राजस्थान में विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस द्वारा जारी किए गए चुनावी घोषणा-पत्र में प्रदेश के सभी किसानों का पूर्ण कर्जा माफ करने का वादा किया गया। इससे कांग्रेस को राज्य में अपने पक्ष में माहौल तैयार करने में बड़ी मदद मिली। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने राजस्थान में हर चुनावी सभा में किसानों की पूर्ण कर्जमाफी का वादा दोहराया। उन्होंने कहा कि अगर राजस्थान में कांग्रेस सरकार सत्ता में आती है तो दस दिन के भीतर किसानों का कर्ज माफ कर दिया जाएगा। पूर्ण कर्जमाफी के वादे पर किसानों ने विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की वापसी कराई। प्रदेश में कांग्रेस को मिले बहुमत के बाद पार्टी अपने नेताओं की सीएम दावेदारी में उलझ गई। बड़ी मशक्कत के बाद कांग्रेस प्रदेश का मुखिया तय कर पाई। इस दौरान कांग्रेस ने कहा कि वे किसानों की कर्जमाफी के अपने वादे पर कायम है, और जल्द ही राजस्थान में कर्जमाफी की घोषणा कर दी जाएगी।
मुख्यमंत्री की शपथ के बाद किसानों को नकार पहले अफसरों का किया फेरबदल
कांग्रेस हाईकमान द्वारा अशोक गहलोत को राजस्थान की कमान सौंपी गई। वहीं, सचिन पायलट को ‘को-पायलट’ बनाया गया। राजधानी जयपुर स्थित अल्बर्ट हॉल पर आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में अशोक गहलोत ने राजस्थान के 22वें मुख्यमंत्री और सचिन पायलट ने प्रदेश के 5वें उप मुख्यमंत्री के रूप में पद एवं गोपनीयता की शपथ ली। इस समारोह में राहुल गांधी समेत यूपीए के कई बड़े नेता शामिल हुए। इसके बाद गहलोत ने अगले दिन किसानों की कर्जमाफी को प्राथमिकता पर न रखते हुए पहले अफसरों का ट्रांसफर करना जरूरी समझा। जबकि कांग्रेस अध्यक्ष और पार्टी के वादे के अनुसार किसानों की कर्जमाफी प्राथमिकता थी। इस पर प्रदेश के किसानों में एक निराशा की भावना पैदा हुई और उनका कर्जमाफी का सपना टूटता दिखा।
किसानों की पूर्ण कर्जमाफी के अपने वादे से पलटी प्रदेश की नई कांग्रेस सरकार
नवगठित कांग्रेस सरकार के मुखिया अशोक गहलोत ने अपनी शपथ के तीसरे दिन अफसरों से चर्चा करने बाद किसानों द्वारा सहकारी बैंकों से लिए कर्ज के माफ करने की घोषणा की। इसमें सरकार अल्पकालिक फसली ऋण शामिल है। जबकि कांग्रेस ने किसानों का सभी तरह का पूर्ण कर्ज माफ करने की बात कही थी। यानी कांग्रेस अपने वादे से मुकर गई। इस तरह कांग्रेस ने किसान से कर्जमाफी के नाम पर धोखा किया है। कांग्रेस ने जिस कर्जमाफी की घोषण की है वह तो वसुंधरा राजे सरकार पहले ही कर चुकी है। वसुंधरा राजे सरकार ने राज्य के 30 लाख किसानों का प्रति किसान 50 हजार रुपए तक का सहकारी बैंकों से लिया ऋण माफ किया था। इसके साथ ही किसानों को जरूरत के हिसाब से नया कृषि ऋण भी उपलब्ध कराया था। इस पर सरकार ने करीब 11 हजार करोड़ रुपए खर्च किए थे।
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ऐसे में सहकारी बैकों से कर्ज लेने वाले किसान राज्य में ज्यादा नहीं है। अन्य बैंकों से कर्ज लेने वाले किसानों की संख्या ज्यादा है लेकिन कांग्रेस ने अपनी कर्जमाफी की घोषणा में उनको शामिल नहीं किया है। इस प्रकार किसानों की हितैषी बनने वाली कांग्रेस ने अपने मुखिया की शपथ ग्रहण के तीसरे दिन ही किसानों के साथ बड़ा धोखा कर दिया है। कांग्रेस राज्य में 28 लाख किसानों का 2 लाख तक कर्जमाफ करने का दावा कर रही है जबकि राज्य में 50 लाख से ज्यादा किसान है। जब किसानों पर सहकारी समितियों, बैंकों का कर्ज ही नहीं रहा तो कांग्रेस फिर माफ क्या करने जा रही है। कर्जमाफी के नाम पर किसानों के साथ धोखा कर कांग्रेस अपनी चाल में सफल रही है। प्रदेश का किसान जिसने पूर्ण कर्जमाफी के लिए कांग्रेस पर विश्वास किया था अब वो हाथ मलता ही रह जाएगा। कांग्रेस ही वादाखिलाफी का यह तो पहला ट्रेलर है आगे देखते क्या-क्या होता है।