशिश करेगी। लेकिन अब वो समय नहीं रहा जब जनता से झूठे वादे करके और कोरे सपने दिखाकर उनके साथ खिलवाड़ कर लिया जायेगा। आज लोग समझदार हैं और अपने अच्छे बुरे का फैसला खुद कर सकते है। ऐसे में देखना ये रहेगा की कांग्रेस अपने पैर कहाँ तक जमा पाती है।
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